ब्रजमंडल में होली की धूम, जानिए बरसाने की होली की 5 खास बातें

अनिरुद्ध जोशी
ब्रजमंडल में मथुरा, गोकुल, बरसाना, वृंदावन, नंदगाव आदि कई गांव आते हैं। यहां पर वसंत पंचमी से ही होली के उत्सव की धूम शुरु हो जाती है। ब्रजमंडल में खासकर मथुरा में लगभग 45 दिन के होली के पर्व का आरंभ वसंत पंचमी से ही हो जाता है। बसंत पंचमी पर ब्रज में भगवान बांकेबिहारी ने भक्तों के साथ होली खेलकर होली महोत्सव की शुरुआत की थी। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।
 
 
1. भारत में कई जगह तो फाल्गुन मास प्रारंभ होते ही होली का डांडा रोपड़ कर होली उत्सव का प्रारंभ हो जाता है तो कई जगहों पर होलाष्टक पर डांडा रोपड़कर इस उत्सव की शुरुआत की जाता ही। ब्रज मंडल में फाग उत्सव के बाद होलिका दहन और फिर धुलेंडी अर्थात धूलिवंदन मनाया जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे से गले मिलते हैं। मिठाइयां बांटते हैं। भांग का सेवन करते हैं। होलिका दहन के ठीक पांचवें दिन रंग पंचमी मनाई जाती है।
 
2. ब्रज मंडल में होली सबसे ज्यादा धूम बरसाने में रहती है। विश्वविख्यात है बसराने की होली। इस होली को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। यहां कई तरह से होली खेलते हैं, रंग लगाकर, डांडिया खेलकर, लट्ठमार होली आदि।
 
3. ब्रज में रंगों के त्योहार होली की शुरुआत वसंत पंचमी से प्रारंभ हो जाती है। इसी दिन होली का डांडा गढ़ जाता है। महाशिवरात्रि के दिन श्रीजी मंदिर में राधारानी को 56 भोग का प्रसाद लगता है। अष्टमी के दिन नंदगांव व बरसाने का एक-एक व्यक्ति गांव जाकर होली खेलने का निमंत्रण देता है। नवमी के दिन जोरदार तरीके से होली की हुड़दंग मचती है। नंदगांव के पुरुष नाचते-गाते छह किलोमीटर दूर बरसाने पहुंचते हैं। इनका पहला पड़ाव पीली पोखर पर होता है। इसके बाद सभी राधारानी मंदिर के दर्शन करने के बाद लट्ठमार होली खेलने के लिए रंगीली गली चौक में जमा होते हैं। दशमी के दिन इसी प्रकार की होली नंदगांव में होती है।
 
4. राधा-कृष्ण के वार्तालाप पर आधारित बरसाने में इसी दिन होली खेलने के साथ-साथ वहां का लोकगीत 'होरी' गाया जाता है। फाल्गुन मास की नवमी से ही पूरा ब्रज रंगीला हो जाता है, लेकिन विश्वविख्‍यात बरसाने की लट्ठमार होली जिसे होरी कहा जाता है, इसकी धूम तो देखने लायक ही रहती है। देश-विदेश से लोग इसे देखने आते हैं। माना जाता है कि इसकी शुरुआत 16वीं शताब्दी में हुई थी।
 
5. इस दिन कृष्ण के गांव नंदगांव के पुरुष बरसाने में स्थित राधा के मंदिर पर झंडा फहराने की कोशिश करते हैं लेकिन बरसाने की महिलाएं एकजुट होकर उन्हें लट्ठ से खदेड़ने का प्रयास करती हैं। इस दौरान पुरुषों को किसी भी प्रकार के प्रतिरोध की आज्ञा नहीं होती। वे महिलाओं पर केवल गुलाल छिड़ककर उन्हें चकमा देकर झंडा फहराने का प्रयास करते हैं। अगर वे पकड़े जाते हैं तो उनकी जमकर पिटाई होती है और उन्हें महिलाओं के कपड़े पहनाकर श्रृंगार इत्यादि करके सामूहिक रूप से नचाया जाता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Vrishabha Sankranti 2024: सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश से क्या होगा 12 राशियों पर इसका प्रभाव

Khatu Syam Baba : श्याम बाबा को क्यों कहते हैं- 'हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा'

Maa lakshmi : मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पर चढ़ाएं ये 5 चीज़

Shukra Gochar : शुक्र करेंगे अपनी ही राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लोग होने वाले हैं मालामाल

Guru Gochar 2025 : 3 गुना अतिचारी हुए बृहस्पति, 3 राशियों पर छा जाएंगे संकट के बादल

Mohini ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी व्रत का प्रारंभ और पारण जानें

Lakshmi prapti ke achuk upay: यदि घर की महिला रोज ये काम करें तो घर में मां लक्ष्मी का होगा प्रवेश

Mohini ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी व्रत की पौराणिक कथा

Chardham Yatra: चारधाम यात्रा पर CM पुष्कर सिंह धामी ने संभाला मोर्चा, सुधरने लगे हालात

Aaj Ka Rashifal: 18 मई का दिन क्या लाया है आपके लिए, पढ़ें अपनी राशि

अगला लेख