हिन्दी कविता : फागुन मदमस्त

अशोक बाबू माहौर
हुड़दंग गलियों में 
उड़ रहे गुलाल 
रंग हरे, पीले, लाल 
ओ री सखी फागुन मदमस्त। 


 
आंखें मलते 
भर-भर लोटा रंग उड़ाते 
हो रहे सराबोर 
ओ री सखी फागुन मदमस्त। 
 
रंग-बिरंगे नर-नारी 
बाल हुए गुलाल 
ओ री सखी फागुन मदमस्त। 
 
धरती रंगीन 
मानो हो रही बौछार 
अनंत रंगों की आज 
ओ री सखी फागुन मदमस्त। 
 
भूल सभी व्यर्थ व्यथाएं 
लग रहे गले 
बांटते प्यार-मोहब्बत साथ 
ओ री सखी फागुन मदमस्त। 
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

इजराइल के दुश्मन क्यों है ईरान सहित सभी मुस्लिम देश?

12 जून से मांगलिक कार्यों पर लगेगा विराम, 5 माह तक नहीं होंगे शुभ कार्य

वट सावित्री व्रत दो बार क्यों मनाया जाता है?

शनि देव को अतिप्रिय हैं ये चार फूल: शनि जयंती पर चढ़ाने से दूर होंगे शारीरिक तथा मानसिक कष्ट

वट सावित्री व्रत के दिन नहीं मिले बरगद का पेड़ तो ऐसे करें पूजा

सभी देखें

धर्म संसार

किस देवता के लिए समर्पित है शनि प्रदोष व्रत, जानें पूजा के मुहूर्त और विधि

बुध के वृषभ में गोचर, 3 राशियों के लिए है अशुभ

जून 2025 में पड़ने वाले महत्वपूर्ण व्रत एवं त्योहार

Aaj Ka Rashifal: 23 मई का दिन कैसा रहेगा, राशिनुसार जानिए आज का भविष्यफल

23 मई 2025 : आपका जन्मदिन

अगला लेख