इस दिवाली करें मॉर्डन और ट्रेडिशनल इंटीरियर डेकोरेशन

Webdunia
सोमवार, 13 अक्टूबर 2014 (12:43 IST)
किसी भी घर का इंटीरियर उस घर का आईना होता है, जो उस आशियाने की अंदाज-ए-खूबसूरती को बयां करता है। तभी तो कहा भी जाता है कि सलीके से जमा हुआ एक छोटा सा घरोंदा, बेतरतीबी से फैले हुए आलीशान बंगले से कई गुना बेहतर होता है। क्योंकि उस घरोंदे की सजावट, उसकी सुन्दरता के साथ- साथ वहां रहने वाले व्यक्ति के व्यक्तित्व को भी बयां कर देती है।


 

इस फेस्टिव सीजन में जहां लोग घर का रंगरोगन करा उसको एक नया स्वरूप देने में लगे हुए हैं, वहीं घर की आंतरिक सुन्दरता को भी निखारने के लिये प्लानिंग चल रही है, जिसमें रूम के परदों से लेकर दीवारों की खूबसूरती को निखारने वाली स्टाइलिश एवं डिजाइनर सीनरियों तक हरेक चीज की खरीददारी करने में जुटे हुए हैं और खुद की कलात्मक सोच या इंटीरियर डेकोरेटर्स का सहारा ले अपने घर की सुन्दरता को कुछ खास बनाने में लगे हुए हैं, ताकि प्रकाश के उत्सव में उनका घर सबसे अलग दिखाई दे। 
 
 
मार्डन इंटीरियर डेकोरेशन में ग्लास एवं मेटल से बने हुए सामानों का ज्यादा उपयोग किया जाता है। क्योंकि इसमें जहां कांच लाइट इफेक्ट देता है, वहीं मेटल कमरे की सुन्दरता को डीसेन्ट और हैवी लुक प्रदान करता है। इस तरह की आंतरिक सजावट में दरवाजों व खि़ड़कियों में टिशू एवं सॉटन फ्रेबिक से बने हुए परदों का उपयोग किया जाता है। रूम की दीवारों में एक ही कलर का पेंट किया जाता है। इंटीरियर में एकरूपता लाने के लिये परदे के कप़ड़ों से ही कुशन क वर का निर्माण किया जाता है, इस डेकोरेशन में लेदर वर्क का ज्यादा उपयोग किया जाता है।
 
घर की सुन्दरता से संबंधित कई ऐसी साम्रगियां आती हैं, जो संस्कृति से जो़ड़ने के साथ-साथ फलदायी भी होती हैं। यह कहना है इंटीरियर डेकोरेटर शैलजा सुल्लेरे का। जिनके अनुसार वर्तमान में लोगों के बीच ट्रेडिशनल इंटीरियर डेकोरेशन का क्रेज है। जिसमें राजस्थानी एवं गुजराती तरीके से घर को सजाया जाता है। इस इंटीरियर डेकोरेशन में कांच, कौड़ी, गोटा-किनारी का उपयोग कमरे की सजावट में किया जाता है। वहीं रूम में लगने वाले परदे मुख्यत: बांधनी एवं टाई एंड  डाई बेस होते हैं और खिड़कियों में चुनरियों को कई तरह के स्टाइल में सजाकर परदे के रूप में उपयोग किया जाता है। 


 
बेड एवं सोफा सेट में बिछने वाले शीट एवं कुशन कवर में भी मिरर वर्क, कौड़ी या कच्ची कढ़ाई का काम होता है। दीवारों के कोनों में तरह-तरह की कठपुतलियां जैसे हाथी, घो़ड़ा, मोर, मिट्ठू आदि लगाए जाते हैं, जो सुख-समृद्धि का प्रतीक हैं।
 
ट्रेडिशनल डेकोरेशन में मूल रंग लाल, हरा, नीला, पीला आदि का उपयोग किया जाता है। कालीन की जगह जूट व केन से बनी हुई चटाई या दरियों का उपयोग किया जाता है। कमरे की दीवारों को सजाने के लिये ग्रामीण कलाकृतियों से बनी हुई पेंटिंग्स आदि का उपयोग किया जाता है।
 
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