Friendship day 2024: फ्रेंडशिप डे पर जानें पौराणिक काल के 5 खास मित्र

WD feature Desk
शनिवार, 3 अगस्त 2024 (16:29 IST)
Friendship day 2024: 4 अगस्त को है फ्रेंडशिप डे। भारत में दोस्त के अलग मायने हैं और विदेश में अलग। यदि आप प्राचीन भारत की बता करें तो आज भी कुछ लोगों की दोस्त की मिसाल दी जाती है। मरते दम तक उन लोगों दे अपनी दोस्ती को निभाया है। आओ जानते हैं पौराणिक काल के ऐसे ही 4 खास दोस्तों के बारे में संक्षिप्त में।
 
1. श्रीराम और विभिषण की मित्रता : भगवान श्रीराम की विभिषण और सुग्रीव से खास मित्रता थी। इसमें विभिषण के आराध्य भी श्रीराम है। जब विभिषण को उनके भाई रावण ने त्याग दिया तो वे प्रभु श्रीराम की शरण में गए। रामजी ने उन्हें गले लगाकर अपना मित्र बनाया और उसकी रक्षा का वचन देने के साथ ही राजपाट भी दिया। राम ने विभिषण के साथ हमेशा ही सखा वाला व्यवहार रखा। दूसरी ओर श्रीराम ने सुग्रीव की रक्षा के लिए बालि का वध करके सुग्रीव को राजपाट सौंपा। इसके अलावा श्रीराम के मित्र निषादराज केवट भी थे। 
 
2. कृष्‍ण और सुदामा की मित्रता : सभी जानते हैं कि श्रीकृष्‍ण के बचपन के मित्र सुदामा थे। कृष्‍ण और सुदाम की मित्रता को कौन नहीं जानता है। जब सुदाम बहुत मुश्‍किल दौर से गुजरने लगे तो श्रीकृष्‍ण ने अपनी मित्रता का फर्ज निभाकर उनकी जिंदगी को बचाया और उन्हें एक समृद्ध जीवनशैली दी। कृ्‍ष्ण की अर्जुन और द्रौपदी से भी मित्रता थी। उन्होंने समय-समय पर इन दोनों का भी पूरा साथ दिया।  
 
3. कर्ण और दुर्योधन : कर्ण हमेशा से ही अपने परममित्र की तरफ से लड़ता रह। अपने मित्र के खातीर कर्ण ने युद्ध की आग में खुद को डालकर युद्धभूमि में वीरगति को प्राप्त किया। कर्ण ने हर कदम पर दुर्योधन का साथ दिया और उसकी हर बात का पालन किया। कर्ण को युद्ध के पहले यह सच पता चला कि पांडव उनके भाई है तब भी कर्ण ने दुर्योधन का साथ। दुर्योधन और कर्ण की मित्रता की गहराई का सुबूत देता है। 
 
4. शिव और विष्णु : भगवान शंकर और भगवान विष्णु में भी मित्रता का संबंध है। वे एक दूसरे के मित्र होने के साथ ही एक दूसरे के आराध्य भी हैं।
 
5. जटायु और दशरथ : रामायण में गिद्धराज जटायु की श्रीराम के पिता दशरथ के गहरी मित्रता थी। जब जटायु नासिक के पंचवटी में रहते थे तब एक दिन महाराज दशरथ एक पेड़ के नीचे साधना में लीन थे। तभी कुछ राक्षसों ने उन पर हमला करना चाहा तो ये उस समय जटायु ने ये देख लिया और राजा दशरथ को हानि पहुंचाने वाले राक्षसों से वे युद्ध करने लगे। इसके कुछ समय बाद जब दशरथ का ध्यानभंग हुआ तो देखा कि राक्षस और जटायु युद्ध कर रहे थे। फिर दशरथ ने भी अपने धनुष वाण से सभी राक्षसों का वध कर दिया। इस घटना के बाद दोनों एक दूसरे के मित्र बन गए। इसी जटायु ने सीता को बचाने के लिए रावण से युद्ध किया लेकिन रावण ने जटायु की हत्या कर दी।

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