कौन थी वो महिला जिसने आजादी से 40 साल पहले ही विदेश में फहरा दिया था भारत का झंडा

कौन थी भीकाजी कामा और कैसे दी थी उन्होंने अंग्रेजों को कड़ी चुनौती

WD Feature Desk
शुक्रवार, 2 अगस्त 2024 (17:00 IST)
Bhikaji Cama

15 अगस्त 1947 को हमारे देश भारत को अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली थी। यह दिन हर भारतवासी के लिए महत्वपूर्ण है। इस साल हमारा देश 74वं स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री लाल किले में ध्वाजोरोहण करते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी भारतीय महिला के बारे में बताएंगे, जिसने आजादी से 40 साल पहले ही विदेश में भारत का झंडा फहराकर अंग्रेजों को कड़ी चुनौती दी थी। यह झंडा 22 अगस्त 1907 को जर्मनी के स्टुटगार्ट नगर में सातवीं अंतरराष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस में फहराया गया था। हालांकि, उस समय तिरंगा झंडा वैसा नहीं था जैसा कि आज है।ALSO READ: 15 अगस्त: स्वतंत्रता दिवस पर जानें भारतीय तिरंगे का इतिहास

भीकाजी कामा:
दरअसल, हम जिस महिला की बात कर रहे हैं उनका नाम है भीकाजी कामा। वह भारतीय मूल की पारसी नागरिक थीं, जिन्होंने लंदन से लेकर जर्मनी और अमेरिका तक का भ्रमण कर भारत की स्वतंत्रता के पक्ष में माहौल बनाया था। भीकाजी द्वारा पेरिस से प्रकाशित होने वाला 'वन्देमातरम्' पत्र प्रवासी भारतीयों में काफी लोकप्रिय हुआ था।

भीकाजी कामा ने जिस झंडे को जर्मनी में लहराया था, उसमें देश के विभिन्न धर्मों की भावनाओं और संस्कृति को समेटने की कोशिश की गई थी। इस झंडे में इस्लाम, हिंदुत्व और बौद्ध मत को प्रदर्शित करने के लिए हरा, पीला और लाल रंग का इस्तेमाल किया गया था। साथ ही उसमें बीच में देवनागरी लिपि में 'वंदे मातरम' लिखा हुआ था।

क्या कहा था भीकाजी कामा ने:
भीकाजी कामा ने अंतरराष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस में दिए अपने भाषण में कहा था, 'भारत में ब्रिटिश शासन जारी रहना मानवता के नाम पर कलंक है। एक महान देश भारत के हितों को इससे भारी क्षति पहुंच रही है। उन्होंने सभा में मौजूद लोगों से भारत को दासता से मुक्ति दिलाने में सहयोग की अपील की थी और भारतवासियों का आह्वान करते हुए कहा था, 'आगे बढ़ो, हम हिंदुस्तानी हैं और हिंदुस्तान हिंदुस्तानी का है।'

भीकाजी कामा का जीवन: भीकाजी कामा का जन्म 24 सितंबर 1861 को बंबई (मुंबई) में हुआ था। उनके अंदर लोगों की मदद और सेवा करने की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। साल 1896 में मुंबई में प्लेग फैलने के बाद भीकाजी ने इसके मरीजों की सेवा की थी। हालांकि बाद में वह खुद भी इस बीमारी की चपेट में आ गई थीं, लेकिन इलाज के बाद वह ठीक हो गई थीं। 74 वर्ष की आयु में 13 अगस्त 1936 को यानी आजादी से कई साल पहले ही उनका निधन हो गया था।


सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Russia Ukraine War भयानक स्थिति में, ICBM से मचेगी तबाही, पुतिन के दांव से पस्त जेलेंस्की

IAS Saumya Jha कौन हैं, जिन्होंने बताई नरेश मीणा 'थप्पड़कांड' की हकीकत, टीना टाबी से क्यों हो रही है तुलना

जानिए 52 करोड़ में क्यों बिका दीवार पर डक्ट-टेप से चिपका केला, यह है वजह

C वोटर के एग्जिट पोल में महाराष्ट्र में किसने मारी बाजी, क्या फिर महायुति की सरकार

Russia-Ukraine war : ICBM हमले पर चुप रहो, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही रूसी प्रवक्ता को आया पुतिन का फोन

सभी देखें

नवीनतम

असम के CM हिमंत का बड़ा फैसला, करीमगंज जिले का बदला नाम

Share Bazaar में भारी गिरावट, निवेशकों के डूबे 5.27 लाख करोड़ रुपए

PM मोदी करेंगे संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष का शुभारंभ

सिंहस्थ से पहले उज्जैन को मिली 592 करोड़ की सौगात, CM यादव ने किया मेडिसिटी और मेडिकल कॉलेज का भूमिपूजन

LIVE: गुयाना की संसद के विशेष सत्र में बोले PM मोदी- 'यह पसीने और परिश्रम का है रिश्ता'

अगला लेख