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स्वतंत्रता दिवस पर निबंध: ऐसे लिखिए आजादी की गाथा जिसे पढ़कर हर दिल में जाग उठे देशभक्ति

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WD Feature Desk

, सोमवार, 11 अगस्त 2025 (16:02 IST)
essay on independence day in hindi: हर साल 15 अगस्त को, पूरा भारतवर्ष एक नई ऊर्जा और उत्साह के साथ स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाता है। यह वह दिन है जब हमारी मातृभूमि को लगभग 200 वर्षों की लंबी गुलामी के बाद ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आजादी मिली थी। राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले से लेकर देश के छोटे से छोटे गांव तक, हर जगह उत्साह का माहौल होता है। हर घर, हर स्कूल और हर सरकारी भवन पर हमारा गौरव, हमारा तिरंगा पूरे शान से लहराता है। यह जश्न सिर्फ एक छुट्टी नहीं है, बल्कि यह देश के उन असंख्य वीरों के बलिदान और संघर्ष को याद करने का दिन है, जिन्होंने अपने वर्तमान को हमारे भविष्य के लिए कुर्बान कर दिया।

संघर्ष और बलिदान की गाथा
भारत की स्वतंत्रता की यह यात्रा दशकों के अथक संघर्ष, यातना और बलिदान से भरी हुई थी। यह सिर्फ एक राजनीतिक लड़ाई नहीं थी, बल्कि यह हमारे आत्म-सम्मान, संस्कृति और पहचान को बचाने का युद्ध था। महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलन से लेकर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु जैसे क्रांतिकारियों की शहादत तक, हर एक प्रयास ने आजादी की लौ को जलाए रखा। रानी लक्ष्मी बाई की वीरता, सुभाष चंद्र बोस के 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' का नारा और सरोजिनी नायडू जैसी महिला नेताओं का योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के स्वर्णिम अध्याय हैं। इन सभी स्वतंत्रता सेनानियों ने एक ऐसे भारत का सपना देखा था, जहां हर नागरिक को समान अधिकार और सम्मान मिले। 15 अगस्त, 1947 को, उनका यह सपना साकार हुआ, और भारत के इतिहास में एक नए युग की शुरुआत हुई।

आज़ादी के बाद देश के सामने थीं ये चुनौतियां
आजादी मिलने के बाद, भारत के सामने जश्न के साथ-साथ कई बड़ी चुनौतियां भी थीं। सबसे बड़ा और सबसे दर्दनाक मुद्दा था भारत का विभाजन। लाखों लोगों ने अपने घर, परिवार और पहचान खो दी। सांप्रदायिक हिंसा, शरणार्थी संकट और देश को एकजुट रखने का कठिन कार्य तत्कालीन नेताओं के कंधों पर था। इसके अलावा, देश को गरीबी, निरक्षरता, भुखमरी और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी जैसी गंभीर समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा था। लगभग 500 से अधिक रियासतों को एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में एकीकृत करना, संविधान का मसौदा तैयार करना और एक मजबूत राजनीतिक और सामाजिक ढांचा स्थापित करना एक मुश्किल काम था।

स्वतंत्रता से अब तक भारत की उपलब्धियां
इन चुनौतियों के बावजूद, भारत ने पिछले 75 से अधिक वर्षों में एक लंबा और प्रभावशाली सफर तय किया है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, हमने हर नागरिक को वोट देने का अधिकार दिया और एक मजबूत संवैधानिक ढांचा स्थापित किया। आर्थिक मोर्चे पर, हमने एक पिछड़े देश से एक तेजी से उभरती हुई वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने तक का सफर तय किया है। कृषि के क्षेत्र में हरित क्रांति ने हमें खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में, इसरो (ISRO) ने अंतरिक्ष में कई कीर्तिमान स्थापित किए, और आज भारत का नाम विश्व की अग्रणी अंतरिक्ष शक्तियों में शामिल है। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जिससे साक्षरता दर और औसत जीवन प्रत्याशा में वृद्धि हुई है।

क्या है स्वाधीनता का सही अर्थ और जिम्मेदारी
स्वाधीनता का अर्थ केवल राजनीतिक गुलामी से मुक्ति नहीं है। यह अपने शासन में, अपनी नीतियों में, अपनी संस्कृति में और अपने विचारों में 'स्व' यानी स्वयं के अधीन होना है। महात्मा गांधी के शब्दों में, "सच्ची आजादी तब तक नहीं मिल सकती जब तक हम खुद को अपने ही स्वार्थों और सामाजिक बुराइयों की बेड़ियों से आजाद न कर लें।"

स्वतंत्रता एक अधिकार है, तो स्वाधीनता एक जिम्मेदारी है। यह जिम्मेदारी है देश के संविधान, उसकी अखंडता और लोकतंत्र की रक्षा करने की। यह जिम्मेदारी है हर नागरिक को शिक्षित, स्वस्थ और सशक्त बनाने की। हमें समझना होगा कि स्वतंत्रता हमें केवल अधिकार नहीं देती, बल्कि देश के प्रति हमारे कर्तव्यों का भी बोध कराती है। हमें अपने समाज से गरीबी, अशिक्षा, असमानता और भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे। यही सही मायनों में उन शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी, जिन्होंने हमें यह आजादी दिलाई।

कैसे तय होगा आगे का सफर
आज का युवा देश का भविष्य है। वह पीढ़ी जिसके हाथों में भारत का भविष्य है। यह युवा पीढ़ी न केवल आधुनिक चुनौतियों को समझने में सक्षम है, बल्कि उनके पास उन्हें सुलझाने की क्षमता भी है। आज जब हम प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं, तो यह आवश्यक है कि हम अपनी टेक्नोलॉजी और संस्कृति को साथ लेकर चलें। टेक्नोलॉजी हमें वैश्विक मंच पर मजबूती देती है, जबकि हमारी संस्कृति हमारी जड़ों को मजबूत रखती है। युवा पीढ़ी को आधुनिकता को अपनाते हुए भी अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, कला, संगीत और परंपराओं को सहेजना और बढ़ावा देना होगा। डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया जैसे अभियान युवाओं को नवाचार के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, जिससे वे न केवल अपनी बल्कि देश की प्रगति में भी योगदान दे सकें।

उपसंहार
स्वतंत्रता दिवस हमें सिर्फ आजादी का जश्न मनाने का अवसर नहीं देता, बल्कि यह हमें हमारे कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की भी याद दिलाता है। यह दिन हमें उन वीरों के बलिदानों को याद रखने, वर्तमान की उपलब्धियों पर गर्व करने और एक ऐसे भविष्य के लिए मिलकर काम करने की प्रेरणा देता है, जहां हर भारतीय को शिक्षा, स्वास्थ्य, सम्मान और समृद्धि मिले। आइए, हम सब मिलकर एक मजबूत, समृद्ध और समावेशी भारत का निर्माण करने का संकल्प लें, ताकि हमारे पूर्वजों का सपना साकार हो सके।


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