हिन्द के इतिहास का स्वर्णिम दिवस- 15 अगस्त

श्रीमती इन्दु पाराशर
आज का दिन!
हिन्द के इतिहास का
सबसे सुनहरा दिवस प्यारा!
आज का दिन!
 
देश मेरा! जो धरा पर
था प्रखर मार्तण्ड सा।
पर ग्रसित था
गहन कारा में अंधेरे की।
पराश्रित था, विवश था,
काटकर बंधन,
इसे आजाद करने को,
सपूतों ने यहां पर,
प्राण की बाजी लगा दी।
देश की परतंत्रता को, तोड़ने को,
अनगिनत वीरों ने, अपनी,
बलि चढ़ा दी। 
 
आज के ही दिन।
तिमिर की कोख से
झेलकर के क्रांति की
वह प्रसव पीड़ा,
फिर उगा था सूर्य
आजादी का नभ में
फिर मिला था हमें
वापस देश अपना।
 
आज के दिन!
उन शहीदों को जरा
हम याद कर लें।
दें उन्हें श्रद्धा-सुमन,
कुछ प्रार्थना, फरियाद कर लें।
उन शहीदों को,
जरा हम याद कर लें।
 
आज का दिन!
गर्व और गौरव भरा है।
आज आजादी का जन्मोत्सव यहां पर।
आज इस स्वर्णिम दिवस पर,
पास आओ।
सब सिमट जाओ!
बनो सब एक!
 
दो वचन!
हम प्राण देकर भी
बचाएंगे यहां की एकता को,
हम कभी बंटने न देंगे,
देश को, इंसानियत को,
वास्ता है अन्न का, जल का हमें, हम चुकाएंगे
धरा-ऋण प्राण देकर।
 
साभार - बच्चो देश तुम्हारा 
 
वंदे मातरम
 

 
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