लगे जैसे भारत और चीन एक

मकाऊ-हांगकांग डायरी पार्ट:2

Webdunia
- आलो क मेहत ा

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हमने सितारों की बाजी की जीत-हार का हिसाब मुंबई से पहुँचे सहयोगी सुमंत मिश्र के जिम्मे कर दिया। सिनेमा के जरिए रिश्ते इसमें कोई शक नहीं कि सिनेमा और पर्यटन से विभिन्न देशों के रिश्ते मजबूत होते हैं। भारतीय मनोरंजन उद्योग- सिनेमा और मीडिया को लेकर आइफा के अवसर पर हुई संगोष्ठी में बहुत महत्वपूर्ण और दिलचस्प बातें निकलीं।


भारतीय फिल्म निर्माता-निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा, रमेश सिप्पी, हांगकांग के फिल्म निर्माता फ्रेड यांग ने माना कि भारतीय निर्माता सिनेमा का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार ठीक से नहीं कर पा रहे हैं।

उन्हें हॉलीवुड से अभी बहुत सीखना चाहिए। फे्रड यांग का कहना था कि गौतम बुद्ध आज भी प्रासंगिक हैं। उनके जीवन-विचारों पर आधारित फिल्मों से भारत और चीन अधिक नजदीक आ सकते हैं। राकेश मेहरा की राय में यह बहुत उपयोगी नहीं है।

वे समाज को जोड़कर बड़े केनवास को महत्वपूर्ण मानते हैं। सच भी है - पुरानी सारी कटुता के बावजूद भारत और चीन के लोगों के दुःख-दर्द, सामाजिक-सांस्कृतिक सरोकार बहुत मिलते हैं। इस बात की पुष्टि हांगकांग में पली-बढ़ी अभिनेत्री नादिया हट्टा से मिलने और बात करने से होती है। नादिया अच्छी कलाकार हैं, संगीत जानती हैं। कभी पूर्वजों का रिश्ता भारत और इंडोनेशिया से रहा। अब फिल्मों में अभिनय के साथ नादिया योग-प्रशिक्षण का काम जोर-शोर से कर रही हैं।

भारत का असर यह भी है कि इंडोनेशियन और चीनी पृष्ठभूमि के बावजूद शुद्ध शाकाहारी हैं। हमारे ऑस्कर विजेता रसूल-पोकुट्टी से भेंट होने पर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों पर बातें करने लगती हैं। फिर चीन स्थित भारतीय राजदूत निरुपमा राव से भारत-चीन के रिश्तों की मजबूती पर बातें करने लगती हैं। सिनेमा और टी.वी ने नादिया जैसे लाखों लोगों को भारत के प्रति आकर्षित किया है।

रोल 'स्टार' का :
आइफा अवार्ड उत्सव की सफलता-असफलता, खेमेबाजी, पक्षपात और आमदनी की चर्चा मुंबई के पत्रकार करते रहेंगे। हमारी रुचि सकारात्मक पहलुओं में है। भारत में टी.वी. चैनल स्टार इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी उदय शंकर बीस-बाईस साल पहले तेज-तर्रार युवा पत्रकार के रूप में सहयोगी रहे हैं। उनके स्नेहमय निमंत्रण ने मकाऊ जाने का अवसर बना दिया। उदय शंकर से बात हुई तो पता चला कि आइफा अवार्ड के टी.वी. कवरेज ने बॉलीवुड को दुनिया के करोड़ों लोगों के घरों तक पहुँचा दिया है।

एशिया में ही नहीं, अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका और लातिन अमेरिका में भी भारतीय गीत-संगीत और सितारों की माँग बढ़ रही है। केवल एशिया में स्टार टी.वी. 13 भाषाओं में 53 देशों के 300 करोड़ लोगों तक पहुँचता है। आइफा अवार्ड के बड़े साझेदार वीडियोकॉन के प्रमुख पी.एन. धूत इस चकाचौंध और कंपनी का करोड़ों रुपया खर्च करने के बावजूद भारत का डंका बजने से प्रसन्न हैं। दो बार इटली की यात्राओं में उनसे लंबी बातचीत के अवसर मिले थे।

यहाँ मकाऊ में तो और गर्मजोशी से मिलते हैं। उन्हें तो भारत, इटली, चीन के लोग परिवार की तरह लगते हैं। फिल्मी सितारों को मंच पर सम्मानित करने के साथ मकाऊ-हांगकांग, बैंकॉक, जकार्ता तक से आए सामान्य लोगों से मिलते हुए उन्हें अपार हर्ष का अनुभव होता है। मुझे यह देखकर अच्छा लगा कि अमिताभ, प्रदीप धूत व उदय शंकर पूरी दुनिया में भारत की इज्जत बढ़ा रहे हैं। वे गलियाँ-चौराहे मकाऊ के होटल कितने भव्य हों, असल में है तो एक प्राचीन-सा कस्बा।

तंग गलियाँ, रिक्शे, साइकिल, मोटरसाइकिल, बस और कारों में भागते लोग। होटल से थोड़ा आगे बढ़कर टैक्सी रोककर बैठ गया। ड्राइवर महाशय से कहा- 'सिटी सेंटर'। ड्राइवर ने इशारों और टूटी-फूटी भाषा में बार-बार पूछना शुरू किया- 'जाना कहाँ है?' फिर समझाया- 'मकाऊ सिटी सेंटर, मेन सिटी, सिटी मार्केट।' 'नो आई डोंट नो इंग्लिश।' टैक्सी के साथ मीटर चलता रहा। खैरियत यही समझी कि उसे सीधे चलते रहने दो। कहीं कोई बड़ी इमारत, बाजारनुमा जगह दिखेगी, वहीं उतर जाएँगे।

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