नचि‍केता को बचाने पाकिस्‍तान में घुस गए थे अजय आहूजा, दुश्‍मन ने दि‍या ‘कोल्ड ब्लडेड मर्डर’ को अंजाम, लेकि‍न देश को याद है शहादत

नवीन रांगियाल
1999 में कारगि‍ल वॉर में इंडि‍यन आर्मी ने पाकिस्‍तानी सैनिकों को  चुन-चुनकर तो मारा ही था, लेकिन कुछ भारतीय जांबाज ऑफि‍सर ऐसे भी थे जो पाकिस्‍तानी सीमा में घुसकर वहां भी आतंक मचाने का हौंसला रखते थे।

स्‍क्‍वाड्रन लीडर अजय आहूजा एक ऐसा ही नाम थे। हालांकि वे विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान की तरह अपने वतन वापस लौट नहीं सकें। लेकिन अपने साथी को बचाने में उनकी शहादत को हमेशा याद रखा जाएगा।

वो 27 मई 1999 का दिन था जब बटालिक क्षेत्र में दुश्मन के ठिकानों की खोज में मिशन बनाकर भारतीय सेना ने 2 एयक्राफ्ट उड़ाने की प्‍लानिंग की। प्‍लानिंग के मुताबि‍क दोनों एयरक्राट खोज में निकले। एक में फ्लाइट लेफ्ट‍िनेंट नचि‍केता सवार थे। उड़ान के कुछ समय बाद सूचना मि‍ली कि मुंथो ढालो के नजदीक फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता विमान MIG-27 से इजेक्ट कर गए हैं।

दरअसल, फ्लाइट-लेफ्टिनेंट नचिकेता को आग लगने के कारण अपने  विमान को छोड़ना पड़ा था। उनके पास कोई चारा नहीं था इसलि‍ए वे पैराशूट की मदद से पाकिस्‍तानी सीमा में कूद गए।

स्‍क्‍वाड्रन लीडर अजय आहूजा को अंदाजा हो गया था कि नचि‍केता किसी मुश्‍क‍िल में फंस गए हैं।

उन्‍होंने तुरंत अपने मिशन में बदलाव करते हुए नचिकेता की खोज शुरू कर दी। उनके पास उस वक्‍त दो ही ऑप्‍शन थे। या तो वे अपनी जान बचाकर सुरक्षित एयरबेस की तरफ लौट आए। या फि‍र नचिकेता के पीछे जाए और उन्‍हें खोजे। उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर दूसरा रास्ता चुना। इसके बाद वे मुंथो ढालो की ओर बढ़ गए।

मुंथो ढालो में पाकिस्‍तानी सेना की तरफ से जमीन से हवा में मिसाइलें दागी जा रही थीं। लेकिन अजय डरे नहीं, वे लगातार नचि‍केता को खोजते रहे। लेकिन इस खोज में वे पाकिस्‍तानी सैनि‍कों के नि‍शाने पर आ चुके थे।

इसी बीच उनके विमान पर जमीन से हवा में मार करने वाली एक मिसाइल से हमला किया गया। वे मिसाइल से भी बच गए, लेकिन उनके वि‍मान में आग लग गई थी। इंजन में आग लगने के कारण स्क्वाड्रन लीडर आहूजा के पास इजेक्ट करने के अलावा कोई दूसरा विकल्‍प नहीं था। उन्‍हें पाकिस्‍तानी सीमा में कूदना पड़ा।

इंडियन एयरबेस वायरलेस में उनके आखिरी शब्द गूंजे थे, उन्‍होंने कहा था-
हर्कुलस, मेरे प्लेन से कोई चीज टकराई है, हो सकता है कि यह एक मिसाइल हो, मैं प्लेन से इजेक्ट हो रहा हूं

देर रात को तय हो गया कि अजय आहूजा शहीद हो चुके हैं। जब पाकिस्तान ने उनका शव सौंपा तो पता चला कि उनकी मौत प्लेन से कूदने की वजह से नहीं, बल्कि बहुत पास से गोली मारने से हुई थी। उनके एक पैर में कूदने की वजह से फैक्‍चर हुआ था, लेकिन वे वि‍मान से जिंदा उतरे थे। गनशॉट से पता चला कि उन्‍हें उतरने के बाद गोली मारी गई। अजय आहूजा की मौत ‘कोल्ड ब्लडेड मर्डर’ थी।

हालांकि फ्लाइट लेफ्ट‍िनेंट नचिकेता 8 दिन बाद पाकिस्‍तानी कैद से सुरक्षित भारत लौट आए थे। स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा को 15 अगस्त, 1999 को मरणोपरांत 'वीर चक्र' से सम्मानित किया गया।

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