दाल-बाटी, चूरमा से लगाएं नागदेवता को भोग, देंगे शुभाशीष, पढ़ें विधि

राजश्री कासलीवाल
Indian Traditional Food
 
पौराणिक मान्यता के अनुसार नागपंचमी के दिन गैस की आंच पर तवा नहीं रखा जाता है। अत: इस दिन अधिकतर घरों में दाल-बाटी और चूरमा बनाकर नाग देवता और शिवजी को भोग लगाया जाता है। यहां पढ़ें दाल-बाटी, चूरमा बनाने की आसान विधि : 
नागपंचमी पकवान : 
 
बाटी की सामग्री :
500 ग्राम गेहूं आटा, 1 बड़ा चम्मच तेल/घी (मोयन के लिए), 1 चम्मच अजवाइन, 1 चम्मच सौंफ, एक छोटा चम्मच शकर, नमक, शुद्ध घी (बाटी परोसने के लिए)।
 
दाल की सामग्री : 
250 ग्राम तुवर दाल, 2 टमाटर, 2 प्याज, 2 हरी मिर्च, 3-4 लहसुन कली, 1 टुकड़ा अदरक, 1 चम्मच किसा नारियल, 1 चम्मच लाल मिर्च पावडर, पाव चम्मच हल्दी, 2 बड़े चम्मच तेल, खड़ा धनिया, चुटकी भर हींग, नमक, 2 चम्मच शक्कर, एक नींबू का रस, हरा धनिया।
 
बाटी बनाने की विधि :
नागपंचमी का पारंपरिक व्यंजन दाल-बाटी बनाने के लिए सबसे पहले गेहूं का आटा छान लें। अब आटे में उपरोक्त सामग्री ‍डालकर मिक्स कर लें और गुनगुने पानी से गूंथ लें। 15-20 मिनट तक रखे रहने दें। उसके बाद आटे की गोल-गोल बाटियां बना कर गरम ओवन में रख दें। हर थोड़ी-थोड़ी देर में बाटी को पलटती रहें, ताकि बाटी जल न जाएं। धीमी आंच पर बाटी को गुलाबी होने तक सेकें। बाटी सिकने तक दाल व हरी चटनी तैयार कर लें। 
 
दाल बनाने की विधि :
कुकर में दाल को धोकर 2-3 सीटी आने तक पकाएं। अब हरी मिर्च, अदरक, टमाटर, लहसुन व प्याज की प्यूरी बना लें। तेल गर्म करके उसमें राई-जीरा, खड़ा धनिया, हींग, नारियल बूरा डालें। अब प्यूरी डालकर भून लें। लाल मिर्च, हल्दी डालकर ग्रेवी तैयार बना लें और उबली दाल डालें।

अब नमक, नींबू का रस अथवा टाटरी और शक्कर डाल दें। अच्छी तरह 5-7 उबाली लें और ऊपर से हरा धनिया बुरक कर गैस बंद कर दें। लीजिए तैयार है बाटी के साथ खाने के लिए लजीज दाल। अब एक बर्तन में घी पिघला लें और बाटी को हाथ से दबाकर फोड़ लें। उसमें बाटी डुबोकर दाल, हरी चटनी और चूरमे के साथ गरमा-गरम सर्व करें।

Nagpanchami churma laddu
 
चूरमा या लड्‍डू
 
सामग्री : 
आटा 500 ग्राम, 400 ग्राम पिसी चीनी (बूरा), 100 ग्राम मावा, 100 ग्राम मिश्री, 1/2 चम्मच केसर, 2 चम्मच पिसी छोटी इलायची, पाव कप पिस्ता, घी आवश्यकतानुसार, 1 चम्मच गुलाब जल।
 
विधि : 
चूरमा-लड्‍डू के लिए सबसे पहले गेहूं के आटे में घी का अच्छा मोयन देकर कड़ा सान लें। फिर इसकी मुठियां बना लें। एक कड़ाही में घी गर्म करके बादामी तल लें। तत्पश्चात इन्हें हाथ से मसल कर बारीक कर लें, फिर मोटी चलनी से छान लें। अगर हाथ से नहीं मसल सकते तो इमाम दस्ते में कूटकर छान लें। शेष बचे मोटे टुकड़ों को फिर से कूटकर छान लें। 
 
अब पिस्ता उबलते पानी में 2-3 मिनट रखकर निकाल लें। इन्हें छीलकर लंबे-लंबे महीन काट लें। मिश्री को दरदरा कर लें। केसर को गुलाब जल में घोटकर चीनी में मिला दें। मावे को मोटी चलनी से छानकर, मंदी आंच पर गुलाबी होने तक सेक लें। फिर इसमें गर्म करके ठंडा किया हुआ (100 ग्राम) घी मिला दें। अब छने हुए मुठियां (आटे का तैयार किया हुआ मुठियां का बुरा) में मावा, चीनी, पिसी इलायची व पिस्ता की कतरन मिला दें। लो तैयार हो गया पारंपरिक शाही चूरमा। अब नागपंचमी पर नाग देवता को प्रसाद चढ़ाकर खुद भी खाएं और परिवार वालों को भी खिलाएं। 
 
नोट : यदि चाहें तो चूरमा के लड्डू बांध लें या चूरमे को ऐसे ही परोसें।
 
हरी चटनी कैसे बनाएं : 
 
एक बड़ी कटोरी कटा हुआ हरा धनिया लेकर धोकर अलग रख लें। अब मिक्सी के छोटे जार में 2-3 हरी मिर्च टुकड़े करके डाल दें। उसके साथ ही थोड़ा-सा जीरा और नमक डालें और हरी मिर्च को पीस लें। हरी मिर्च पीसने के पश्चात उसमें हरा धनिया डालें और बारीक महीन पीस लें। अब ऊपर से आधे नींबू का रस डालें और फिर 1-2 बार चटनी को मिक्सी में चला लें। लीजिए तैयार है आपकी ताजातरीन हरी चटनी।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सावन माह में क्या खाएं और क्या नहीं?

वेट लॉस में बहुत इफेक्टिव है पिरामिड वॉक, जानिए चौंकाने वाले फायदे और इसे करने का तरीका

सावन में रचाएं भोलेनाथ की भक्ति से भरी ये खास और सुंदर मेहंदी डिजाइंस, देखकर हर कोई करेगा तारीफ

ऑफिस में नींद आ रही है? जानिए वो 5 जबरदस्त ट्रिक्स जो झटपट बना देंगी आपको अलर्ट और एक्टिव

सुबह उठते ही सीने में महसूस होता है भारीपन? जानिए कहीं हार्ट तो नहीं कर रहा सावधान

सभी देखें

नवीनतम

फाइबर से भरपूर ये 5 ब्रेकफास्ट ऑप्शंस जरूर करें ट्राई, जानिए फायदे

सावन में नॉनवेज छोड़ने से शरीर में आते हैं ये बदलाव, जानिए सेहत को मिलते हैं क्या फायदे

सावन में कढ़ी क्यों नहीं खाते? क्या है आयुर्वेदिक कारण? जानिए बेहतर विकल्प

हर किसी के लिए सुरक्षित नहीं होता आइस बाथ, ट्रेंड के पीछे भागकर ना करें ऐसी गलती

विश्व जनसंख्या दिवस 2025: जानिए इतिहास, महत्व और इस वर्ष की थीम

अगला लेख