भारत का पश्‍चिम बंगाल : कला, संस्कृति, अध्यात्म और क्रांति की जन्मभूमि

अनिरुद्ध जोशी
भारतीय धर्म, कला, संस्कृति, अध्यात्म, दर्शन, तंत्र मार्ग और काला जादू की भूमि बंगाल क्रांतिकारियों की भी जन्मभूमि रही है। बंगाल के बारे में जितना कहा और लिखा जाए उतना कम है, परंतु बंगाल का विभाजित हो जाना भारत का सबसे बड़ा नुकसान रहा। मुगल और अंग्रेज काल में सबसे ज्यादा आंदोलन और विद्रोह बंगाल में हुए। 1757 में प्लासी के विद्रोह से लेकर 1905 के बंग-भंग आंदोलन तक बंगाल ने बहुत कुछ सहा। बंगाल ने इस देश को बहुत कुछ दिया। आओ जानते हैं भारत के पश्चिम बंगाल (बंग्लादेश नहीं) के संबंध में संक्षिप्त जानकारी।
 
 
बंगाल के शासक : वैसे तो प्राचीनकाल में बंगाल शैव, शाक्त और बौद्ध संप्रदाय का गढ़ रहा है। यहां पर रामायण और महाभारत काल के राजाओं का राज रहा है। इसके बहुत समय बाद यहां पर पाल और सेन राजाओं के राज्य के बाद मुस्लिम आक्रांताओं ने शासन किया जिसमें इलियास वंश के बाद बायाजिद, गणेश, हाबिस, हुसेन वंश चला। इसके बाद शूरवंश और काररानि वंश के बाद मुगल शासकों का राज प्रारंभ हुआ। फिर बंगाल में नवाबों का शासन चला जिसमें अंतिम शासक सिराजुद्दौला था जिसने अंग्रेजों को भीतर आने दिया और बाद में अंग्रेजों ने उसी का शासन पलट दिया। ब्रिटिश काल में ही बंगाल का विभाजन हुआ और भारत के विभाजन के बाद बांग्लादेश बना। ब्रिटिश काल का अंतिम नवाब सइफ उद दौला था। इतने लंबे समय से मुस्लिम शासन के चलते बंगाल के आधे लोग मुस्लिम बन चुके थे और ब्रिटिश शासन के चलते लाखों लोग ईसाई बन चुके थे। बाद में मरद टेरेसा के प्रचार के चलते बंगालियों का ईसाई धर्म की और रुझान बढ़ा और इस तरह बंगाल बहुधर्मी राज्य बन गया।
 
बंगाल विभाजन : वैसे तो बंगाल का विभाजन अंग्रेजों द्वारा 1905 में ही धर्म के आधार पर कर दिया गया था परंतु 1947 में इसके विभाजन को पक्का कर दिया गया। पूर्वी बंगाल पाकिस्तान का हिस्सा बना और पश्‍चिम बंगाल भारत का। इसके बाद 1971 में पूर्वी बंगाल एक आजाद देश बाना जिसका नाम बांग्लादेश रखा गया।
 
बंगाल के प्रसिद्ध संत : बंगाल में कई महान क्रांतिकारी संत हुए हैं। चैतन्य महाप्रभु, स्वामी प्रणवानंद, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविंद, कृतिवास, बाउल संत, प्रभु जगत्बंधु,  का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। इसके अलावा युक्तेश्वर गिरि, योगी श्यामाचरण लाहिड़ी, स्वामी योगानंद और प्रभात रंजन सरकार ऊर्फ आंनदमूर्ति भी बंगाल में सक्रिय रहे हैं।
 
बंगाल के शक्तिपीठ : 52 शक्तिपीठों में से बांग्लादेश में 4 और बंगाल में लगभग 12 से 13 शक्तिपीठ विद्यमान हैं। अधिकतर शक्तिपीठ बंगाल में ही विराजमान हैं क्योंकि प्राचीन काल से ही बंगाल शाक्त और तंत्र मार्ग का गढ़ रहा है। नवरात्रि में दुर्गा पूजा बंगाल का प्रमुख त्योहार है। 
 
बंगाल की प्रमुख नदियां : मोटे तौर पर 80 से अधिक छोटी-बड़ी नदियां बंगाल से होकर बहती हैं। इनमें से प्रमुख नदियों की संख्या करीब 19 है जिनके नाम बांसलोई, पगला, मयुराक्षी, अजय, जालंगी, चुर्नी, दामोदर, द्वारकेश्वर, कंसाई, भागीरथी, पद्मा, तिस्ता, महानंद, तोरषा आदि हैं। गंगा पश्चिम बंगाल की प्रमुख नदी है। यह झारखण्ड के रास्ते पश्चिम बंगाल में प्रवेश करती है। आगे चलकर गंगा नदी का नाम हुगली हो जाता है। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता हुगली नदी के किनारे ही बसा हुआ है। वहीं, भागीरथी नदी मुर्शिदाबाद जिले के मीठापुर गांव में गंगा से कटकर निकलती है। यह दक्षिण की तरफ बहती हुई सागरद्वीप के पास बंगाल की खाड़ी में समा जाती है।
 
 
पश्चिम बंगाल के प्रमुख पूजा स्थल : बंगाल के प्रमुख मंदिरों में कालीघाट का कालिका माता का मंदिर कोलकाता, दक्षिणेश्वर काली मंदिर कोलकाता, हंसेश्‍वरी मंदिर बांसबेरिया, त्रिपुर सुंदरी मंदिर गारिया, कनक दुर्गा मंदिर मिदनापुर, तारापीठ मंदिर बीरभूमि, कृपामयी काली मंदिर 24 परगना बारानगर, खप्पा ताल मंदिर मालो पाडा, रामपारा काली मंदिर कालीबाड़ी, किरीतेश्वरी मंदिर मुर्शिदाबाद। यह तो सभी कालिका माता के मंदिर थे। इसके अलावा हुगली के तट पर तारकेश्वर मंदिर, श्रीरामकृष्ण मठ, हंगेश्वरी मंदिर, हुगली इमामबाड़ा और बैंडेल चर्च को देखा जा सकता है।
 
 
पश्‍चिम बंगाल के प्रमुख स्थल : पश्चिम बंगाल में घुमने के लिए खास जगह हैं- कोलकाता, दीघा (मिदनापुरे), बाक्‍ख़ाली सी रिजॉर्ट, सागर द्वीप और सुंदरबन्‍स (साउथ 24 परगना), बंदेल, ताराकेश्‍वर, कमरापुकार (हुगली), गधियारा (हावड़ा), शांति निकेतन और बकरेश्‍वर (बिरभूम), दुर्गापुर (बर्दवान), मुकुटमणिपुर और विष्‍णुपुर (बाकुरा), अयोध्‍या पर्वत (पुरुलिया), मुर्शिदाबाद, गौर, पडुवा (मालदा), दार्जिलिंग, मिरिक, कलिंपोंग, संदाकफू और फलूत तथा कुर्सेयॉग (दार्जिलिंग) जलदापारा और डूअर्स (जलपाईगुड़ी)। उक्त स्थानों पर आपको सबकुछ देखने को मिलेगा। खासकर आप कोलकाता, दार्जिलिंग, सुंदरबन नेशनल पार्क, मुर्शिदाबाद और सैंडकफू ट्रेक खास है।
 
 
बंगाल के प्रसिद्ध लोग : बंगाल में हजारों कवि, साहित्यकार, सिनेमाकार, प्रसिद्ध नेता आदि हुए हैं जिन्होंने भारत का नाम विश्‍व में प्रसिद्ध किया है। आधुनिक काल में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, मलय रायचौधुरी, देबी राय, सुबिमल बसाक, समीर रायचौधुरी, रविंद्रनाथ टेगोर प्रमुख कविगण रहे हैं। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, जगदीश चन्द्र वसु (बोस), सत्यजित राय, तपन सिन्हा, मृणाल सेन और अपर्णा सेन, बिधान चन्द्र राय, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय, रवीन्द्र नाथ ठाकुर (टैगोर), सत्येन्द्र नाथ बोस, महाश्वेता देवी, राजा राममोहन राय, सौरभ गांगुली, शर्मिला टैगोर, अमर्त्य सेन, खुदीराम बोस, भूदेव मुखोपाध्याय आदि अनेक महान लोग हुए हैं। आजाद भारत में ज्योति बसु ने बहुत समय तक शासन किया उसके बाद ममता बनर्जी ने राज्य की कमान संभाल रखी है। मोहन बगान एवं ईस्ट बंगाल जैसी टीम इसी प्रदेश से हैं।

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