यादव के बेटे तेज प्रताप के 'जयचंद' जिक्र का क्या है मतलब, जानें क्यों गद्दारों को कहा जाता है 'जयचंद'

WD Feature Desk
बुधवार, 4 जून 2025 (17:42 IST)
why is traitor called jaichand: लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव अपने बयानों और सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर लगातार सुर्खियों में बने रहते हैं। हाल ही में, उन्होंने अपने पिता लालू यादव और छोटे भाई तेजस्वी यादव के लिए सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट किए, जिनमें उन्होंने बार-बार 'जयचंद' शब्द का जिक्र किया। इन पोस्ट में तेज प्रताप ने अपने परिवार और पार्टी में मौजूद कुछ ऐसे लोगों पर निशाना साधा, जिन्हें वे लालची और धोखेबाज मानते हैं। उन्होंने लिखा, "पापा आप नहीं होते तो ना ये पार्टी होती और ना मेरे साथ राजनीति करने वाले कुछ 'जयचंद' जैसे लालची लोग।" उन्होंने अपने भाई तेजस्वी से भी कहा, "मेरे भाई मम्मी पापा का ख्याल रखना, 'जयचंद' हर जगह है अंदर भी और बाहर भी।" तेज प्रताप का यह 'जयचंद' वाला बयान सोशल मीडिया पर खूब चर्चा का विषय बना हुआ है। हर कोई जानना चाहता है कि आखिर ये 'जयचंद' कौन था और क्यों धोखेबाजों या गद्दारों को इस नाम से पुकारा जाता है।

कौन थे जयचंद?
राजा जयचंद गढ़वाल वंश (गहरवार राजवंश) के एक शक्तिशाली शासक था। उन्होंने 1170 से 1194 ईस्वी तक शासन किया। उन्हें भारतीय इतिहास में अक्सर एक गद्दार के रूप में देखा जाता है। उनकी बेटी संयोगिता और दिल्ली के सम्राट पृथ्वीराज चौहान की प्रेम कहानी इतिहास में काफी प्रसिद्ध है।

पृथ्वीराज चौहान और जयचंद के बीच गहरी दुश्मनी थी। बताया जाता है कि पृथ्वीराज चौहान ने स्वयंवर से जयचंद की बेटी संयोगिता का अपहरण कर लिया था, जिससे जयचंद और भी क्रोधित हो गए थे। इसी दुश्मनी और बदले की भावना के चलते, जयचंद ने एक ऐसा कदम उठाया जिसने भारतीय इतिहास की धारा ही बदल दी।

क्यों गद्दारों को कहा जाता है 'जयचंद'?
इतिहासकारों के अनुसार, राजा जयचंद ने अपनी निजी दुश्मनी को भुलाकर नहीं, बल्कि उसे और बढ़ाने के लिए एक बड़ी गलती की। उन्होंने मोहम्मद गौरी जैसे विदेशी आक्रांता से हाथ मिला लिया, जो भारत पर हमला करने की फिराक में था।

1191 में, तराइन के पहले युद्ध में पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को बुरी तरह हराया था। लेकिन, 1192 में, जब तराइन का दूसरा युद्ध हुआ, तो कहा जाता है कि जयचंद ने पृथ्वीराज चौहान के खिलाफ मोहम्मद गौरी का साथ दिया। इस विश्वासघात के कारण, पृथ्वीराज चौहान को इस युद्ध में हार का सामना करना पड़ा और उन्हें बंदी बना लिया गया या मार दिया गया।

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इस घटना के बाद, भारत में मुस्लिम शासन की नींव पड़ गई। इसी कारण, राजा जयचंद का नाम इतिहास में विश्वासघात और गद्दारी का पर्याय बन गया। जब भी कोई व्यक्ति अपने देश, समाज या परिवार के साथ विश्वासघात करता है, तो उसे 'जयचंद' कहकर संबोधित किया जाता है। यह नाम उस व्यक्ति के लिए इस्तेमाल होता है जो अपने स्वार्थ के लिए अपनों को धोखा देता है या दुश्मनों से मिल जाता है।

 
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