महाकुंभ में साधु-संतों ने निकाली पेशवाई, विदेशी और किन्नर अखाड़े बने आकर्षण का केंद्र

हिमा अग्रवाल
शनिवार, 14 दिसंबर 2024 (19:01 IST)
Prayagraj Mahakumbh 2025 : प्रयागराज 2025 महाकुंभ का प्रारंभ अखाड़ों के साधु-संतों के जत्थों के साथ औपचारिक प्रवेश शुरू हो गया है। संन्यासी परंपरा के सबसे बड़े जूना अखाड़े के पेशवाई अपने शाही ठाठ-बाट के साथ महाकुंभ स्थित छावनी में रहेंगे। जूना अखाड़े की पेशवाई गाजे-बाजे के साथ शक्ति प्रदर्शन करते हुए निकली। इस दौरान जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर अपने रथों पर सवार हुए तो कई चर्चित साधु-संत पेशवाई में शामिल होकर छावनी की तरफ बढ़ रहे हैं, वहीं नागा साधुओं ने अपने रणकौशल का परिचय तलवार और लाठियां चलाकर दिया।

कुंभ में हाथी, घोड़े और रथों पर सवार होकर अखाड़ों की जो यात्रा निकाली जाती है उसे 'पेशवाई' कहा जाता है। शाही स्नान के लिए जाते समय चमचमाती तलवारें और नागा साधुओं की रस्में, बैंडबाजों की थाप पर झूमते-नाचते साधु-संत महाकुंभ के आकर्षण का केंद्र बनते हैं।

विश्व प्रसिद्ध महाकुंभ 13 जनवरी से प्रारंभ होगा, लेकिन उससे पहले ही साधु-संतों का जमावड़ा प्रयागराज में शुरू हो गया है। आज श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े की यात्रा छावनी की तरफ चल दी है, इस यात्रा में देश के कई राज्यों और विदेशों के साधु-संत शामिल हैं। माना जा रहा है कि 5000 साधु-संत छावनी में प्रवेश कर गए हैं। इस दौरान वह गाजे-बाजे की मस्ती से झूमते-नाचते आगे बढ़ रही है।

जूना अखाड़े की यात्रा में किन्नर अखाड़ा और किन्नर अखाड़े की साध्वी भी पेशवाई में शामिल होकर कुंभ में आज प्रवेश कर गई हैं। महाकुंभ को लेकर किन्नर साध्वी भी उत्साहित हैं। जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर का कहना है कि महाकुंभ का इंतजार रहता है, यह वह समय होता है जब सभी लोग एक स्थान पर रहकर एक अवधि में भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं। प्रयागराज महाकुंभ के दौरान साधु-संत यहां पर रहकर कठिन तपस्या, साधना और जप करेंगे।

महाकुंभ के दौरान तीन मुख्य स्नान मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी पर शाही स्नान का पुण्य लाभ कमाएंगे।प्रयागराज की सड़कों पर पेशवाई का आगाज देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी हुई है। आम जनता इस मोहक दृश्य को मोबाइल में कैद कर रही है तो वहीं साधु-संत भी इस यादगार पलों को मोबाइल में कैप्चर करते नजर आए।

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