Sadhguru jaggi vasudev : भारत के मोस्ट पापुलर संत सद्गुरु जग्गी वासुदेव एक योग टीचर एवं आध्यात्मिक गुरु हैं, जो दुनियाभार में जाने जाते हैं। उनके चाहने वाले लोगों का बहुत बड़ा वर्ग है, लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे उनके इन 5 सीक्रेट्स को। आओ जानते हैं कि आखिर क्या रस्य है सद्गुरु के बारे में।
सद्गुरु जग्गी वासुदेव : जग्गी वासुदेव को अपने क्रांतिकारी विचारों के लिए जाना जाता है। इस वर्ष उन्होंने हिन्दीभाषी लोगों के बीच भी अपने विचारों का प्रसार किया। उन्हें खासकर अपने ईशा फाउंडेशन के माध्यम से कावेरी नदी को बचाने का अभियान छेड़ रखा है। उन्होंने रैली फॉर रिवर के लिए मिस्डकॉल आंदोलन अभियान चलाया था। सद्गुरु ने देश की हर समस्या पर अपने विचार व्यक्त किए और उनके बारे में समाधान को भी प्रस्तुत किया है। प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु अपने दर्शन को बताने के लिए विज्ञान का उपयोग करते हैं और युवाओं सकारात्मक तरीके से प्रेरित करने के लिए अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हैं।
1. पूर्व जन्म की साधना : सद्गुरु जग्गी वासुदेव के अनुसार उन्होंने पूर्व जन्म में जो साधना प्रारंभ की थी वो इस जन्म में भी जारी है। उन्हें उनके पिछले 4 जन्मों की स्पष्ट याद है परंतु वे इस पर इतना ध्यान नहीं देते हैं। उन्होंने कहा कि मेरे पिछले 4 जन्मों पहले मेरे अध्यात्मिक मार्ग की शुरुआत हुई थी। चार जन्म पहले वे करीब 16वीं शताब्दी की शुरुआत में एक छोटे से गांव में बिलवा नाम से जाने जाते थे। उनको सांप ने डंस लिया था और तब उन्होंने श्वासों पर ध्यान देकर मृत्यु को प्राप्त किया था। इससे उनके आध्यात्म के मार्ग की नई जर्नी प्रारंभ हो गई। इसके बाद के 2 जन्म में उन्हें शिव योगी के नाम से जाना जाता था। इसके बाद उन्होंने जो जन्म लिया वह महत्वपूर्ण था, लेकिन उस जन्म में भी उन्हें आत्मज्ञान नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने सद्गुरु श्री ब्रह्मा नाम से जन्म लिया। इस जन्म में उन्होंने बहुत साधना की और तब इस जन्म के बाद उन्होंने प्लानिंग के साथ जग्गी वासुदेव के नाम से जन्म लिया।
2. संबोधि : सद्गुरु बचपन से ही साहसी थे और वे मैसूर की चामुंडा से सड़का का रास्ता छोड़कर सीधे ढलान से उतरते थे और वह भी अपनी मोटरसाइकल से। इसी पहाड़ी पर उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ। अपनी सर्वव्यापकता का यह बोध जो पूरे 5 घंटे तक रहा सद्गुरु को 1982 के सितंबर की 23 तारीख को दोपहर को हुआ था।
3. विजया कुमारी : 1984 में महाशिवरात्रि के दिन सद्गुरु का विवाह बैंकर विजया कुमारी से हुआ जिनकी 23 जनवरी 1997 को मृत्यु हो गई। दोनों की एक पुत्री राधे जग्गी है। जग्गी वासुदेव और विजया कुमारी दोनों की प्रेम कहानी भी अनोखी है। जग्गी की बेटी राधे अब नर्तकी है और एक कर्नाटक शास्त्रीय गायक संदीप नारायण से विवाहित है। विजया कुमारी एक योगी थीं। उन्होंने अपनी इच्छा से शरीर छोड़कर चली जाती है तब जग्गी वासुदेव अपने नए सफर पर निकल पड़ते हैं।
4. अंतिम जन्म : ऐसा कहते हैं कि जग्गी वासुदेव का यह अंतिम जन्म है। उनके जन्म का उद्देश्य ध्यानलिंगम को स्थापित करना था जो पूरा हो चुका है।