संत ज्ञानेश्वर जयंती : जानिए 10 अनमोल वचन

Webdunia
शुक्रवार, 27 अगस्त 2021 (11:49 IST)
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में पैठण के पास आपेगांव में संत ज्ञानेश्वर का जन्म ईस्वी सन् 1275 में भाद्रपद के कृष्ण अष्टमी को हुआ था। उनके पिता विट्ठल पंत एवं माता रुक्मिणी बाई थीं। इस बार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 30 अगस्त 2021 को उनकी जयंती रहेगी।
 
 
संत ज्ञानेश्‍वर : सन् (1275 से 1296 ई.) :
ज्ञानेश्वर ने भगवद् गीता के ऊपर मराठी भाषा में एक 'ज्ञानेश्वरी' नामक 10,000 पद्यों का ग्रंथ लिखा है। महाराष्ट्र की भूमि पर नाथ संप्रदाय, दत्त संप्रदाय, महानुभव संप्रदाय, समर्थ संप्रदाय आदि कई पंथ-संप्रदायों का उदय एवं विस्तार हुआ। किन्तु भागवत भक्ति संप्रदाय यानी संत ज्ञानेश्वर जी प्रणीत "वारकरी भक्ति संप्रदाय" इस भूमि पर उदित हुआ सबसे विशाल संप्रदाय रहा है।
 
1. मूर्खों से बहस करके कोई भी व्‍यक्ति, बु्द्धिमान नहीं कहला सकता, मूर्ख पर विजय पाने का एकमात्र उपाय यही है कि उसकी ओर ध्‍यान नहीं दिया जाए।
 
2. देह एक रथ है, इन्द्रिय उसमे घोड़े, बुद्धि सारथी और मन लगाम है, केवल देह पोषण करना आत्मघात है।
 
3. ऐसी कोई भी वस्तु नहीं है जो अभ्यास से प्राप्त नहीं हो सकती हो।
 
4. जो मुझे नहीं मिला,  इस पर शोक मनाने के बजाय,  मुझे जो मिला है उसके लिए मुझे आभारी होना चाहिए
दुनिया को बेहतर और खूबसूरत बनाने के लिए जब भी मुझे योगदान करने का मौका मिलता है, इसलिए मुझे वह मौका नहीं गंवाना चाहिए।
 
5. भले ही तुम बाहर से संयम बरतते रहो, मन में कलुष भरा हो, विचार गंदे हो तो वह रोगी बनेगा ही।
 
6. अपने विचारों को आवारा कुत्तों की तरह अचिन्त्य चिंतन में भटकने न दिया जाए।
 
7. आज भी सफलता, सुख, समृद्धि  मेरे पैरों से लुढ़कना, फिर भी कल या किसी भी समय यह सब नष्ट हो सकता है। इस बात से लगातार अवगत रहें, मुझे अहंकार को दूर करना चाहिए।
 
8. मैं स्त्री हूँ या पुरुष, काला या सफेद, मेरे शरीर की मुद्रा, सभी अंग ठीक हैं, मेरे हाथ में भी नहीं था। लेकिन जो मिलता है उसका ख्याल रखना, इसकी उचित देखभाल करना मेरे ऊपर है।
 
9. मेरा जन्म कहाँ होना चाहिए धर्म में कौन सी जाति होनी चाहिए, माता-पिता कैसे बनें  यह सब मेरे हाथ में नहीं था, तो इसके बारे में शिकायत करने के बजाय कुदरत ने मुझे जो काबिलियत दी है उनमें से सकारात्मक का उपयोग करके यह निश्चित रूप से मेरे जीवन को खुशहाल बना जा सकता है।
 
10. ज्ञानी लोगों के सानिध्य में बैठने पर भी मूर्ख लोग उनमें गलतियां ही ढूंढते रहते हैं।

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