वैसे संत कबीर के कोई जीवन वृत्तांत का पता नहीं चलता परंतु, विभिन्न साक्ष्यों के आधार पर साहेब का जन्म विक्रम संवत 1455 तथा मृत्यु विक्रम संवत 1575 माना जाता है। जिस तरह माता सीता के जन्म का पता नहीं चलता, उसी तरह कबीर के जन्म का भी रहस्य आज भी भारतीय लोकमानस में जीवंत है।
कबीर बीच बाजार और चौराहे के संत हैं। वे आम जनता से अपनी बात पूरे आवेग और प्रखरता के साथ किया करते हैं, इसलिए कबीर परमात्मा को देखकर बोलते हैं और हम किताबों में पढ़कर बोलते हैं। इसलिए कबीर के मन और संसारी मन में भिन्नता है।