गुरु चरण से निकलते हैं सारे तीर्थ

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कृष्णायन महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि आत्मा ही माँ व परमात्मा ही पिता हैं। सारे तीर्थ गुरु के चरण से निकलते हैं। इसे बस समझने की जरूरत है। होमा से हिंदुस्तान व सोमा से सिंधु नदी बनी है। इसी सिंधु नदी से हिंदू बना है। सोमरस देवता पीते हैं। मनुष्य के अंदर भी सोमरस है। इसे पहचानने की जरूरत है। सोमा व होमा से ही बीज मंत्र बने हैं।

जब मनुष्य तरक्की करता है, तब उसे गुरु की याद नहीं आती। जब वह पतन की ओर जाने लगता है, तब उसकी आँखें खुलती हैं और गुरु याद आने लगता है। बिना गुरु कृपा के भवसागर पार करना संभव नहीं है।

महाराज ने कहा कि गीता को समझना आसान नहीं है। इसके लिए श्रीकृष्ण जैसे ज्ञानी व अर्जुन जैसे लक्ष्य प्राप्त करने वाला मनुष्य होना चाहिए। कुरुक्षेत्र वीरों का स्थान रहा है। जब तक अपना सिर नहीं कटा सकोगे, अर्थात्‌ दंभ दूर नहीं करोगे, खुद में आमूलचूल परिवर्तन नहीं करोगे। तब तक गीता सुनने के काबिल नहीं हो सकते। गीता को पढ़ना आसान है, पर इसमें कही गई बातें जीवन में अपनाना कठिन।
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