मैं आत्मा स्वरूप हूँ -सत्य साँईं

हो गए भगवान में विलीन

Webdunia
- कपिलदेव भल्ल ा
ND

सत्य साँईं बाबा का सान्निध्य अब सेवा से जुड़ी जीवंतता और प्रेम से पगे हुए क्षणों की अमिट यादें बनकर रह गया है। वे अपने प्रवचनों के माध्यम से कहा करते थे कि 'मैं देह स्वरूप नहीं हूँ, मैं आत्मा स्वरूप हूँ, मुझे देह मानने की भूल न करो।'

सचमुच एक ऐसी विलक्षणता का दर्शन होता था। जिसमें हाथ पकड़कर जीवन सागर पार कराने का सुस्पष्ट अहसास, वे संस्कारों की पूँजी लुटाते हुए अच्छा इंसान बनाने की एक ऐसी शाला थे, जिसके विद्यार्थी जीवन भर वहीं रहना चाहते हैं। एक देह के जाने मात्र से लगता है मानो एक युग का अंत हो गया।

मानो कल ही की बात है हम कुछ युवा साथियों ने डाकोरजी (गुजरात) में आई बाढ़ में सेवा कार्य करने हेतु इंदौर से प्रस्थान किया था। तेज बारिश से गोधरा से डाकोरजी तक रेल पटरी जगह-जगह से उखड़ गई थी। स्टेशन पर खड़ी ट्रेन पूरी तरह से डूब चुकी थी।

ऐसी विकराल परिस्थितियों में जब हम पहुँचे तो गोधरा में एक ऐसे अनजान आदमी का मिलना और हमारे साथ चलने के लिए उद्धृत होना, जिसने बाद में बताया कि वह अच्छा खाना बनाना जानता है। वहाँ पर बड़ी आवश्यकता सबकुछ खत्म हो चुके शहर में लोगों को खाना व चिकित्सा मुहैया कराना ही थी। पका हुआ खाना और चिकित्सा हेतु दवाइयाँ कई दिनों तक हमने जरूरतमंदों तक पहुँचाई। तो लगा कि कोई है जो हमें रास्ता दिखा रहा है।

ND
' मानव सेवा ही माधव सेवा है' इस बात का पाठ उन्होंने हमें पढ़ाया माधव की नगरी डाकोरजी में। सेवा की सीख हो या प्रेम में समर्पण, उनके तरीके भिन्न-भिन्न होते थे।

देश में निःशुल्क शिक्षा, निःशुल्क चिकित्सा और मूलभूत जरूरत पानी, मुहैया कराने को लेकर सारी सरकारों को सीख देते हुए वे मानव शरीर में भगवान ही थे।

एक बार उन्होंने कहा था कि क्या तुम भगवान का अर्थ जानते हो। उन्होंने आगे बताया कि 'भ' से भूमि, 'ग' से गगन, 'व' से वायु, 'अ' से अग्नि और 'न' से नीर। सचमुच पंचतत्वों से बना है भगवान। और भगवान पुनः भगवान में विलीन हो गए। और सीख हमारे लिए छोड़ गए कि हेल्प एवर, हर्ट नेवर अर्थात सबकी मदद करो, किसी का दिल न दुखाओ। लव ऑल सर्व ऑल, सबसे प्रेम करो, सबकी सेवा करो। शायद यही वेदों का सार है।

एक बात जो उन्होंने कभी कही थी मेरा जीवन ही मेरा संदेश है एवं तुम्हारा जीवन भी मेरा संदेश है। जीवन कितना क्षणभंगुर है, अब केवल संदेश ही रह गया है ताकि हम अपने सत्कार्यों से सारे विश्व को हमारे जीवन में सत्य साँईं के दर्शन करा सकें।

Show comments

क्या कर्मों का फल इसी जन्म में मिलता है या अगले जन्म में?

वैशाख अमावस्या का पौराणिक महत्व क्या है?

शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि में होंगे वक्री, इन राशियों की चमक जाएगी किस्मत

Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया से शुरू होंगे इन 4 राशियों के शुभ दिन, चमक जाएगा भाग्य

Lok Sabha Elections 2024: चुनाव में वोट देकर सुधारें अपने ग्रह नक्षत्रों को, जानें मतदान देने का तरीका

धरती पर कब आएगा सौर तूफान, हो सकते हैं 10 बड़े भयानक नुकसान

घर के पूजा घर में सुबह और शाम को कितने बजे तक दीया जलाना चाहिए?

Astrology : एक पर एक पैर चढ़ा कर बैठना चाहिए या नहीं?

100 साल के बाद शश और गजकेसरी योग, 3 राशियों के लिए राजयोग की शुरुआत

Varuthini ekadashi 2024: वरुथिनी व्रत का क्या होता है अर्थ और क्या है महत्व