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सनातन धर्म
नजरबंदी एवं दृष्टिदोष हेतु
यः संस्तुतः सकल-वाङ्मय-तत्वबोधादुद्भूतबुद्धिपटुभिः सुरलोकनाथैः। स्तोत्रैर्जगत्त्रितयचित्तहरैरुदारैः ...
ऋद्धि-सिद्धि एवं संपदा प्राप्ति हेतु
भक्तामर प्रणत मौलि-मणि-प्रभाणामुद्योतकं दलित-पाप-तमो वितानम् । सम्यक् प्रणम्य जिनपादयुगं युगादौ वा...
।। प्रमुख जैन पर्व ।।
हिन्दी महीनों के अनुसार प्रमुख जैन पर्व इसप्रकार हैं-
॥ मंगलाष्टक स्तोत्र भाषा ॥
संघसहित श्रीकुंदकुंद गुरु, वंदनहेत गये गिरनार। वाद पर्यो तहं संशयमतिसों, साक्षी वदी अंबिकाकार॥ 'सत्...
॥ भक्तामर-महिमा ॥
श्री भक्तामर का पाठ, करो नित प्रात, भक्ति मन लाई। सब संकट जाएँ नशाई॥ जो ज्ञान-मान-मतवारे थे, मुनि म...
बंधनों से मुक्ति हेतु
आपाद कंठमुरुश्रृंखल वेष्टितांगा गाढं बृहन्निगडकोटि-निघृष्ट-जंघाः । त्वन्नाम मंत्रमनिशं मनुजाः स्मरन्...
रोग-व्याधि सभी दूर करने हेतु
उद्भूत-भीषण जलोदर भारभुग्नाः शोच्यां दशामुपगताश्च्युत जीविताशाः । त्वत्पाद-पंकज-रजोऽमृत दिग्ध-देहा म...
समुद्र का भय दूर करने हेतु
अम्भोनिधौ क्षुभित-भीषण-नक्र-चक्र- पाठीन-पीठ-भय दोल्वणवाडवाग्नौ । रंगत्तरंग शिखर-स्थित-यान पात्रा- स्...
विजय प्राप्त करने हेतु
कुन्ताग्र-भिन्न-गज-शोणित-वारिवाह वेगावतार-तरणातुर-योध-भीमे । युद्धे जयं विजित दुर्जय-जेय-पक्षास्त्वद...
सभी तरह के भय टालने, शत्रु को वश में करने हेतु
वल्लगत्तुरंग-गज-गर्जित-भीमनादमाजौ बलं बलवतामपि भूपतीनाम् । उद्यद्दिवाकर-मयूख-शिखापविद्धं त्वत्कीर्त...
सभी तरह के जहर का भय दूर करने हेतु
रक्तेक्षणं समद-कोकिल-कंठ-नीलं क्रोधोद्धतं फणिनमुत्फणमापतन्तम् । आक्रामति क्रमयुगेण निरस्त शंकः त्वन...
अग्नि का भय दूर करने हेतु
कल्पान्त-काल-पवनोद्धत-वह्निकल्पं दावानलं ज्वलितमुज्ज्वलमुत स्फुलिंगम् । विश्वं जिघत्सुमिव सम्मुखमाप...
सिंह, बाघ वगैरह हिंसक पशुओं का भय टालने हेतु
भिन्नेभ कुम्भ गलदुज्ज्वल शोणिताक्त मुक्ता-फल-प्रकरभूषित-भूमि भागः । बद्धक्रमः क्रम गतं हरिणाधिपोऽपि ...
हाथी-सर्प वगैरह वश करने हेतु
श्च्योतन्मदाविल-विलोल-कपोल-मूल- मत्त-भ्रमद्भ्रमर-नाद विवृद्ध कोपम् । ऐरावताभमिभमुद्धतमापतन्तं दृष्ट...
शत्रुता दूर करने हेतु
इत्थं यथा तव विभूतिरभूज्जिनेन्द्र, धर्मोपदेशन विधौ न तथा परस्य । याद्क्प्रभा दिनकृतः प्रहतान्धकारा,...
धन एवं सौभाग्य प्राप्त करने हेतु
उन्निद्र हेम नव पंकज पुंजकान्ती- पर्युल्लसन्नख मयूख शिखाभिरामौ । पादौ पदानि तव यत्र जिनेन्द्र धत्तः ...
सुख-साहबी, अभ्युदय पाने हेतु
छत्र त्रयं तव विभाति शशांक कान्तमुच्चैः स्थितं स्थगित भानु-कर-प्रतापम् । मुक्ताफल-प्रकर-जाल-विवृद्ध...
लक्ष्मी, संपत्ति व सुख प्राप्त करने हेतु
स्तोत्रस्रजं तव जिनेन्द्र! गुणैर्निबद्धां भक्त्या मया रुचिर-वर्ण-विचित्र-पुष्पाम्। धत्ते जनो य इह क...
सभी दिशाओं में विजय प्राप्त करने हेतु
मत्तद्विपेन्द्र-मृगराज-दवानलाहि-संग्राम-वारिधि-महोदर-बन्धनोत्थम् । तस्याशु नाशमुपयाति भयं भियेव यस्...
प्रवास के दौरान आने वाले भय टालने
कुन्दावदात-चलचामर-चारुशोभं विभ्राजते तव वपुः कलधौतकान्तम् । उद्यच्छशांक शुचिनिर्झर-वारिधार-मुच्चैस्...
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