जन गण मन....

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गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित गीत 'जन गण मन... ' को संविधान सभा ने 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया। यह गीत सबसे पहले 27 दिसंबर 1911 को कलकत्ता में हुए भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के अधिवेशन में गाया गया था। गुरुदेव द्वारा रचित गीत में पाँच अंतरे हैं। इसका पहला अंतरा राष्ट्रगान है ।

राष्ट्रगान इस प्रकार है-

जन गण मन अधिनायक जय ह े
भारत भाग्य विधात ा
पंजाब सिंध गुजरात मराठ ा
द्रविड़ उत्कल बं ग
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा
  गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित गीत 'जन गण मन... ' को संविधान सभा ने 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया। यह गीत सबसे पहले 27 दिसंबर 1911 को कलकत्ता में हुए भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के अधिवेशन में गाया गया था।      

उच्छल जलधि तरं ग
तव शुभ नामे जाग े
तव शुभ आशिष माँग े
गाहे तव जय गाथ ा
जन गण मंगलदायक जय ह े
भारत भाग्य विधात ा
जय ह े, जय ह े, जय ह े
जय जय ज य, जय ह े


* राष्ट्रगान का गायन समय 52 सेकंड है। विशेष अवसरों पर शुरू और अंत की पंक्तियों को भी लघु राष्ट्रगान के रूप (लगभग 20 सेकंड) में गाया जाता है ।

* जब कहीं राष्ट्रगान बज रहा हो तब प्रत्येक भारतीय नागरिक का यह कर्त्तव्य है कि वह सावधान की मुद्रा में खड़े होकर उसे पूर्ण सम्मान दे ।

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