स्वच्छ शहर इंदौर में इन 10 बातों पर नियंत्रण जरूरी है...

स्मृति आदित्य
स्वच्छ शहर का लगातार खिताब हासिल करने वाले इंदौर के बारे में जो छबि बनी है उसे बनाए रखने की जिम्मेदारी शहरवासियों की है। लेकिन कुछ बातें ऐसी हैं जो शहरवासी के साथ पुलिस, प्रशासन और पोलिटिशियन को भी सोचनी है। आइए जानते हैं 10 बातें जो शहर से दूर करना जरूरी है। 
 
1. नाइट आउट 
पिछले दिनों रात में जिस तरह से नशे में लड़कियों के बीच मारपीट और अन्य कई शर्मनाक हरकते सामने आई है उसे लेकर शहरवासियों के मन में रोष है। और वे मानते हैं कि अगर नाइट आउट को बढ़ावा मिला तो ऐसी वारदातें और ज्यादा बढ़ेंगी। शहर की वरिष्ठ महिलाओं और अन्य संगठनों ने भी इस पर रोक लगाने की मांग की है। 
 
2. ट्रैफिक 
ट्रैफिक की समस्या इंदौर में पहले से अधिक विकराल रूप ले रही है। नियमों के बंधन खुले आम तोड़े जा रहे हैं। इस वजह से दुर्घटनाओं में भी वृद्धि हुई है और आम जनता का पैदल चलना मुहाल हुआ है। इंदौर में ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारना बहुत जरूरी है। 
 
3. कचरा गाड़ी का पूरे समय घूमना 
स्वच्छता को बनाए रखने के लिए नि:संदेह निगमकर्मी कड़ी मेहनत कर रहे हैं लेकिन सारे दिन कचरा गाड़ियों के घूमने से शहर में ध्वनि प्रदूषण के साथ बदबू का साम्राज्य भी रहता है। अगर इनके सुनिश्चित समय सुबह या शाम के हैं तो दोपहर में इन्हें विश्राम देना चाहिए ताकि वे भी आराम कर सकें और आम जनता को भी राहत मिल सके। 
 
4. रिहायशी इलाकों में शराब की दुकान 
स्वच्छ शहर पर यह बदनुमा दाग है कि हर किसी को हर कहीं शराब की दुकान लगाने की छूट मिल रही है। यहां तक कि रिहायशी इलाके भी नहीं बख्शे जा रहे हैं। ऐसे में आए दिन लूटपाट और नशे में छेड़खानी की घटनाएं बढ़ रही हैं। इन पर तुरंत रोक लगाने की जरूरत है। 
 
5. स्कूलों के पास ड्रग वितरण 
नशे को लेकर शहर की कई बस्तियां बदनाम हैं। छनकर आती खबरें बताती हैं कि ड्रग्स का धंधा खासकर स्कूलों और पान की दुकानों पर अधिक फल-फूल रहा है। मासूम पीढ़ी को शातिराना तरीके से जहर बेचा और मुहैया करवाया जा रहा है। इस पर कड़ी पाबंदी जरूरी है। 
 
6. बाइकर्स 
रात में 10 से 12 बजे के बीच किशोरवय के शोहदे लापरवाही से अंट-शंट बाइक चलाते हैं और बाहर से आने-जाने वाली बसों और कारों के बीच से लहराते निकलते हैं। यहां तक कि हॉर्न की तीखी और अजीब आवाजें भी परेशान करती हैं। प्रशासन को इस पर भी सख्ती बरतनी चाहिए।  
 
7. चौराहे पर पुलिस द्वारा मनमानी वसूली 
पिछले दिनों देखने में आया है कि हर चौराहे पर बात बिना बात चालान काटे जा रहे हैं और 500 से कम पर मान भी नहीं रहे हैं। शाम के छुटपुटे में खाकी वर्दी में जिस तरह से वसूली होती है वह आम जनता को परेशान करने वाली है। माना कि यह व्यवस्था में सुधार के लिए जरूरी है पर ऐसा सुधार किस काम का जो गरीब आम जनता की जेब से मनमाने ढंग से वसूला जाए। 
 
8.  इंजेक्शन से पके फल और सब्जी की बिक्री पर रोक 
शहर में इन दिनों टूरिस्ट संख्या बढ़ रही है। बाहर से आए लोगों को इंजेक्शन से पके फल और स्थानीय निवासियों को सब्जियां इंजेक्शन से पकी बेची जा रही है। यह शहर की साख पर दाग के समान है। इन फल और सब्जी से बीमारियां फैल रही हैं। 
 
9. नगर निगम द्वारा गरीब रेहड़ी/गुमटी वालों पर कार्यवाही 
शहर की व्यवस्था को चाक चौबंद रखने की आड़ में निगमकर्मी छोटे व्यापारियों के साथ जिस तरह का व्यवहार करते हैं वह घोर आपत्तिजनक है। ये गरीब लोग मेहनत कर अपनी रोजी रोटी कमाते हैं।  इनके साथ सलीके से पेश आकर एक नई परंपरा को जन्म दिया जा सकता है। ठेले उलट देना, उनकी सारी वस्तुएं बिखेर देना, खराब कर देना जैसी हरकते बंद होना चाहिए। 
 
10. रास्ते में थूकने के लिए कोई इंतजाम 
यह एक बड़ी समस्या है कि पान और गुटखा खाकर जहां-तहां थूकने वाले किसी नियम को नहीं मानते हैं। अगर हम पान खाने वालों और गुटखों पर प्रतिबंध नहीं लगा सकते हैं तो जगह-जगह थूकने के बड़े पात्र तो लगा ही सकते हैं ताकि गुटखे और पान की पिक के लहराते छींटे सड़क के साथ पीछे से आते हुए व्यक्ति पर न पड़े।   
 
इस शहर की अपनी सांस्कृतिक और गरिमामयी विरासत है। इसे बनाए रखने की जिम्मेदारी हम सबकी है।
 

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