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फिर खुलेगा खुशी कूलवाल सुसाइड केस, पूर्व विधायक के भाई पुलिस की रडार पर, घिर सकते हैं कई हाईप्रोफाइल लोग

शराब, ड्रग्स और पार्टीज की शौकीन थी खुशी, 7 साल पहले की थी आत्‍महत्‍या

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, मंगलवार, 3 जून 2025 (18:52 IST)
इंदौर के यशवंत क्लब की सदस्य रही खुशी कूलवाल की आत्महत्या का 7 साल पुराना हाईप्रोफाइल केस एक बार जिंदा हो गया है। इंदौर के पुलिस कमिश्‍नर संतोष कुमार सिंह ने इस हाईप्रोफाइल केस में दोबारा जांच की अनुमति दी है।

आरोप है कि आत्महत्या केस में एक पूर्व मंत्री के भाई और कारोबारी का नाम आने के चलते पुलिस ने मामले को दबा दिया था। लेकिन अब बताया जा रहा है कि पुलिस किसी दबाव में काम नहीं करेगी और जो भी दोषी होंगे, उन्‍हें सामने लाया जाएगा। एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है, जांच में जो कुछ भी सामने आएगा।

क्‍यों चर्चा में ये केस : बता दें कि 7 साल पुराने केस की जांच कांग्रेस के पूर्व विधायक के भाई के इर्द-गिर्द घूम रही है। ड्रग्स पैडलर सोहन उर्फ जोजो (सेंधवा) से जुड़ा पूर्व विधायक का भाई खुशी के संपर्क में था। उसके नंबर मोबाइल से डिलिट करवा दिए गए थे। जांच में शामिल अफसर के मुताबिक जोजो पर साल 2020 में विजयनगर थाना ड्रग्स (एमडी) का प्रकरण दर्ज हुआ था। सोहन ने पूर्व विधायक के भाई का नाम ले लिया था। मेमोरेंडम में नाम आने के बाद भी तत्कालीन टीआइ तहजीब काजी ने गिरफ्तारी नहीं की। दिसंबर 2020 का ड्रग्स कांड भी री-ओपन कर दिया जाएगा।

इंदौर का हाईप्रोफाइल केस है : बता दें कि खुशी कूलवाल का आत्‍महत्‍या का ये मामला इंदौर का बेहद हाईप्रोफाइल केस है। 37 वर्षीय खुशी कूलवाल ने जुलाई 2018 में होराइजन ओएसिस पार्क महालक्ष्मीनगर के फ्लैट में आत्महत्या कर ली थी। मृतक इंदौर के कई हाई प्रोफाइल लोगों से सीधे तौर पर जुड़ी हुई थी। वह जिले के यशवंत क्लब की सदस्य भी रह चुकी हैं। अब इस केस की फाइल दोबारा खोल ही गई है। आरोप था कि मामले में शहर के प्रतिष्ठित लोगों के नाम आने से पुलिस ने उस वक्त मामला दबा दिया था।

क्‍या है खुशी कूलवाल सुसाइड केस : 37 वर्षीय खुशी कूलवाल ने जुलाई 2018 में होराइजन ओएसिस पार्क महालक्ष्मीनगर के फ्लैट में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। बैकुंठधाम कालोनी पलासिया निवासी बड़े कारोबारी मयंक से तलाक लेने के बाद खुशी इस फ्लैट में रहने आई थी। आत्महत्या से पहले वह बिजलपुर निवासी दोस्त राहुल पाटनवाला के साथ थी। खुशी के फांसी लगा लेने पर राहुल फ्लैट से भाग गया था। इस बहुचर्चित आत्महत्या मामले में कांग्रेस के पूर्व विधायक के भाई से कनेक्शन जुड़ने के कारण तत्कालीन पुलिस अफसरों ने मामला दबा दिया था। पूर्व विधायक का भाई खुशी के साथ ड्रग्स पार्टी करता था। धोखाधड़ी में नाम आने के बाद जोन-2 के डीसीपी अभिनय विश्वकर्मा ने शनिवार को केस डायरी बुलाकर दोबारा जांच शुरू कर दी। बता दें कि अगर अब केस की ईमानदारी से जांच हुई तो पब-होटल, रेस्त्रां और विदेश में पार्टियां करने वाले कई हाईप्रोफाइल लोग इस केस की जद में आ सकते हैं।

पब और ड्रग्स पार्टियों की जान थी खुशी : कहा जाता है कि खुशी पब, क्‍लब्‍स और लेट नाइट पार्टियों की जान थी। रिपोर्ट के मुताबिक खुशी कूलवाल पिपल्याहाना क्षेत्र में रहने वाली मयूरी के माध्यम से ड्रग्स मंगवाती थी। वह देर रात पबों में शराब और ड्रग्स की पार्टियों की शौकीन थी। हाईप्रोफाइल लोग खुशी को बुलाते थे। घटना के कुछ दिनों पूर्व यशवंत क्लब से जुड़े कारोबारी उसे गोवा भी ले गए थे। पुलिस ने उस वक्त जिम ट्रेनर प्रकाश, दोस्त कमलेश, पवन यादव, ट्रैवल एजेंट अरविंद सिंह, दोस्त राहुल पाटनवाला के बयान लिए, मगर रसूखदारों की जांच दबा दी। खुशी के तीन मोबाइल भी जांच में शामिल किए, मगर अफसरों ने कहा- उसमें सुसाइड नोट नहीं मिला है।
Edited By: Navin Rangiyal

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