अब इंदौर में जानवरों के अंतिम संस्कार के लिए नई व्यवस्था की जाएगी। अब तक मृत जानवरों को जमीन में दफना दिया जाता था। जिससे प्रदूषण और पानी के दूषित होने की आशंका होती थी। अब इंदौर नगर निगम ने हरियाणा की एक कंपनी से अनुबंध किया है।
यह कंपनी जानवरों का विधिवत तरीके से अंतिम संस्कार करेगी। दरअसल, नगर निगम ने हरियाणा की माइक्रोटेक कंपनी के साथ मिलकर प्लांट निर्माण का निर्णय लिया है, जिस पर लगभग 3 करोड़ रुपए खर्च होंगे। बता दें कि दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में मृत जानवरों के अंतिम संस्कार की यह व्यवस्था पहले से लागू है।
अब इंदौर में : निगम ने हरियाणा की माइक्रोटेक कंपनी से पांच साल का करार किया है। यह कंपनी अंतिम संस्कार प्लांट का निर्माण, संचालन और रखरखाव करेगी। योजना पर करीब 3 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। अब तक मृत जानवरों को गड्ढा खोदकर जमीन में दफनाया जाता था, जिससे बदबू और भूजल प्रदूषण की समस्याएं उत्पन्न होती थीं। इस समस्या के समाधान के लिए निगम ने निजी कंपनियों से प्रस्ताव मांगे थे, जिनमें से पांच कंपनियों ने रुचि दिखाई और अंततः हरियाणा की कंपनी को चुना गया।
प्रदेश का पहला शहर होगा इंदौर : नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा ने बताया कि इस योजना के लागू होने के बाद इंदौर मध्य प्रदेश का पहला ऐसा शहर बन जाएगा, जहां मृत जानवरों का वैज्ञानिक और पर्यावरण अनुकूल तरीके से अंतिम संस्कार किया जाएगा। भविष्य में इस प्लांट में पालतू जानवरों का भी अंतिम संस्कार संभव होगा, जिसके लिए शुल्क निर्धारित किया जाएगा।
अभी कहां है यह सुविधाएं : भोपाल और ग्वालियर जैसे शहरों में पहले ही एनिमल इंसीनरेटर की सुविधा उपलब्ध है। भोपाल में 5 करोड़ की लागत से एक इंसीनरेटर लगाया गया है, जो प्रतिदिन 35–40 मृत जानवरों का अंतिम संस्कार कर सकता है। इसकी क्षमता प्रति घंटे 300 किलो और पूरे दिन में लगभग 4 टन शवों के अंतिम संस्कार की है। इसमें डबल स्क्रबर टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है, जो धुएं को ठंडा कर उसमें मौजूद हानिकारक कणों को फिल्टर करती है। ग्वालियर के केदारपुरा क्षेत्र में भी दो इंसीनरेटर 7–8 करोड़ रुपए की लागत से लगाए जा चुके हैं, जिससे वहां भी जमीन और भूजल को प्रदूषण से बचाया जा रहा है।
Edited By: Navin Rangiyal