इंदौर के डेली कॉलेज में हुई उठापटक, नरेन्द्र झाबुआ व उनका बेटा बाहर

Webdunia
गुरुवार, 7 अप्रैल 2022 (10:34 IST)
इंदौर। इंदौर के 150 साल से अधिक पुराने डेली कॉलेज में बुधवार को काफी उठापठक रही। रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसायटी में हुई शिकायत के बाद बोर्ड आफ गवर्नर्स के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह झाबुआ और उनके बेटे जयसिंह झाबुआ के आने पर रोक लगा दी गई। इसके बाद नए बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का गठन हुआ।
 
अब बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में देवास के व्रिकम सिंह पंवार को अध्यक्ष और भाजपा विधायक राज्यवर्धन सिंह (नरसिंहगढ़) को उपाध्यक्ष चुना गया है। इसी के साथ वर्तमान प्राचार्य नीरज कुमार बधौतिया को सेवा विस्तार देने पर भी रोक लगा दी गई। अब गुरमीत कौर बिंद्रा को नया प्राचार्य चुना गया है। वे डेली कॉलेज के इतिहास में पहली महिला प्राचार्य होंगी। फिलहाल अहमद अंसारी कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य होंगे।
 
मिली जानकारी के अनुसार सतबीर सिंह छाबड़ा ने भोपाल में रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसायटी में शिकायत की थी कि वर्ष 2020 में गठित बोर्ड आफ गवर्नर्स में अध्यक्ष नरेंद्र सिंह झाबुआ ने अपने बेटे जयसिंह झाबुआ को बोर्ड में अनुचित तरीकों से प्रवेश दिया है। इसके बाद वहां से नोटिस दिए गए और उन्हें हटाने को कहा गया। बुधवार को बोर्ड की बैठक बुलाई गई। इसमें विक्रम सिंह पंवार को अध्यक्ष और राज्यवर्धन सिंह (नरसिंहगढ़) को उपाध्यक्ष चुना गया है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

ऑटो ड्राइवर ने निकाला कमाई का नायाब तरीका, सुनकर उड़ जाएंगे होश, जानिए कितनी होती है इंकम

अब आसानी से मिलेगा तत्काल टिकट, 10 मिनट सिर्फ आधार OTP से कर सकेंगे बुकिंग

Mahua Moitra marries : कौन हैं पिनाकी मिश्र, जिनसे TMC की तेजतर्रार सांसद महुआ मोइत्रा ने की शादी

Russia-Ukraine war : रूस छुपकर हमला करने वाले ड्रोन पर कर रहा काम, जानें कैसे मचाते हैं दुश्मन देश में तबाही

श्रीकांत शिंदे का बड़ा बयान, पाकिस्तान भारत के खिलाफ करता है राहुल के बयानों का इस्तेमाल

सभी देखें

नवीनतम

कोरोना की चौथी लहर की चपेट में क्या आएगा भारत, साइंटिस्ट से जानिए आपके हर सवाल का जवाब?

मस्क ने दी ड्रैगन कैप्सूल वापस लेने की धमकी, नासा के पास केवल रूस का ही विकल्प बचेगा

कोरोनावायरस संक्रमण से अब कोई खतरा नहीं, इसे लेकर क्या बोले स्वास्थ्य विशेषज्ञ

पॉडकास्ट में बोले विजय माल्या, आप भगोड़ा कह सकते हैं, चोर नहीं हूं

फ्रांस से बेंगलुरु तक गूंजता सवाल! दुनिया ने चेताया, फिर भी नहीं सीखे हम अब और कितनी जानें जाएंगी?

अगला लेख