शहीद उधमसिंह जयंती : जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने वाले वीर

Webdunia
Shaheed Udham Singh
 
महान क्रांतिकारी उधम सिंह (Shaheed Udham Singh) का जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के हिसार जिले में हुआ था। उधमसिंह ने जलियांवाला बाग नरसंहार कराने वाले जनरल डायर और उसके दो साथियों को उधम सिंह ने उस समय इंग्लैड में जाकर गोली मारी थी। जिस पर अंग्रेजों ने अमर शहीद उधम सिंह को फांसी पर लटका दिया था।
 
उनके पिता का नाम सरदार तेहाल सिंह तथा माता का नाम नारायण कौर उर्फ नरेन कौर था। लोग उन्हें शेर सिंह के नाम से जानते थे। उधम सिंह ने अपने माता-पिता तथा अपने भाई मुक्ता सिंह के निधन के पश्चात शिक्षा दीक्षा के लिए खालसा अनाथालय में रहकर अपनी मैट्रिक तक की पढ़ाई पूर्ण की। 

उधम सिंह को देशभक्ति के गीत बहुत पसंद थे, तथा वे शहीद भगत सिंह के क्रांतिकारी कार्यों से प्रभावित होकर उनके साथ जुड़ गए तथा भगत सिंह जी के राहों पर चलने लगे। वे गदर पार्टी के साथ जुड़े तथा जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लिया और देश के लिए शहीद हो गए।  
 
जलियांवाला बाग हत्याकांड इतिहास का सबसे काला दिन है, जब अंग्रेजी अफसर जनरल डायर ने 1000 निहत्थे भारतीयों को गोलियों से भून दिया गया था। 
 
ब्रिटिश अफसर जनरल डायर ने अमृतसर के जलियांवाला बाग में हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इस दिन के बाद से अंग्रेजों के शासनकाल के अंत की शुरुआत हुई थी, क्योंकि इस घटना के बाद से भारतीयों में वह आग जल उठी, जिसने सीधे ब्रिटिशों को इस देश से बाहर निकाल दिया। 
 
ब्रिटिश काल के अंत की इस घटना में मुख्य रूप से ऊधम सिंह थे। जिन्होंने सबसे पहले ब्रिटिशर्स के खिलाफ आवाज उठाई। धीरे-धीरे लोग जुड़ते गए और कारवां बढ़ता गया। दरअसल, 13 अप्रैल 1919, को जलियांवाला बाग में रॉलेट एक्ट को लेकर सभा हो रही थी, जिसका विरोध किया जा रहा था। उस दिन बैसाखी भी थी।

जलियांवाला बाग से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर अमृतसर का प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर था, जहां पर मेला लगा था। सभी अपने परिजन के साथ इस मेले में आए थे। तब जनरल डायर अपनी फौज को लेकर वहां  पहुंच गए और बिना कोई सूचना के वहां मौजदू सैंकड़ों की तादाद में लोगों पर गोलियां बरसा दी थी। कई लोगों ने जान बचाने की कोशिश भी की लेकिन संभव नहीं हो सका। 
 
उस दौरान ब्रिटिश का दबदबा अधिक था, लेकिन हत्याकांड के बाद भारत में अलग ही लहर देखने को मिली। हाउस ऑफ कॉमन्स ने तो डायर के खिलाफ निंदा का प्रस्ताव पारित किया लेकिन हाउस ऑफ लॉर्डस ने प्रशंसा पत्र पारित किया। जिसकी काफी निंदा की गई है और निंदा प्रस्ताव पारित होने के बाद जनरल डायर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। 

भारत में हुए इस हत्याकांड की पूरी दुनिया में कड़ी आलोचना हुई थी। इसके बाद भारत के दबाव के चलते सेक्रेटारी ऑफ स्टेट एडविन मॉन्टेग्यू ने 1919 के अंत में इसकी जांच के लिए एक कमीशन बनाया। जिसमें जनरल डायर के खिलाफ जांच की गई। उनका पद कम कर कर्नल बना दिया। 
 
इस घटना से ऊधम सिंह के अंदर एक आग सी जल गई थी। सैंकड़ों लोगों की मौत का बदला लेने लिए ऊधम सिंह लंदन गए। जहां पर उन्होंने कैक्सटन हॉल में जनरल डायर को गोली मारकर हत्या कर दी थी। 31 जुलाई 1940 को ऊधम सिंह को फांसी की सजा दी गई। आज भी उन्हें एक शहीद के रूप में याद किया जाता है। 
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज क्या है? कब शुरू हुआ और किसे मिलता है? जानिए कौन रहे अब तक के प्रमुख विजेता

स्किन से लेकर डाइबिटीज और बॉडी डिटॉक्स तक, एक कटोरी लीची में छुपे ये 10 न्यूट्रिएंट्स हैं फायदेमंद

ये हैं 'त' अक्षर से आपके बेटे के लिए आकर्षक नाम, अर्थ भी हैं खास

अष्टांग योग: आंतरिक शांति और समग्र स्वास्थ्य की कुंजी, जानिए महत्व

पर्यावरणीय नैतिकता और आपदा पर आधारित लघु कथा : अंतिम बीज

सभी देखें

नवीनतम

अल्जाइमर समेत इन 6 बीमारियों के लिए सबसे असरदार है मेडिटेशन

बच्चों के नाम रखते समय भूल कर भी न करें ये गलतियां, जानिए नामकरण में किन बातों का रखना चाहिए ध्यान

कांस में ऐश्वर्या ने मांग में सजाया सिन्दूर, दुनिया को दिया देश की संस्कृति और ताकत का संदेश

शक्कर छोड़ने के पहले जान लें वो 8 जरूरी बातें जो आपको पहले से पता होनी चाहिए

Operation Sindoor पर भाषण: सिन्दूर का बदला खून, अदम्य साहस और अटूट संकल्प की महागाथा

अगला लेख