गोस्वामी तुलसीदास के अनमोल वचन

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गोस्वामी तुलसीदास संस्कृत के विद्वान और हिंदी के सर्वश्रेष्ठ कवि माने जाते हैं।


उन्होंने अपने जीवनकाल में अनेक ग्रंथों की रचना की, जिसमें श्रीरामचरितमानस, हनुमान चालीसा, संकटमोचन हनुमानाष्टक, हनुमान बाहुक, विनयपत्रिका, दोहावली, वैराग्य सन्दीपनी, जानकी मंगल, पार्वती मंगल, कवितावली आदि हैं।

गोस्वामी तुलसीदास की जयंती पर आपके लिए प्रस्तुत हैं उनके अनमोल वचन : -





* ईश्‍वर ने संसार को कर्म प्रधान बना रखा है, इसमें जो मनुष्‍य जैसा कर्म करता है उसको, वैसा ही फल प्राप्‍त होता है।




* फल के आने से वृक्ष झुक जाते हैं, वर्षा के समय बादल झुक जाते हैं, संपत्ति के समय सज्जन भी नम्र होते हैं। परोपकारियों का स्वभाव ही ऐसा ही होता है।



* जिस व्यक्ति की तृष्णा जितनी बड़ी होती है, वह उतना ही बड़ा दरिद्र होता है।




* वृक्ष अपने सिर पर गर्मी सहता है, पर अपनी छाया में दूसरों का ताप दूर करता है ।




* तप के बल से ब्रह्मा सृष्टि करते हैं। तप से संसार में कोई भी वस्तु दुर्लभ नहीं है।



* स्वप्न वही देखना चाहिए, जो पूरा हो सके।








* पेट की आग (भूख) बड़वाग्नि से बड़ी होती है।
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