स्वामी विवेकानंद के 6 अनमोल सद्विचार जानिए...

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स्वामी विवेकानंद थॉट्‍स


 

* स्वामी विवेकानंद कहते हैं कि जिस पल मुझे यह ज्ञात हो गया कि हर मानव के हृदय में भगवान है। तभी से मैं अपने सामने आने वाले हर व्यक्ति में ईश्वर की छवि देखने लगा हूं और उसी पल मैं हर बंधन से छूट गया। हर उस चीज से जो बंद रखती हैं.., धूमिल हो जाती है और मैं तो आजाद हूं।  
 
 

 


* बाहर की दुनिया बिलकुल वैसी हैं, जैसा कि हम अंदर से सोचते हैं। हमारे विचार ही चीजों को सुंदर और बदसूरत बनाते हैं। पूरा संसार हमारे अंदर समाया हुआ हैं, बस जरूरत हैं चीजों को सही रोशनी में रखकर देखने की। 
 
 

 


* अगर पैसा मनुष्यों की अच्छे काम करने में मदद करता हैं तो पैसा महत्वपूर्ण हैं, पर अगर वह दूसरों की मदद नहीं करता तो फिर यह पैसा किसी काम का नहीं.. सिवाय एक बुराई के..। इसीलिए इससे जितनी जल्दी पीछा छूटे उतना ही अच्छा। 
 
 

 


* चारों ओर बस प्रेम ही प्रेम हैं। प्यार फैलाव हैं, तो स्वार्थ सिकुड़न हैं। अत: दुनिया का बस एक ही नियम होना चाहिए, प्रेम... प्रेम... प्रेम...! जो प्रेम करता हैं.., प्रेम से रहता हैं, वही सही मायने में जीता हैं..। जो स्वार्थ में जीता हैं, वो मर रहा हैं..। इसलिए प्यार पाने के लिए प्यार करो, क्योंकि यही जिंदगी का नियम हैं। 
 
 

 


* सबसे पहले यह अच्छे से जान-समझ लो कि हर बात के पीछे एक मतलब होता हैं। इस दुनिया की हर चीज बहुत अच्छी हैं, पवित्र और सुंदर हैं। अगर आपको कुछ बुरा दिखाई देता है तो इसका मतलब यह नहीं कि वो बुरा हैं। इसका मतलब यह हैं कि आपने उसे सही रोशनी में नहीं देखा। 
 
 

 


* विवेकानंद कहते हैं ईसा मसीह की तरह सोचो और तुम ईसा बन जाओगे। बुद्ध की तरह सोचो और तुम बुद्ध बन जाओगे। जिंदगी बस महसूस होने का नाम हैं। अपनी ताकत, हमारी कला-कौशल का नाम हैं, जिनके बिना ईश्वर तक पहुंचना नामुमकिन है। 


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