राजीव गांधी ऐसे परिवार के सदस्य थे जिसका प्रत्येक सदस्य आजादी की लड़ाई में अपना सर्वस्व न्योछावर किए हुए था। राजीव गांधी के नाना पंडित जवाहरलाल नेहरू उनके जन्म के समय अपनी अंतिम व नौवीं जेल यात्रा पर थे और उनकी माता इंदिरा गांधी 15 महीने पहले ही जेल से छुटी थीं और पिता फिरोज गांधी भी आजादी की लड़ाई के लिए उनके जन्म से 1 वर्ष पहले ही जेल से बाहर आए थे।
सरल स्वभाव व मिलनसार व्यक्तित्व के धनी राजीव गांधी, जिनका पूरा नाम राजीवरत्न गांधी था, एक संकोची प्रवृत्ति के भी इंसान थे और अपने भाई संजय गांधी की मृत्यु के बाद अपनी मां इंदिरा गांधी का राजनीतिक सहारा बनने के लिए अमेठी से सांसद के रूप में वे पहली बार राजनीति में आए।
राजीव गांधी की प्रारंभिक शिक्षा देश के प्रतिष्ठित दून स्कूल में हुई थी और इसके बाद उन्होंने लंदन के इंपीरियल कॉलेज में प्रवेश लिया और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की उपाधि प्राप्त की। भारत आकर राजीव गांधी ने इंडियन एयरलाइंस में पायलट के तौर पर काम शुरू किया।
राजीव गांधी को अपने नाना से 'आराम हराम है' और अपने पिता से 'अपना काम खुद करो' की प्रेरणा मिली थी। राजीव गांधी को 1981 में कांग्रेस पार्टी का महासचिव बनाया गया और इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद उन्होंने विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में सबसे युवा व भारत देश के नौवें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।
राजीव गांधी एक उदार व्यक्तित्व के राजनेता माने जाते थे और अपनी माता की मृत्यु के बाद हुए चुनावों में उन्होंने विश्व रिकॉर्ड के साथ भारत की संसद में अपना बहुमत साबित किया।
राजीव गांधी सौम्य स्वभाव के राजनेता थे और किसी भी निर्णय में जल्दबाजी नहीं करते थे। वे अपने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर व विचार-विमर्श करके ही किसी निर्णय पर पहुंचते थे।
राजीव गांधी ने अपने प्रधानमंत्री बनने के बाद भारतीय राजनीति के पन्नों पर अपनी सोच और अपने सपनों को उकेरना शुरू किया। लेकिन उन्होंने जो सोचा वो पुराने ढर्रे की राजनीति से एकदम अलग था। उन्होंने दिल्ली दरबार से बाहर निकलकर देश के गांवों में जाना शुरू किया और इस देश की नब्ज को टटोलना शुरू किया।
राजीव गांधी ने अपने प्रधानमंत्री काल में प्रशासन में सरकारी नौकरशाही में सुधार लाने और देश की अर्थव्यवस्था में उदारीकरण के लिए जोरदार प्रयास किया। कश्मीर और पंजाब के अलगाववादी आंदोलनकारियों को हतोत्साहित करने के लिए उन्होंने भरसक कोशिशें कीं।
राजीव गांधी ने देश के गरीबों के उत्थान के लिए 1 अप्रैल 1989 को जवाहर रोजगार गारंटी योजना, इंदिरा आवास योजना और 10 लाख कुआं जैसी योजनाएं चालू कीं।
भारत में कम्प्यूटर व संचार क्रांति के जनक के रूप में राजीव गांधी को सदैव याद किया जाएगा। रेलवे का कम्प्यूटरीकरण करके उन्होंने इस देश के सामने क्रांतिकारी परिवर्तन करके रख दिया।
राजीव गांधी एक ऐसे प्रधानमंत्री थे, जो जनता से सीधे जुड़े थे और एक ऐसे नेता के रूप में विख्यात थे जिनकी पहुंच देश के आम आदमी के हृदय तक थी।
राजीव गांधी ने सबसे पहले क्षेत्रवाद से आगे बढ़कर अंतरराष्ट्रीय स्तर की बात सोची और देश को 21वीं सदी का भारत बनाने की सोची।
आज हम जिस आधुनिक भारत में सांस ले रहे हैं और आज जो घर-घर में कम्प्यूटर है और हर हाथ में मोबाइल है, आज जिस भारत का लोहा अमेरिका सहित पूरी दुनिया मान रही है और जिस आधुनिक भारत की तरफ विश्व आशाजनक दृष्टि से देख रहा है, वह भारत और भारत का यह वर्तमान स्वरूप राजीव गांधी की ही देन है।
विकास को पसंद करने वाले राजीव गांधी ने कभी भारत को मजबूत, महफूज और तरक्की की राह पर रफ्तार से दौड़ता मुल्क बनाने का सपना देखा था।