बर्लिन। अपनी कला और संग्रहालयों के लिए दुनियाभर में चर्चित बर्लिन अब दुनिया का सबसे बड़ा थर्मस बना रहा है। जर्मनी की राजधानी बर्लिन की स्प्री नदी के तट पर इसे बनाया जा रहा है। यह थर्मस इतना बड़ा है कि इसके अंदर 5.6 करोड़ लीटर पानी भरकर रखा जा सकता है। करीब 150 फीट ऊंचा यह थर्मस इस साल के अंत तक बनकर तैयार हो जाएगा। इसे एक बहुत ही विशेष उद्देश्य की पूर्ति हेतु बनाया जा रहा है। आइए विस्तार से जानते हैं इसे बनाने की वजह के बारे में ....
बर्लिन की वॉटनफॉल कंपनी इस विशाल थर्मस को बना रही है। कंपनी के अनुसार इस थर्मस को गर्म पानी स्टोर करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। ये एक इंसुलेटेड थर्मस है, जो 13 घंटों तक पानी को गर्म रख सकता है। इससे ठंड के दिनों में बर्लिन की एक बड़ी आबादी को राहत मिलेगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस थर्मस को बनाने के दो मुख्य उद्देश्य हैं। पहला, इसका उपयोग ठंड के दिनों में लोगों को गर्म पानी पहुंचाने के लिए किया जाएगा और दूसरा अगर रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते रूस सर्दियों के मौसम में यूरोप को गैस सप्लाई करना बंद कर देता है। फिर भी बर्लिन में लोगों के घरों तक गर्म पानी पहुंचाया जा सकेगा।
यह थर्मस ईंधन भी बचाएगा, जिससे पर्वावरण को कोई हानि भी नहीं होगी। क्योकि, पानी गर्म करने के लिए ये थर्मस पवन और सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करेगा। इसे बनाने में कुल मिलाकर 400 करोड़ रुपयों का खर्च आएगा।
जर्मनी की भोगौलिक स्थिति ऐसी है कि देश ऊर्जा के लिए काफी हद तक रूस पर निर्भर है। इसी निर्भरता को कम करने के लिए यह कदम उठाया गया है।