भारत में यूं तो बरगद के लाखों पेड़ काट दिए जाने के बाद अभी भी लाखों बरगद के पेड़ बचे हैं उनमें से कई हजार पुराने बरगदों में उज्जैन का सिद्धवट, प्रयाग का अक्षयवट, मथुरा-वृंदावन का वंशीवट, गया का गयावट, पंचवटी (नासिक) का पंचवट प्रमुख माना जाता है, लेकिन इसके अलावा भी भारत में कई विशालकाय वट वृक्ष पाए जाते हैं। उन्हीं में से एक है 'द ग्रेट बनियान ट्री'।
इस विशालकाय वृक्ष पहली बार देखने से समझ में यह आता है कि यह कोई छोटा सा जंगल है जिसमें हजारों एक जैसे वृक्ष उगे हुए हैं लेकिन गौर से देखने पर समझ में आता है कि यह तो एक ही वृक्ष है जिसकी जटाएं, जड़ और तने चारों और फैल गए हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में ही है यह विश्व का सबसे बड़ा और विशालकाय बरगद का पेड़। हर साल देश-विदेश से हजारों टूरिस्ट इस बरगद को देखने के लिए आते हैं।
ये बरगद का पेड़ कोलकाता के आचार्य जगदीश चंद्र बोस बॉटनिकल गार्डन में है। साल 1787 में जब इस बोटेनिकल गार्डेन को स्थापित किया गया, उस समय इस बरगद की उम्र 15 से साल 20 साल थी। इस लिहाज से आज इस बरगद की उम्र लगभग 250 साल से भी अधिक है। इस बरगद को दूर से देखें तो ये एक जंगल की तरह नजर आता हैं। दरअसल, बरगद के पेड़ की शाखाओं से निकली जटाएं पानी की तलाश में नीचे जमीन की और बढती गईं, जो बाद में जड़ के रूप में पेड़ को पानी और सहारा देने लगीं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि ये बरगद दुनिया का सबसे चौड़ा पेड़ है, जो लगभग 14,500 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। इस बरगद की 3,372 से अधिक जटाएं जड़ का रूप ले चुकी हैं। सबसे सुखद यह कि यह बरगद पक्षियों की 87 अलग-अलग प्रजातियां का सुकून भरा घर भी है। मूल तने की परिधि जमीन से 1.7 मी. की ऊंचाई पर 16.5 मी. थी। वर्तमान में यह लगभग 18.918 वर्ग मी. के क्षेत्र में फैला है। वृक्ष की परिधि लगभग 486 मी. है। इसकी सबसे ऊंची शाखा 24 मी. लंबी है। वर्तमान में जमीन तक पहुंचने वाली स्तंभ जड़ों की कुल संख्या 3,772 है।
साल 1884 और 1987 में आए 2 चक्रवाती तुफानों ने इस बरगद को काफी नुकसान पहुंचाया था। साल 1925 में इस विशाल बरगद की मुख्य शाखा में फंगस लग गया, जिसके बाद मुख्य शाखा को काटना पड़ा, लेकिन इतना कुछ झेलने के बाद भी ये बरगद आज शान से अपनी जगह पर अडिग और अटल खड़ा है। 19वीं शताब्दी की कुछ यात्रा वृत्तातों में इसका उल्लेख अवश्य मिलता है।
इसकी विशलता को देखते हुए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में इसका नाम दर्ज है। इस विशाल बरगद के सम्मान में भारत सरकार ने साल 1987 में डाक टिकट जारी किया था और यह बरगद बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया का प्रतीक चिन्ह भी है।