क्या है जगन्नाथ भगवान् में धड़कता है श्री कृष्ण का ह्रदय, क्या है ब्रह्म तत्व का अबूझ रहस्य
, गुरुवार, 19 जून 2025 (17:53 IST)
mysteries of jagannath temple idols: भारत के चार धामों में से एक, ओडिशा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर, केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि अद्भुत रहस्यों और चमत्कारों का जीवंत उदाहरण भी है। इस मंदिर से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं, जो विज्ञान और तर्क की कसौटी पर खरी नहीं उतरतीं, लेकिन भक्तों के लिए ये आस्था का प्रतीक हैं। इनमें सबसे बड़ा रहस्य है, भगवान जगन्नाथ की मूर्ति में धड़कता भगवान कृष्ण का हृदय, जिसे 'ब्रह्म तत्व' कहा जाता है। आइए, जानते हैं इस रहस्यमयी कथा और ब्रह्म तत्व के पीछे छिपी मान्यताओं को।
कैसे धड़कता है भगवान जगन्नाथ में श्री कृष्ण का हृदय?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान कृष्ण ने अपनी देह त्यागी, तो उनका अंतिम संस्कार किया गया। कहा जाता है कि उनका शरीर तो पंच तत्वों में विलीन हो गया, लेकिन उनका हृदय नहीं जला। यह दिव्य हृदय आज भी सुरक्षित है और माना जाता है कि यही हृदय भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के भीतर 'ब्रह्म तत्व' के रूप में विद्यमान है और आज भी धड़कता है।
राजा इंद्रद्युम्न ने सपना देख करवाया मूर्तियों का निर्माण
जगन्नाथ मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण अपने भाई-बहन के साथ विराजमान हैं। यह बात मत्स्य पुराण में भी उल्लेखित है। अन्य मंदिरों में मूर्तियां धातु या पत्थर की बनी होती हैं। लेकिन जगन्नाथ मंदिर में मूर्तियां नीम की लकड़ियों से बनी हैं। मान्यता है कि राजा इंद्रद्युम्न को सपने में श्रीकृष्ण ने नीम की लकड़ी से मूर्तियां बनाने का आदेश दिया था। इसलिए राजा ने यह मंदिर बनवाया।
ब्रह्म तत्व का रहस्य और नव कलेवर
पुरी के जगन्नाथ मंदिर में हर 12 साल में मूर्तियों का 'नव कलेवर' यानी पुनर्जन्म किया जाता है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की पुरानी मूर्तियों को बदला जाता है और नई मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। यह प्रक्रिया अत्यंत गोपनीय और रहस्यमयी होती है। जब मूर्तियों को बदला जाता है, तो पूरे पुरी शहर की बिजली काट दी जाती है, ताकि कहीं भी कोई रोशनी न हो। जिन पुजारियों को यह कार्य सौंपा जाता है, उनकी आंखों पर पट्टी बांध दी जाती है और हाथों में दस्ताने पहना दिए जाते हैं।
मान्यता है कि ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि कोई भी 'ब्रह्म तत्व' को न देख पाए और न ही उसे सीधे छू पाए। कहा जाता है कि जो भी इसे देखता या छूता है, उसकी मृत्यु निश्चित है। पुजारियों का अनुभव है कि जब वे पुरानी मूर्ति से 'ब्रह्म तत्व' को निकालकर नई मूर्ति में स्थापित करते हैं, तो उन्हें हाथों में कुछ उछलता हुआ, जीवित-सा महसूस होता है, जैसे कोई खरगोश उछल रहा हो। यह अनुभव उन्हें विचलित कर देता है, लेकिन वे भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा और कर्तव्य के कारण इस कार्य को पूरा करते हैं।
ब्रह्म तत्व क्या है?
'ब्रह्म तत्व' वास्तव में क्या है, यह किसी को नहीं पता। यह मांस या मांसपेशियों से बना हुआ कोई सामान्य हृदय नहीं है, बल्कि इसे एक अत्यंत शक्तिशाली ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। कुछ लोग इसे भगवान श्रीकृष्ण की अनंत चेतना का प्रतीक मानते हैं, तो कुछ इसे एक प्राचीन और उन्नत उपकरण कहते हैं, जो प्रकाश के संपर्क में आने पर कंपन करता है। यह एक ऐसा रहस्य है, जिसे विज्ञान भी सुलझा नहीं पाया है।
जगन्नाथ मंदिर के अन्य रहस्य
'ब्रह्म तत्व' के अलावा भी जगन्नाथ मंदिर से जुड़े कई ऐसे रहस्य हैं, जो लोगों को अचंभित करते हैं:
• ध्वज की दिशा: मंदिर के शिखर पर लगा ध्वज हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है, जो एक वैज्ञानिक पहेली है।
• सुदर्शन चक्र: मंदिर के शीर्ष पर स्थित सुदर्शन चक्र को किसी भी दिशा से देखने पर वह हमेशा आपकी ओर ही प्रतीत होता है।
• परछाई का न बनना: मंदिर के मुख्य गुंबद की परछाई दिन के किसी भी समय जमीन पर नहीं पड़ती है।
• समुद्र की लहरों की आवाज: मंदिर के सिंहद्वार में प्रवेश करते ही समुद्र की लहरों की आवाज सुनाई देना बंद हो जाती है, जो बाहर स्पष्ट रूप से सुनाई देती है।
• पक्षी और विमान: मंदिर के ऊपर से कोई पक्षी या विमान उड़ता हुआ नहीं दिखाई देता है।
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