इंदौर के ताजिए : 30-35 लोग मिलकर उठाते थे

अपना इंदौर
होलकरों के समय में मोहर्रम के अवसर पर सरकारी ताजिया बड़ी धूमधाम से निकाला जाता था। इंदौर में राजबाड़ा बन जाने के बाद नए इमामबाड़े से सरकारी ताजिया निकलने लगा। यह ताजिया देश की आजादी के पूर्व तक 7 खंडों (मंजिल) का होता था और इसकी ऊंचाई 55 फीट होती थी। खासगी ट्रस्ट से इसके निर्माण का खर्च मिलता था। इसे लगभग 100 व्यक्ति उठाते थे।

इतने बड़े ताजिए को साधने और संभालने के लिए रस्सियां बांधी जाती थीं। महाराजा स्वयं आते थे, सैली पहनते थे तथा फातिहा पढ़वाते थे। वे हाथी पर बैठकर करबला तक जाते थे। ताजिए के साथ अखाड़े और दूसरे सरकारी ओेहदेदार जाते थे। पहले इस ताजिए को ख्वाजाबख्श बनाते थे। उसके बाद उनके पुत्र श्री यासीन बाबा। सरकारी ताजिए का प्रतीकात्मक रूप से निर्माण अब भी इमामबाड़े के निकट होता है।
 
दूसरा प्रमुख ताजिया होलकर फौज का उठता था। इसका निर्माण किले में (जहां आजकल नूतन कन्या महाविद्यालय) है) होता था। यह ताजिया सरकारी ताजिए की तुलना में कम ऊंचा होता था अर्थात 40 फीट ऊंचा। इसका अधिकांश भाग ताड़ियों का बना होता था। इस ताजिए के साथ फौज के सैनिक व अधिकारी करबला तक जाते थे।
 
इनके अतिरिक्त भी नगर में अनेक छोटे-बड़े ताजिए बनते और निकाले जाते थे। कागदीपुरा शिया जगत की पंचायत द्वारा चांदी का ताजिया निकाला जाता रहा है। लेकिन यह ताजिया करबला नहीं जाता था। इसे वहीं पानी के छींटें मारकर ठंडा किया जाता था।
 
कागदीपुरा से बड़ा घोड़ा निजी तौर पर निकलता था। यह घोड़ा 20 फीट लंबा, 12 फीट ऊंचा तथा 13 फीट चौड़ा होता था। 30-35 व्यक्ति मिलकर इसे उठाते थे। कागदीपुरे से निजी तौर पर छोटा घोड़ा भी बनता रहा।
 
निजी रास्तों से ताजिए निकलते थे। उन्हें धोकर साफ किया जाता था। इन मार्गों पर सबीलें (प्याऊ) भी लगती थीं। जुलूस में सभी उम्र, वर्ग और समुदाय के लोग शामिल होते थे। कई महिलाएं अपने बच्चों को ताजियों के नीचे से निकालकर दुआएं मांगती थीं और आज भी ऐसा करती हैं। उल्लेखनीय है कि इनमें से अधिकांश ताजिए आदि अभी भी उठाए जाते हैं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

इतिहास-संस्कृति

इंदौर के समस्त महलों का सिरमौर लालबाग पैलेस

इंदौर का प्राचीनतम गणेश मंदिर, खतों के आईने में

इंदौर नगर की महत्वपूर्ण इमारतें

इंदौर नगर की होलकरकालीन प्रमुख छत्रियां

इंदौर में ऐसे आई होलकर राज्य की रेलवे

सभी देखें

रोचक तथ्य

गांधी दूल्हा 1 लाख के दहेज के लालच में बड़वाह से मोटर में दौड़ पड़े!

जब सिंधिया की फौज ने इंदौर को लूटा

सन् 1784 में सराफा में डाकुओं ने डाका डाला था

तात्या सरकार : राजसी गुणों-अवगुणों की मिसाल

इंदौर की पहचान दानवीर राव राजा सर सेठ हुकुमचंद

अगला लेख