एक और महामशीन!

सापेक्षता के सिद्धांत के जवाब ढूँढेगी नई महामशीन

संदीपसिंह सिसोदिया
जिनेवा में लार्ज हैडरन कोलाइडर (एलएचसी) के महापरीक्षण के बाद वैज्ञानिक इससे भी बड़ी मशीन बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इस मशीन का नाम रखा गया है 'इंटरनेशनल लीनियर कोलाइडर' (आईएलसी)। यह एक अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट है। इसका मकसद भी विज्ञान के अनसुलझे सवालों को खोजना होगा।

PRPR
महामशीन से तुलना : प्रोजेक्ट के यूरोपियन डायरेक्टर और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ब्रायन फोस्टर बताते हैं कि आईएलसी भी एलएचसी के ढाँचे पर ही काम करेगी। इसके बावजूद यह उससे काफी अलग और एडवांस होगी। यह उससे ज्यादा लंबी यानी करीब 30-50 किलोमीटर की होगी। आईएलसी की तरह उसकी सुरंग गोल नहीं, बल्कि लंबी होगी। इसीलिए इसका नाम लीनियर कोलाइडर है। एलएचसी में तो प्रोटॉन बीम की आपसी टक्कर होना है, जबकि आईएलसी में मैटर (इलेक्ट्रॉन) और एंटी मैटर (पॉजिट्रॉन) की टक्कर होगी।

इन दोनों पार्टिकलों को फायर करने के लिए इसमें दो 'गन' होंगी, जो आमने-सामने लगी होंगी। मैटर और एंटी मैटर के कणों को तेज गति से चलने वाली रेडियो तरंगों पर सवार कर एक-दूसरे से टकराया जाएगा।

पर्यावरणविद्‍ हमेशा एलएचसी का विरोध करते रहे हैं क्योंकि इसकी एक बड़ी समस्या है कि इसमें प्रयोग के दौरान काफी 'कचरा' निकलेगा, पर वैज्ञानिक दावा कर रहे हैं कि आईएलसी पर्यावरण के लिहाज से एकदम क्लीन प्रोजेक्ट है।

क्य ा करेग ी न ई मशीन : महामशीन से भी बड़ी इस मशीन को कुछ ऐसे सवालों के जवाब देने के लिए बनाया जाएगा जिन्हें ढूँढ पाना महामशीन के लिए भी मुमकिन नहीं है। असल में एलएचसी में होने वाले एक्सपेरिमेंट में हिग्स बोसॉन का निर्माण होगा। इस नए कण की खूबियां जानने में आईएलसी काम आएगी।

मिलेंगे कई जवाब : इसके अलावा आइंस्टीन ने अपनी थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी या सापेक्षता के सिद्धांत में कई सवाल उठाए थे जिनके जवाब आज तक नहीं ढूँढे जा सके हैं। उनके हिसाब से बहुत बड़ी और बहुत छोटी चीजों पर एक जैसे नियम नहीं लागू होने चाहिए। मसलन, परमाणुओं और सूक्ष्म कणों पर तीन तरह के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक बल लगते हैं। इसके अलावा उन पर उनके नाभिकों की ताकतें भी लगती हैं।

दूसरी ओर, चाँद-तारों पर एक चौथी ताकत ग्रेविटेशनल फोर्स भी काम करती है। आइंस्टीन के सिद्धांत की समस्या यह है कि उसके जरिये गुरुत्वाकर्षण और बाकी तीन बलों में तालमेल नहीं बैठाया जा सकता।

भौतिकशास्त्री का मानना है कि बिग बैंग के तुरंत बाद केवल एक ही ताकत थी। समय गुजरने के बाद यह चार ताकतों में बँट गई। उम्मीद की जा रही है कि आईएलसी के माध्यम से इस शुरुआती ताकत को पैदा करके देखा जा सकेगा कि यह किस तरह चार ताकतों में विभक्त होती है। इसके अलावा यह ब्रह्मांड में मौजूद डार्क मैटर पर भी नई जानकारी मुहैया कराएगी।

वैश्वि क स्त र प र तैयारी : द ो दर्ज न स े अधि क देशो ं क े 300 विश्वविद्यालयो ं तथ ा प्रयोगशालाओ ं क े 2000 स े अधि क लो ग इ स प्रयो ग स े जुड़ े है । तीन साल पहले शुरू हुए लगभग 32 अरब रुपए के इस प्रोजेक्ट पर अभी तक 12 अरब रुपए खर्च हो चुके हैं। उम्मीद है कि इसका फाइनल डिजाइन 2012 तक आ जाएगा। हालाँकि इसे किस देश में स्थापित किया जाएगा, इसका फैसला अभी बाकी है। पर अंदाज ा लगाय ा ज ा रह ा ह ै क ि इस े भ ी स्विट्जरलैं ड मे ं लगाय ा जाएगा ।

चित् र सौजन् य - DESY/Interactions

Show comments

8 बार डाला वोट, वायरल वीडियो पर अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग से पूछा सवाल

कब तक पड़ेगी भीषण गर्मी, कितने दिन झेलनी होगी लू की तपिश, IMD ने दी जानकारी

अब CISF करेगी संसद की सुरक्षा, कल से संभालेगी कमान

PM मोदी बोले- सामाजिक और धार्मिक संगठनों को धमका रहीं ममता बनर्जी, TMC लांघ रही शालीनता की हदें

टूरिस्टों पर हमले से चिंता में कश्मीरी, पाकिस्तान को रास नहीं आ रही पर्यटकों की बाढ़

Lok Sabha Election 2024 : 8 राज्यों की 49 सीटों पर वोटिंग आज, राहुल गांधी, राजनाथ सिंह और स्मृति ईरानी की किस्मत का होगा फैसला

10 लाख रिश्वत लेते पकड़ाया CBI निरीक्षक, नर्सिंग कॉलेज घोटाले की कर रहा था जांच

8 बार डाला वोट, वायरल वीडियो पर अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग से पूछा सवाल

कब तक पड़ेगी भीषण गर्मी, कितने दिन झेलनी होगी लू की तपिश, IMD ने दी जानकारी

अब CISF करेगी संसद की सुरक्षा, कल से संभालेगी कमान