गहराया हुआ है सितारों की मौत का राज

Webdunia
मंगलवार, 30 जून 2009 (13:59 IST)
दुनिया में जानी-मानी हस्तियों की अचानक हुई मौतों के ईद-गिर्द हमेशा रहस्य का ताना-बाना बुना जाता रहा है। महान पॉप गायक माइकल जैक्सन हों या अभिनेत्री मर्लिन मुनरो, गायक एल्विस प्रेस्ले हों या बीटल के जॉन लैनन, इन सभी की मौतों पर पड़ा रहस्य का परदा आज भी पूरी तरह उठ नहीं पाया है।

माइकल जैक्सन का जब दिल का दौरा पड़ने से गत गुरुवार को निधन हो गया तब कुछ ही घंटों के भीतर इस तरह की साजिश की खबरें सामने आने लगीं। कुछ लोगों ने इसे फर्जी मौत करार देते हुए कहा कि अपने दिवालियेपन से बचने और मीडिया की नजरों से दूर रहने के लिए जैक्सन ने अपनी मौत की कहानी बुनी है।

बहरहाल जैक्सन की मौत इस तरह का पहला मामला नहीं है। वर्ष 1962 में मर्लिन मुनरो की लॉस एंजिल्स स्थित घर में मृत्यु से भी कई प्रकार की साजिश की बातें सामने आईं। पोस्टमार्टम के बाद उनके शरीर से कई दवाओं का मिश्रण प्राप्त हुआ था और काउंटी कोरोनर ने मौत का कारण शरीर में अधिक बारबिट्यूरेट दवाओं के कारण जहर फैलना बताया था। उल्लेखनीय है कि बारबिट्यूरेट केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाली दवाएँ हैं और ये नींद भी लाती हैं।

बहरहाल मर्लिन की मृत्यु को लेकर कयास अब भी लगाए जाते हैं और ये पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी और उनके भाई राबर्ट केनेडी के इर्द-गिर्द घूमती है। सबसे चर्चित आरोप है कि उनकी हत्या सीआईए या माफिया ने की क्योंकि वह केनेडी के संगठित अपराध से जुड़े होने के संबंध में कई बातें जान गई थीं।

इसके बाद अगली मौत का मामला 1977 में एल्विस प्रेस्ले का है। प्रेस्ले को उनके गार्सलैंड स्थित घर के बाथरूम के फर्श पर मृत पाया गया था। 1977 की इस घटना को लेकर साजिश की कहानियाँ आज भी हवा में तैरती हैं।

इस महान गायक के शव का दो बार पोस्टमार्टम किया गया, जिसमें यह निष्कर्ष निकला कि उनकी मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई लेकिन अब भी उनकी मृत्यु पर रहस्य का परदा पड़ा हुआ है और कई तरह की कहानियाँ सुनने को मिलती हैं। उसमें से प्रमुख है कि उन्होंने अपने रिकॉर्ड की बिक्री में तेजी लाने के लिए अपनी मौत का स्वांग रचा था। तीन दशकों से हजारों लोगों ने प्रेस्ले को कई मौकों पर देखने की बात कही।

इसी प्रकार 1980 के दशक में पूर्व बीटल सदस्य जॉन लेनन की मृत्यु को लेकर भी साजिश की कई बातें चर्चित हैं। न्यूयॉर्क में डकोटा की इमारत में लेनन की मार्क डेविड चैपमैन ने आठ दिसंबर 1980 को गोली मारकर हत्या कर दी थी। हत्या के आरोप में उन्हें जेल की सजा दी गई और वे अब भी जेल में हैं। लेकिन सबसे बड़ी चर्चित साजिश है कि उनकी हत्या रिमोट कंट्रोल से की गई।

इस दावे में यकीन रखने वालों का मानना है कि चैपमैन को अमेरिकी सरकार के एजेंटों ने लेनन को मारने के लिए मानसिक रूप से तैयार किया था।

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