मासूमों का कातिल बना 'गन कल्चर', आतंकियों से ज्यादा अपनों ने मारा अमेरिकियों को...

Webdunia
शनिवार, 19 मई 2018 (16:47 IST)
दुनिया के महाशक्तिमान देश अमेरिका में आए दिन हो रही गोलीबारी की घटनाओं में हजारों लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। सबसे अधिक पीड़ित स्कूली बच्चे हैं, जिन्हें कोई भी सिरफिरा जब चाहे गोलियों से भून देता है। आखिर क्या है इस आतंक का कारण, क्या अमेरिका के मूल स्वभाव में ही बसा हुआ है यहां का हत्यारा 'गन कल्चर'।
 
 
दरअसल अमेरिका को आजादी मिलने के साथ ही गन संस्कृति की शुरुआत हुई। दूसरे संविधान संशोधन में गन संस्कृति को अमलीजामा पहना दिया गया, जिसके बाद कोई भी व्यक्ति अपने घर में बंदूक रख सकता था और बाजार में बंदूक लेकर घूम सकता था।
 
2015 में वॉशिंगटन पोस्ट में छपी एक रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका में जनसंख्या से ज्यादा तो बंदूकें हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि जहां 2013 में अमेरिका की जनसंख्या 31 करोड़ 70 लाख थी, वहीं आम नागरिकों के पास बंदूकों की संख्या उससे ज्यादा यानी 35 करोड़ 70 लाख थी।
 
आमतौर पर रिपब्लिकन पार्टी को इस संस्कृति का संरक्षक माना जाता है। जहां अमेरिका में लगभग 50% लोगों का मानना है कि गोलीबारी की हिंसा या गन वायलेंस एक गंभीर समस्या है, वहीं केवल 32% रिपब्लिकन ही गोलीबारी हिंसा को गंभीर मानता है। सीएनएन के अनुसार, 40% रिपब्लिकन या उससे जुड़े लोगों के पास बंदूकें हैं, जबकि केवल 20% डेमोक्रेटस के पास ही बंदूक है।
 
आंकड़े बताते हैं कि अकेले अमेरिका में ही (2007) प्रति 100 में से 88.8 लोग अपने पास बंदूक रखते हैं। इस तरह बंदूक रखने वाले लोगों की संख्या अमेरिका में सबसे ज्यादा है। वहीं दूसरे नंबर पर यमन आता है जहां यह संख्या प्रति 100 में 54.8 लोगों की है।
 
अमेरिका में करीब 42 प्रतिशत अमेरिकी लाइसेंसी हथियार रखते हैं। कमजोर बंदूक कानून के चलते 88.8 फीसदी अमेरिकियों के पास बंदूकें हैं, जो दुनिया में प्रति व्यक्ति बंदूकों की संख्या के लिहाज से बड़ा आंकड़ा है। 
 
दिलचस्प यह है कि जिस अमेरिका में 21 वर्ष की उम्र से पहले अल्कोहल खरीदना गैर-कानूनी है। वहां, ज्यादातर राज्यों में युवा 18 वर्ष की उम्र से पहले ही एआर-15 मिलेट्री स्टाइल राइफल खरीद सकते हैं। फेडरल लॉ के तहत जहां हैंडगन खरीदने के लिए सख्त अहर्ताएं हैं। 21 वर्ष के ऊपर के उम्र वाले किसी लाइसेंसी डीलर से इसे खरीद सकते हैं। वहीं मिलेट्री स्टाइल राइफल के लिए कोई विशेष नियम या सख्ती नहीं है। 
 
अमेरिका में शीतयुद्ध तक कई बेहतरीन कंपनियां हथियार बनाती थीं। तीसरी दुनिया के देशों में इन कंपनियों के हथियारों की खूब बिक्री हुई थी। जब शीतयुद्ध का दौर खत्म हुआ तो हथियारों की बिक्री में कमी आई। जब इसकी बिक्री बंद हुई तो शेष बचे हथियारों की बिक्री अमेरिकी समाज में सस्ते दामों पर होने लगी। प्रतिस्पर्धा के चलते अन्य पश्चिमी देशों मसलन इटली, फ्रांस में निर्मित हथियार अमेरिकी बाजार में आने लगे। 
 
यही वजह है कि प्रति 10 लाख आबादी पर सरेआम गोली चलाने (मास शूटिंग) की घटनाएं अमेरिका में सबसे ज्यादा होती हैं। 2012 में इसकी दर 29.7 रही। दिसंबर 2012 में सैंडी हुक स्कूल में मॉस शूटिंग के बाद अमेरिका में ऐसी 1500 घटनाएं हो चुकी हैं। इनमें 1715 लोग मारे गए हैं और 6089 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 
 
अमेरिका में वर्ष 2000 से 2013 के बीच गोलीबारी की कुल घटनाओं में से 17 प्रतिशत स्कूलों में हुईं, जबकि ‘ऐवरी टाउन फॉर गन सेफ्टी’ संगठन के अनुसार, वहां 2013 के बाद से स्कूलों में गोलीबारी की 142 घटनाएं हुईं, जिनमें छात्रों और फैकल्टी के सदस्यों दोनों की ही मौतें हुईं।
 
जानबूझकर बंदूक से की गई हत्या की दर अमेरिका में अन्य उच्च आय वाले देशों की तुलना में 25.2 गुना अधिक है। अमेरिका के बंदूक से जुड़े कानून बहुत कमजोर हैं। अमेरिका के नेवादा के संविधान के मुताबिक, हर नागरिक को अपनी सुरक्षा और बचाव के लिए बंदूक रखने का अधिकार है। 
 
यहां बंदूक खरीदने के लिए किसी तरह के परमिट की जरूरत नहीं है, ना ही इसके लिए आपको लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन की जरूरत है। इतना ही नहीं यहां बंदूकों की संख्या की भी कोई सीमा नहीं है। 
 
यहां एक समय में एक घर में कोई शख्स कितनी भी बंदूकें रख सकता है। यहां पोलिंग प्लेस तक भी बंदूक ले जाने की मनाही नहीं है। इसके साथ ही केसीनो और बार में भी बंदूक ले जाई जा सकती हैं, लेकिन स्कूल में बंदूक ले जाने की इजाजत नहीं है। 
 
स्कूलों के छात्र-छात्राओं में असहिष्णुता इस कदर बढ़ रही है कि वे बात-बात पर हथियार निकालने लगे हैं जिसके चंद उदाहरण यहां पेश हैं :
 
20 जनवरी, 2017 को ओहियो के लिबर्टी सलेम हाईस्कूल में एक 16 वर्षीय छात्र ने फायर करके अपने 2 सहपाठियों को घायल कर दिया।
 
13 सितम्बर, 2017 को वॉशिंगटन के फ्रीमैन हाईस्कूल में एक 15 वर्षीय छात्र द्वारा साथी छात्रों पर गोली चला देने के परिणामस्वरूप एक छात्र की मृत्यु तथा अनेक छात्र घायल हो गए।
 
20 सितम्बर, 2017 को मध्य इलिनाय के मैटून हाईस्कूल के कैफेटेरिया में एक छात्र ने फायरिंग करके दूसरे छात्र को घायल कर दिया।  
 
7 दिसम्बर, 2017 को छात्र के वेश में आए एक 21 वर्षीय बंदूकधारी द्वारा न्यू मैक्सिको के एजटैक हाई स्कूल में गोली चलाने से 2 छात्र मारे गए। 
 
22 जनवरी, 2018 को टैक्सास की एलिस काउंटी में एक हाईस्कूल में एक 16 वर्षीय छात्र द्वारा सैमी-आटोमैटिक हैंडगन से गोली चला दिए जाने के परिणामस्वरूप एक छात्र घायल हो गया।
 
23 जनवरी को पश्चिमी कैन्टुकी के ग्रामीण इलाके में स्थित एक हाईस्कूल में भीड़ से भरे हाल में 15 वर्षीय एक छात्र द्वारा अचानक की गई फायरिंग में 2 छात्र मारे गए तथा 20 अन्य घायल हो गए। यह छात्र तब तक गोलियां चलाता रहा, जब तक कि गोलियां समाप्त नहीं हो गईं। 
 
1 फरवरी को लॉस एंजिल्‍स शहर के डाउन टाउन स्थित सैल कास्त्रो मिडल स्कूल में 12 वर्ष की एक छात्रा कक्षा के अंदर बंदूक लेकर चली आई तथा उसने गोलियां चला दीं, जिसके परिणामस्वरूप 5 लोग घायल हो गए जिनमें से एक छात्र के सिर में गोली लगी।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Gold Prices : शादी सीजन में सोने ने फिर बढ़ाई टेंशन, 84000 के करीब पहुंचा, चांदी भी चमकी

Uttar Pradesh Assembly by-election Results : UP की 9 विधानसभा सीटों के उपचुनाव परिणाम, हेराफेरी के आरोपों के बीच योगी सरकार पर कितना असर

PM मोदी गुयाना क्यों गए? जानिए भारत को कैसे होगा फायदा

महाराष्ट्र में पवार परिवार की पावर से बनेगी नई सरकार?

पोस्‍टमार्टम और डीप फ्रीजर में ढाई घंटे रखने के बाद भी चिता पर जिंदा हो गया शख्‍स, राजस्‍थान में कैसे हुआ ये चमत्‍कार

सभी देखें

नवीनतम

Election Results : कुछ ही घंटों में महाराष्ट्र और झारंखड पर जनता का फैसला, सत्ता की कुर्सी पर कौन होगा विराजमान

LG ने की आतिशी की तारीफ, कहा- केजरीवाल से 1000 गुना बेहतर हैं दिल्ली CM

टमाटर अब नहीं होगा महंगा, जनता को मिलेगी राहत, सरकार ने बनाया यह प्लान

Wayanad bypolls: मतगणना के दौरान प्रियंका गांधी पर होंगी सभी की निगाहें, व्यापक तैयारियां

Manipur: मणिपुर में जातीय हिंसा में 258 लोग मारे गए, 32 लोग गिरफ्तार

अगला लेख