ऑडी कार डिवीजन का CEO गिरफ्तार, 1.1 करोड़ कारों में गड़बड़ कर ग्राहकों से वसूले थे हजारों डॉलर...

Webdunia
सोमवार, 18 जून 2018 (18:00 IST)
बर्लिन। 1 करोड़ 10 लाख डीजल कारों की इमिशन टेस्टिंग (प्रदूषण जांच) में गड़बड़ी करने के आरोप में फॉक्सवैगन के ऑडी डिवीजन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रूपर्ट स्टैडलर को सोमवार सुबह जर्मन अफसरों ने हिरासत में लिया। कंपनी ने कार में ऐसा सॉफ्टवेयर डाला गया, जिसके जरिए इमिशन टेस्ट के सही नतीजे सामने ही नहीं आते थे। सितंबर 2015 में कंपनी ने खुद खुलासा किया था।
 
जर्मन न्यूज एजेंसी डीपीए के मुताबिक, ऑडी की जांच में 20 से ज्यादा लोग संदेह के घेरे में है। इन पर आरोप है कि इन्होंने यूरोप में ये कारें बेची थीं। फॉक्सवैगन के द्बारा धोखाधड़ी करने की बात कबूलने के बाद यूएस में इसके नौ मैनेजर को आरोपी बनाया गया था। इनमें फॉक्सवैगन के पूर्व सीईओ मार्टिन विन्टरकोर्न भी शामिल थे। दो जेल में सजा काट रहे हैं। विन्टरकोर्न और बाकी 4 मैनेजर जर्मनी में हैं और इनका प्रत्यपर्ण होने की संभावना कम है।
 
साल 2009 में हुई यूएन क्लाइमेट मीट में अमेरिका, चीन, यूरोप सहित कई बड़े देशों ने ग्लोबल वार्मिंग को कम करने पर सहमति जताई थी जिसके लिए इमीशिन (प्रदूषण) कम करने की सहमति बनी थी। गाड़ियों से सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण (एयर पॉल्यूशन) होता है।

ऐसे में नई गाड़ियों को लेकर, अमेरिका समेत कई देशों ने इससे जुड़े नियम सख्त कर दिए थे। साथ ही नियमों को ना मानने वाली कंपनियों पर भारी जुर्माना का प्रावधान भी रखा। इसी सख्ती के बाद साल 2009 के अंत में फॉक्सवैगन ने अपनी कार में एईसीडी (ऑक्सीलरी ईमीशन कंट्रोल) नाम का सॉफ्टवेयर लगाकर ईपीए के पास टेस्टिंग के लिए भेजना शुरू किया था।
 
डिवाइस पॉल्यूशन को कंट्रोल करती थी, जब नॉर्मल टेस्टिंग पर जाती तो वह बंद हो जाती: यूएस एन्वायर्नमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी (ईपीए) ने बताया था कि इमिशन टेस्टिंग के लिए फॉक्सवैगन ने एक अलग डिवाइस बना रखी थी। यानी जब कभी फॉक्सवैगन की कारें इमिशन टेस्टिंग के लिए जाती थीं तो यह डिवाइस पॉल्यूशन को कंट्रोल कर लेती थी। इसके बाद जब भी यह कार नॉर्मल ड्राइविंग की टेस्टिंग पर जाती थी तो इमिशन कंट्रोल का सॉफ्टवेयर अपने आप बंद हो जाता था।

सॉफ्टवेयर ऐसा था जो टॉर्क को कंट्रोल कर एवरेज और कार का ओवरऑल परफॉर्मेंस बढ़ा देता था। वहीं, कार्बन इमिशन को घटा हुआ बताता था। उस वक्त यह बात भी सामने आई थी कि कंपनी ने इमिशन कंट्रोल सॉफ्टवेयर के नाम पर कस्टमर्स से 7 हजार डॉलर तक अतिरिक्त लागत वसूली थी।
 

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