बांग्लादेश में आरक्षण सुधार को लेकर छात्रों का प्रदर्शन, हिंसा में 28 की मौत, 2500 से ज्यादा घायल

Webdunia
गुरुवार, 18 जुलाई 2024 (22:28 IST)
बांग्लादेश में गुरुवार को सरकारी नौकरियों के लिए आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान राजधानी ढाका तथा अन्य जगहों पर हिंसा भड़कने से कम से कम 18 और लोगों की मौत हो गई तथा 2,500 से अधिक लोग घायल हो गए। इसके साथ ही विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से मरने वालों की संख्या 25 हो गई है।
 
प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने ढाका के रामपुरा इलाके में सरकारी बांग्लादेश टेलीविजन भवन की घेराबंदी कर दी और इसके अगले हिस्से को क्षतिग्रस्त कर दिया और वहां खड़े अनेक वाहनों को आग लगा दी। इससे वहां पत्रकारों सहित कई कर्मचारी फंस गए।
 
ढाका और अन्य शहरों में विश्वविद्यालय के छात्र 1971 में पाकिस्तान से देश की आजादी के लिए लड़ने वाले युद्ध नायकों के रिश्तेदारों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कुछ नौकरियों को आरक्षित करने की प्रणाली के खिलाफ कई दिनों से रैलियां कर रहे हैं।
 
समाचारपत्र ‘द डेली स्टार’ ने कहा कि प्रदर्शनकारियों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों तथा सत्तारूढ़ पार्टी के लोगों के बीच आज देश भर में हुई झड़पों में कम से कम 18 लोग मारे गए तथा 2,500 से अधिक लोग घायल हो गए।
 
इससे पहले, प्रोथोम अलो अखबार ने अपनी खबर में कहा था कि कुल मिलाकर 11 लोगों की मौत की खबर है। इनमें नौ लोगों की मौत ढाका, एक व्यक्ति की मौत राजधानी के बाहरी इलाके सावर तथा एक व्यक्ति की मौत दक्षिण-पश्चिमी मदारीपुर जिले में हुई है।
 
निजी सोमॉय टेलीविजन चैनल ने कहा कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए रबड़ की गोलियों, आंसू गैस और ध्वनि ग्रेनेड का इस्तेमाल जारी रखा। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच बड़ी झड़पें राजधानी के उत्तरा इलाके में हुईं जहां कई निजी विश्वविद्यालय स्थित हैं।
 
अधिकारियों ने मरने वालों की तत्काल पहचान जारी नहीं की लेकिन खबरों से पता चलता है कि मृतकों में से अधिकतर छात्र शामिल हैं। इससे पहले मंगलवार को 6 लोगों की मौत हो गई थी। बीती रात एक और मौत की सूचना मिली जिससे एक सप्ताह से अधिक समय पहले शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के बाद से मरने वालों की कुल संख्या 25 हो गई है। बढ़ती हिंसा के कारण अधिकारियों को गुरुवार दोपहर से ढाका आने-जाने वाली रेलवे सेवाओं के साथ-साथ राजधानी के अंदर मेट्रो रेल को भी बंद करना पड़ा।
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इंटरनेट बंद करने के आदेश : आधिकारिक बीएसएस समाचार एजेंसी ने बताया कि सरकार ने प्रदर्शनकारियों को विफल करने के लिए मोबाइल इंटरनेट नेटवर्क बंद करने का आदेश दिया। सरकार ने कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए राजधानी सहित देश भर में अर्धसैनिक बल ‘बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश’ के जवानों को तैनात किया है।
 
कार्यालयों में घर से काम करने के आदेश : कई दिनों के प्रदर्शनों और हिंसक झड़पों में कम से कम सात लोगों की मौत के बाद प्रदर्शनकारियों ने बीती रात देश में ‘‘पूर्ण बंद’’ लागू करने का संकल्प लिया। देश में सरकारी कार्यालय और बैंक खुले रहे क्योंकि अर्धसैनिक बल ‘बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश’ (बीजीबी), दंगा रोधी पुलिस और विशिष्ट अपराध रोधी रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) ढाका और अन्य प्रमुख शहरों में सड़कों पर तैनात थी, लेकिन सीमित परिवहन के कारण उपस्थिति कम रही। कई कार्यालयों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहा।
 
बंद रही दुकानें : ढाका और देश के बाकी हिस्सों के बीच बस सेवाएं भी बंद रहीं और लोग घरों में ही रहे। स्थानीय बाजारों और शॉपिंग मॉल में सीमित प्रवेश बिंदु खुले थे। सड़क किनारे कुछ दुकानें खुली दिखाई दीं, जबकि अन्य बंद रहीं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि मौजूदा आरक्षण प्रणाली के चलते बड़े पैमाने पर मेधावी छात्र सरकारी सेवाओं से वंचित हो रहे हैं।
 
जांच समिति का गठन : कानून मंत्री अनीसुल हक ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार ने प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ बातचीत के लिए बैठक करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, ‘‘जब भी वे सहमत होंगे, हम बैठक करेंगे।’’ कानून मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री शेख हसीना द्वारा बुधवार को किए गए वादे के अनुसार हिंसा की जांच के लिए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश खोंडकर दिलिरुज्जमां के नेतृत्व में गुरुवार को एक न्यायिक जांच समिति का गठन किया गया।
 
विरोध प्रदर्शनों में शामिल छात्रों के मुख्य समूह ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ ने कहा कि प्रधानमंत्री के शब्द निष्ठाहीन हैं और ‘‘यह उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा की गई हत्याओं एवं तबाही को प्रतिबिंबित नहीं करता है।’’ प्रदर्शनकारियों ने सत्तारूढ़ पार्टी की छात्र शाखा बांग्लादेश छात्र लीग पर आरोप लगाया कि वह पुलिस के समर्थन से उनके ‘शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन’ पर हमला कर रही है।
 
वर्तमान आरक्षण प्रणाली के तहत 56 प्रतिशत सरकारी नौकरियाँ आरक्षित हैं, जिनमें से 30 प्रतिशत 1971 के मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए, 10 प्रतिशत पिछड़े प्रशासनिक जिलों, 10 प्रतिशत महिलाओं, 5 प्रतिशत जातीय अल्पसंख्यक समूहों और एक प्रतिशत नौकरियां दिव्यांगों के लिए आरक्षित हैं।   इनपुट भाषा 

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