खटमलों ने बढ़ाई फ्रांस की मुसीबत, बना राजनीतिक मुद्दा

राम यादव
France Faces a Bedbug Problem: फ्रांस इन दिनों खटमलों के प्रकोप से बुरी तरह जूझ रहा है। खटमलों की बाढ़ के कारण बढ़ता जन-असंतोष सिर्फ सड़कों पर ही नहीं अभिव्यक्त हो रहा है, देश की संसद में पहुंचकर वहां भी तीखी बहसों का कारण बन गया है। शुक्रवार 6 अक्टूबर को फ्रंसीसी संसद की इसी कारण एक आपात बैठक हुई।
 
खटमल वैसे तो सिर्फ सेब के एक बीज जितने नन्हे-से जीव होते हैं, पर एक बार घर में आ गए, तो रातों की नींद लंबे समय के लिए हराम कर देते हैं। फ्रांस में वे इधर कुछ समय से हर तरफ इस तेज़ी फैल रहे हैं कि घरों में बिस्तर, पलंग और कुर्सियों-सोफ़ों तक में ही नहीं, होटलों, सिनेमाघरों, सार्वजनिक पुस्तकालयों, ट्रेनों, बसों और पेरिस की मेट्रो ट्रेनों तक की सीटों में पसर गए हैं। यहां तक कि कई स्कूल कुछ दिनों तक बंद करने पड़े हैं।
 
लोग अपने-अपने ढंग से इन खटमलों से लड़ रहे हैं, पर यह लड़ाई घर और बाहर लगभग हर जगह लड़नी पड़ रही है। कुछ लोगों का मानना है कि शुरू-शुरू में ये खटमल विदेशी शरणार्थियों के मैले-कुचैले कपड़ों और सामानों के साथ आए होंगे। इस बीच वे अन्य देशों से आने वाले यात्रियों के सामनों में भी हो सकते हैं। वे क्योंकि बहुत तेज़ी से अपनी संख्या बढ़ाते हैं, इसलिए देखते ही देखते एक देशव्यापी चुनौती बन गए हैं।
 
कीटनाशक अभियान दो तिहाई बढ़ाना पड़ा : फ्रांसीसी कीटनाशकों के पेशेवर संघ के अनुसार, इस साल जून और अगस्त के बीच — पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में — खटमलों के खिलाफ 65 प्रतिशत अधिक अभियान चलाए गए। इस संघ का कहना है कि 2020 के बाद से इन कीटनाशक अभियानों की संख्या लगातार बढ़ती ही गई है। ऐसा आंशिक रूप से इसलिए भी है कि लोग अब अधिक जागरूक हो गए हैं और पहले की अपेक्षा कहीं अधिक बार खटमलों का होना रिपोर्ट करते हैं। 
 
फ्रांस के परिवहन मंत्री क्लेमेंत बुने का कहना है कि जहां तक ट्रेनों, बसों और मेट्रो जैसे सार्वजनिक परिवहन साधनों का प्रश्न है, तो उनसे संबंधित सभी संदिग्ध मामलों की जांच की जाएगी और जांच के परिणाम प्रकाशित किए जाएंगे। पिछले कुछ दिनों में ऐसे जो भी मामले सामने आए हैं, उनमें से किसी की भी खटमलों के किसी बड़े संक्रमण के रूप में पुष्टि नहीं हुई है।
 
वर्तमान जानकारी के अनुसार, खटमलों का होना कोई अच्छी बात तो नहीं है, पर वे कोई रोग नहीं फैलाते, केवल खून चूसते हैं। उनके काटने से त्वचा पर चकत्ते पड़ जाते हैं और काटने की जगह पर खुजली होती है। इसलिए भी उनका सफ़या करना ज़रूरी हो जाता है।
 
खटमल बने राजनीतिक एजेंडा : खटमलों का होना साफ़-सफ़ाई में कमी होने का परिचायक माना जाता है, इसलिए भी उनका बढ़ता प्रकोप फ्रांस में एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है। फ्रांस की वामपंथी पार्टी 'ला फ्रांस इंसौमिस' के संसदीय दल की नेता मथिल्डे पनो ने अपने हाथ में खटमलों से भरी कांच की एक सीलबंद बोतल लेकर संसद में एक बहुत ही गुस्से भरा भाषण दिया।
 
'खटमल रोज़मर्रा की जिंदगी के सभी क्षेत्रों में फैलते जा रहे हैं' पनो ने कहा। 'वे प्रभावित लोगों के लिए एक सच्ची शहादत बन गए हैं।... नींद से वंचित करते हैं, निरंतर चिंता और समाज से कटने का कारण बनते हैं। ... हम मांग करते हैं कि खटमलों का कीटनाशक तरीके से नियंत्रण एक ऐसी नि:शुल्क, सार्वजनिक सेवा बना दी जाए, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा करती है। मैडम प्रधान मंत्री : क्या आपकी सरकार की ओर से कोई कार्रवाई होने से पहले आपकी सीट को भी खटमलों से संक्रमित होना होगा?
 
फ्रांस की प्रधानमंत्री एलिज़ाबेथ बोर्न ने अपने उत्तर में कहा कि सरकार ने 2022 की शुरुआत में खटमलों से निपटने के लिए एक योजना शुरू करने के साथ इस समस्या का पहला उत्तर दिया है। इस योजना की सफलता, अन्य बातों के अलावा और अधिक जानकारी जुटाने तथा नए मामलों की तेज़ी से शिकायतें मिलने पर भी निर्भर करती है।
 
मीडिया दे रहा है सलाहें : खटमल एक ऐसा सिरदर्द बन गए है कि फ्रांसीसी पत्र-पत्रिकाओं तथा रेडियो-टेलीविज़न द्वारा भी लोगों को सलाह दी जाने लगी है कि खटमलों के प्रकोप से कैसे निपटना चाहिए। उनके सुझावों पर अमल का ख़र्च कई बार एक हज़ार यूरो तक पहुंच सकता है। एक यूरो इस समय लगभग 88 रुपए के बराबर है।
 
फ्रांस के 'लिबेरात्सियों' और 'ले फ़िगारो' जैसे नामी अख़बरों ने तो सुझावों की बाक़ायदा फ़ाइलें तक तैयार की हैं। खटमल भी राजधानी पेरिस के अलावा मार्से और नीस जैसे देश अन्य बड़े और नामी शहरों के लोगों के भी खून चूसने लगे हैं। सबसे बड़ी चिंता यह है कि 2024 की गर्मियों में पेरिस में अगले ओलंपिक खेल होने वाले हैं। तब तक खटमलों के प्रकोप का यदि अंत नहीं हुआ, तो फ्रांस की दुनिया में बड़ी किरकिरी होगी। तब तक एक और जीव के प्रकोप के कारण फ्रांस की किरकिरी होने का डर है; उसकी चर्चा अगली बार।
 
 

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