ब्रांड पाकिस्तान की पहचान वैश्विक आतंकवाद के साथ : जेटली

Webdunia
शुक्रवार, 7 अक्टूबर 2016 (15:18 IST)
वॉशिंगटन। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने राज्य की नीति के औजार के रूप में आतंकवाद का इस्तेमाल करने के लिए पाकिस्तान पर शुक्रवार को निशाना साधा और कहा कि ब्रांड पाकिस्तान की वास्तविक पहचान वैश्विक आतंकवाद के साथ है, क्योंकि दुनिया में हर बड़ी आतंकवादी घटना के आसपास पाकिस्तानी पदचिह्न होते हैं।
 
जेटली यहां आईएमएफ और विश्व बैंक की बैठकों में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जिस प्रकार से पाकिस्तान आतंकवाद से जुड़े मामलों से निपटता है, उसकी विश्वसनीयता काफी कम है। 
 
उन्होंने कहा कि 19वें दक्षेस शिखर सम्मेलन से कई देशों का हट जाना दर्शाता है कि क्षेत्र में पाकिस्तान अलग-थलग पड़ रहा है। दक्षेस सम्मेलन का आयोजन इस्लामाबाद में होना था।
 
जेटली ने कहा कि यह तथ्य कि लगभग हर किसी ने कहा कि 'हम दक्षेस शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे', क्षेत्र में अलग-थलग पड़ जाने की बात करता है। अंतत: अगर आप आतंकवाद का इस्तेमाल राज्य की नीति के औजार के रूप में करते हैं, हर आतंकवादी घटना, दुनिया में कहीं भी बड़ी आतंकवादी घटना हो, उसके आसपास पाकिस्तानी पदचिह्न होते हैं, तब 'ब्रांड पाकिस्तान' की अपनी पहचान वैश्विक आतंकवाद के साथ बन जाती है।
 
उन्होंने एनडीटीवी से कहा कि इसलिए ऐसी सभी परस्पर विरोधी बातें जो वे कहते हैं, जैसे कि पाकिस्तान पीड़ित है वगैरह, ने स्थापित कर दिया है कि विश्व उनकी बातें नहीं सुन रहा है, क्योंकि जहां तक ऐसे मामलों का संबंध है, उनकी विश्वसनीयता काफी कम है और अतीत का रिकॉर्ड भी अच्छा नहीं है। भारत के लक्षित हमले के भू-राजनीतिक जोखिम से संबंधित एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि हमें समस्या को बढ़ा चढ़ाकर बताना चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि दोनों देश परमाणु शक्तियां हैं और इसलिए दुनिया में परमाणु ब्लैकमेल पाकिस्तान की रणनीति है। यह कभी भारत की रणनीति नहीं रही है।
 
जेटली ने कहा कि अगर आप लक्षित हमले के आर्थिक असर की बात करेंगे, हमलों के कुछ मिनटों के अंदर ही मुद्रा बाजार में उभार था। जहां तक व्यय की बात है, रक्षा क्षेत्र हमेशा शीर्ष प्राथमिकता में रहेगा, क्योंकि जहां तक भारत का सवाल है राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता सर्वोपरि है। 
 
उन्होंने नियंत्रण रेखा के पास आतंकवादियों के ठिकानों पर लक्षित हमले को सेना की रणनीति और आतंकवाद के खिलाफ एहतियाती हमला बताया तथा सभी विपक्षी नेताओं को अवगत कराया गया था और आम सहमति बनाई गई थी, क्योंकि भारत उड़ी और पठानकोट आतंकी हमलों के बाद रणनीति तैयार करने का हकदार था। (भाषा)
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