बीजिंग। भारत-चीन सीमा विवाद के बीच चीन ने भारत को चेतावनी दी है कि वो अमेरिका के समर्थन में G-7 में शामिल होकर आग से खेलने का काम कर रहा है। इससे दोनों देशों के संबंधों पर बुरा असर पड़ेगा और भारत को काफी बड़ा नुकसान भी हो सकता है।
जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। अब ट्रंप जी-7 का विस्तार कर इसे जी-11 या जी-12 बनाना चाहते हैं।
चीन की सरकार के मुखपत्र कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, जी-7 के विस्तार का विचार भू-राजनीतिक समीकरणों को लेकर है और साफ तौर पर ये चीन को रोकने की कोशिश है। अमेरिका सिर्फ इसलिए भारत के साथ नहीं है कि वह दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है बल्कि अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति का भी अहम हिस्सा है। अमेरिका हिंद-प्रशांत में चीन को रोकने के लिए भारत को मजबूत करना चाहता है।
समाचार पत्र ने अपने संपादकीय में लिखा है कि ट्रंप की योजना को लेकर भारत का उत्साहजनक रुख हैरान करने वाला नहीं है। शक्ति की महत्वाकांक्षा में भारत लंबे वक्त से दुनिया के शीर्ष अंतरराष्ट्रीय संगठनों का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहा है।
हालिया दिनों में भारत और चीन के सीमा पर तनाव के बीच, भारत अमेरिका के जी-7 योजना को समर्थन देकर चीन को भी संदेश देना चाहता है। कई भारतीय रणनीतिकारों का कहना है कि चीन पर दबाव बढ़ाने के लिए भारत को अमेरिका के करीब जाना चाहिए।
चीन ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर अमेरिका और चीन में नया कोल्ड वॉर शुरू होता है और भारत अमेरिका के पक्ष में जाने का फैसला करता है तो ये चीन और भारत के व्यापारिक रिश्तों के लिए काफी घातक साबित हो सकता है। इन दोनों पड़ोसी देशों के व्यावसायिक संबंध खत्म हो जाएंगे और भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका काफी बुरा असर पड़ सकता है।