चीन का दोस्ती के नाम पर रूस से दगा, 8 शहरों को दिया अपना नाम

Webdunia
गुरुवार, 2 मार्च 2023 (19:49 IST)
चीन दुनिया के देशों से भले ही दोस्ती का दिखावा करता है, लेकिन उसके पीछे उसकी विस्तारवाद की खौफनाक साजिश होती है। चीन ने दोस्ती के नाम पर अब तक भारत, नेपाल, भूटान और अन्य पड़ोसियों को धोखा दिया है। रूस-यूक्रेन युद्ध में चीन रूस का साथ दे रहा है।

कई बार चीन अपने नक्शे में पड़ोसी देशों के शहरों को अपने नाम से दिखाता है, ऐसा ही उसने रूस के साथ किया है। रूस और चीन एक रणनीतिक, "कोई सीमा नहीं साझेदारी" साझा करते हैं। यह चीन को रूसी क्षेत्रों के नाम बदलने से नहीं रोक रहा है और उन्हें अपने क्षेत्र के रूप में दिखाने के लिए प्रेरित कर रहा है। नया नक्शा रूसी शहरों को चीनी नामों से दिखाता है।
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This “tweet” of #Russian embassy to #China isn’t so welcome on Weibo
“The history of Vladivostok (literally 'Ruler of the East') is from 1860 when Russia built a military harbor.” But the city was Haishenwai as Chinese land, before Russia annexed it via unequal Treaty of Beijing. pic.twitter.com/ZmEWwOoDaA

— Shen Shiwei 沈诗伟 (@shen_shiwei) July 2, 2020 >बीजिंग के राजनयिकों और मुखपत्रों ने रूसी सीमा भूमि पर दावा करने के लिए एक ठोस अभियान शुरू किया। यानी चीन रूस के साथ भी दोस्ती के नाम से छलावा कर रहा है।

खबरों के अनुसार चीन अपनी सुदूर उत्तर-पूर्वी सीमा पर सैन्य अभ्यास कर रहा है। चीन की मीनिस्ट्री ऑफ नेचरल रिसोर्स के द्वारा जारी मैप पर भी रूस और चीन सीमा के पास 8 रूसी शहरों को चीनी नामों से दिखाया गया है। इस नक्शे को चीन के कई राजनायिकों ने शेयर किया है।
 
'व्लादिवोस्तोक' या 'हैशेनवाई'? : व्लादिवोस्तोक शहर को लेकर मामला उठा  चीन के राजनयिक ने ट्‍वीट में कहा था कि  "व्लादिवोस्तोक (शाब्दिक रूप से 'पूर्व का शासक') का इतिहास 1860 से है जब रूस ने एक सैन्य बंदरगाह बनाया था।" लेकिन बीजिंग की असमान संधि के माध्यम से रूस द्वारा कब्जा किए जाने से पहले यह शहर चीनी भूमि के रूप में हैशेनवाई था।

ट्‍वीट से भड़का मुद्दा : चीन का दावा है कि व्लादिवोस्तोक कभी एक चीनी शहर था जिसे हैशेनवाई के नाम से जाना जाता था और यह चीन के किंग राजवंश का हिस्सा था। द्वितीय अफीम युद्ध में ब्रिटिश और फ्रांसीसी सेना द्वारा चीन की हार के बाद 1860 में इसे रूस द्वारा कब्जा कर लिया गया था। तब से इस क्षेत्र पर रूस का शासन रहा है ।
 
आज, चीन और रूस के बीच सीमा को परिभाषित करने वाली कई संधियों के बावजूद, यह विचार कि व्लादिवोस्तोक के आसपास का विशाल क्षेत्र चीनी है, अभी भी चीनी टिप्पणीकारों के बीच दृढ़ता से मौजूद है। 
 
यह मुद्दा तब भड़क गया जब चीन में रूसी दूतावास ने व्लादिवोस्तोक की 160वीं वर्षगांठ मनाते हुए एक ट्वीट जारी किया था। Edited By : Sudhir Sharma

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