President Donald Trump News : अमेरिकी नियोक्ताओं के एक बड़े समूह को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सीमा शुल्क संबंधी फैसलों से सीधे तौर पर 82.3 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ेगा। कंपनियों पर पड़ने वाले इस भारी बोझ की भरपाई संभावित रूप से कीमतों में वृद्धि, छंटनी या कम लाभ मार्जिन के जरिए करने की कोशिश की जाएगी। इस विश्लेषण में एक करोड़ डॉलर से लेकर एक अरब डॉलर तक के सालाना राजस्व वाली कंपनियों पर आयात कर के सीधे प्रभाव का आकलन किया गया है। इन कंपनियों में अमेरिका के भीतर निजी क्षेत्र के लगभग एक-तिहाई कर्मचारी तैनात हैं।
एक विश्लेषण में यह आकलन पेश किया गया है। जेपी मॉर्गन चेज इंस्टिट्यूट के इस विश्लेषण के मुताबिक, कंपनियों पर पड़ने वाले इस भारी बोझ की भरपाई संभावित रूप से कीमतों में वृद्धि, छंटनी या कम लाभ मार्जिन के जरिए करने की कोशिश की जाएगी।
इस विश्लेषण में एक करोड़ डॉलर से लेकर एक अरब डॉलर तक के सालाना राजस्व वाली कंपनियों पर आयात कर के सीधे प्रभाव का आकलन किया गया है। इन कंपनियों में अमेरिका के भीतर निजी क्षेत्र के लगभग एक-तिहाई कर्मचारी तैनात हैं। ये अमेरिकी कंपनियां चीन, भारत और थाइलैंड से आयात पर अधिक निर्भर हैं। ऐसे में सीमा शुल्क बढ़ाए जाने से खुदरा एवं थोक क्षेत्र खासतौर पर प्रभावित होंगे।
इस विश्लेषण के निष्कर्ष अमेरिकी राष्ट्रपति के इस दावे का खंडन करते हैं कि विदेशी विनिर्माता शुल्क की लागत का बोझ उठाएंगे। हालांकि ट्रंप के कार्यकाल में लगाए गए उच्च शुल्क से अभी तक समग्र मुद्रास्फीति में वृद्धि नहीं देखी गई है। इसकी वजह यह है कि अमेजन एवं वॉलमार्ट जैसी बड़ी कंपनियों ने करों के लागू होने से पहले ही बड़ा स्टॉक जमा कर लिया था।
भारत समेत कई देशों पर लगाया गया ऊंचा शुल्क नौ जुलाई से प्रभावी होना है। इन शुल्कों से अमेरिकी नियोक्ताओं को होने वाले 82.3 अरब डॉलर के नुकसान को देखें तो वह प्रति कर्मचारी औसतन 2,080 डॉलर यानी औसत वार्षिक वेतन का 3.1 प्रतिशत होगा।
विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि शुल्क के कारण कुछ घरेलू विनिर्माता आपूर्तिकर्ताओं के रूप में अपनी भूमिका मजबूत कर सकते हैं, लेकिन थोक एवं खुदरा विक्रेताओं को अपनी शुल्क लागत उपभोक्ताओं पर डालने की जरूरत हो सकती है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour