ट्रंप ने दी सफाई, जन्मजात नागरिकता गुलामों के बच्चों के लिए, अमेरिका में भीड़ लगाने के लिए नहीं

ट्रंप ने अपने कार्यकाल के पहले ही दिन जन्मजात नागरिकता के खिलाफ एक कार्यकारी आदेश पारित किया था जिसे अगले दिन सिएटल में एक संघीय अदालत ने रद्द कर दिया था।

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शुक्रवार, 31 जनवरी 2025 (15:13 IST)
Donald Trump News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने कहा है कि जन्मजात नागरिकता (birthright citizenship) मुख्य रूप से गुलामों के बच्चों के लिए थी, पूरे विश्व के लोगों के अमेरिका आने और भीड़ लगाने के लिए नहीं। ट्रंप ने अपने कार्यकाल के पहले ही दिन जन्मजात नागरिकता के खिलाफ एक कार्यकारी आदेश पारित किया था जिसे अगले दिन सिएटल में एक संघीय अदालत ने रद्द कर दिया था।
 
ट्रंप ने कहा है कि वे इसके खिलाफ अपील करेंगे। उन्होंने गुरुवार को उम्मीद जताई कि उच्चतम न्यायालय उनके पक्ष में फैसला सुनाएगा। ट्रंप ने व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में पत्रकारों से कहा कि अगर आप पीछे मुड़कर देखें तो जन्मजात नागरिकता गुलामों के बच्चों के लिए थी। इसका मतलब यह नहीं था कि पूरी दुनिया आकर अमेरिका में भीड़ लगा दे।ALSO READ: ट्रंप ने दिया ग्वांतानामो बे में 30,000 लोगों की क्षमता वाला प्रवासी हिरासत केंद्र बनाने का आदेश
 
उन्होंने कहा कि हर कोई आ रहा है। पूरी तरह से अयोग्य लोग आ रहे हैं जिनके बच्चे भी शायद अयोग्य हों। उसका (जन्मजात नागरिकता का) मतलब यह तो नहीं था। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि उच्चतम न्यायालय में हमारी जीत होगी। मेरे हिसाब से हम इस मामले में जीत हासिल करेंगे। आव्रजन अध्ययन केंद्र का अनुमान है कि 2023 में अवैध आप्रवासियों से 2,25,000 से 2,50,000 बच्चे पैदा हुए।
 
ट्रंप ने दी ब्रिक्स देशों को चेतावनी : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर चेतावनी दी है कि अगर ब्रिक्स देश अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर की जगह किसी और मुद्रा के इस्तेमाल का प्रयास करेंगे तो वे उन पर 100 प्रतिशत शुल्क लगा देंगे। ट्रंप ने कहा कि ब्रिक्स देश कोई और मूर्ख देश ढूंढ लें।
 
अमेरिकी राष्ट्रपति ने गुरुवार को अपने सोशल मीडिया मंच 'ट्रुथ सोशल' पर एक पोस्ट में कहा कि ब्रिक्स देश डॉलर से दूर जाने की कोशिश करें और हम खड़े होकर बस देखते रहें, इस तरह के विचारों के दिन खत्म हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि वे ब्रिक्स देशों से यह प्रतिबद्धता चाहते हैं कि वे न तो नई ब्रिक्स मुद्रा बनाएंगे, न ही अमेरिकी डॉलर की जगह किसी अन्य मुद्रा का समर्थन करेंगे।ALSO READ: ट्रंप की टैरिफ की धमकी के बाद कोलंबिया निर्वासित प्रवासियों को लेने पर राजी
 
ट्रंप ने कहा कि नहीं तो उन्हें 100 प्रतिशत शुल्क का सामना करना होगा या फिर शानदार अमेरिकी अर्थव्यवस्था में बिक्री को अलविदा कहने की उम्मीद करनी चाहिए। उन्होंने धमकी देते हुए कहा कि वे (ब्रिक्स देश) कोई दूसरा मूर्ख देश ढूंढ सकते हैं। इस बात की कोई संभावना नहीं है कि ब्रिक्स अंतरराष्ट्रीय व्यापार में या कहीं और अमेरिकी डॉलर की जगह ले लेगा। हालांकि जो भी देश ऐसा करने की कोशिश करेगा, उसे शुल्क को नमस्ते और अमेरिका को अलविदा कह देना चाहिए।
 
ट्रंप ने ब्रिक्स सदस्य देशों द्वारा अपनी मुद्रा जारी करने के किसी भी कदम की बार-बार आलोचना की है और यह अब तक का उनका सबसे कड़ा विरोध है। दिसंबर में भी ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को इस तरह के कदम के खिलाफ चेतावनी दी थी। ब्रिक्स 10 देशों- ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात का एक अंतरसरकारी संगठन है। 2009 में गठित ब्रिक्स एकमात्र प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समूह है जिसका अमेरिका हिस्सा नहीं है।ALSO READ: ट्रंप की ताजपोशी के बाद उत्तर कोरिया ने किया क्रूज मिसाइल प्रणाली का परीक्षण, अमेरिका को दी चेतावनी
 
पिछले कुछ वर्षों में इसके कुछ सदस्य देश विशेष रूप से रूस और चीन अमेरिकी डॉलर का विकल्प या ब्रिक्स मुद्रा बनाने की मांग कर रहे हैं। ब्रिक्स के एक महत्वपूर्ण स्तंभ भारत ने कहा है कि वह 'डी-डॉलराइजेशन' (विश्व व्यापार और वित्तीय लेनदेन में डॉलर के उपयोग में उल्लेखनीय कमी) के खिलाफ है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दिसंबर में कहा था कि भारत कभी भी 'डी-डॉलराइजेशन' के पक्ष में नहीं रहा है और ब्रिक्स मुद्रा बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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