काठमांडू। नेपाल में आए भूकंप ने जान-माल के नुकसान के अलावा इस देश के ऐतिहासिक स्मारकों को भी भारी क्षति पहुंचाई है।
देश में शनिवार को रिक्टर पैमाने पर 7.9 तीव्रता के भूकंप ने देश के सांस्कृतिक इतिहास को झकझोर दिया और ऐतिहासिक धरहरा मीनार सहित देश की कई धरोहरों को नष्ट कर दिया।
उन्नीसवीं सदी की 9 मंजिला इस मीनार को यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल का दर्जा हासिल था और यह मीनार काठमांडू घाटी का नजारा पेश करती थी। भूकंप से इसके गिरने से दबकर 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई। इस आपदा के चलते दो हजार से अधिक लोगों की मौत हुई और पांच हजार से अधिक घायल हुए हैं।
वर्ष 1832 में नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री भीमसेन थापा ने यह मीनार बनवाई थी जिसे वर्ष 1934 में 8.3 तीव्रता के नेपाल के इतिहास के सबसे भयंकर भूकंप से भी बहुत नुकसान हुआ था। इसे बाद में फिर से बनाया गया और लोगों के लिए खोला गया लेकिन इस बार यह मीनार भूकंप के झटके का सामना नहीं कर पाई और पूरी तरह से धराशायी हो गई।
इस मीनार की वास्तुकला मुगल एवं यूरोपीय शैली की है। इस मीनार के शीर्ष पर भगवान शिव की छोटी मूर्ति लगी थी।
काठमांडू के ‘हिमालयन टाइम्स’ की पूर्व पत्रकार लक्ष्मी महारजन ने कहा कि दरबार स्क्वायर, पैलेस और धरहरा टावर ये हमारे प्रतीक थे, ये नेपाल और इसकी संस्कृति तथा सुंदरता के प्रतीक थे और अब यह सबकुछ जा चुका है। स्मारक नष्ट होने की क्षति ने लोगों के मारे जाने को सहना और मुश्किल बना दिया है। (भाषा)