अब बुनियादी सुविधाओं की चुनौती

Webdunia
रविवार, 26 अप्रैल 2015 (14:50 IST)
काठमांडू। नेपाल में भीषण भूकंप में बचने वालों ने प्रकृति के उस खौफनाक मंजर की दास्तान बयां कि जिसने घरों, मंदिरों और ऐतिहासिक स्मारकों को पलभर में मलबे में बदलकर रख दिया। 2,000 से ज्यादा लोगों की जान लील लेने वाले भूकंप से बचे लोगों के सामने अब आश्रय, भोजन और साफ-स्वच्छता की बुनियादी जरूरतों को पूरा किए जाने की चुनौती है।
 
हिमालय की गोद में बसे इस देश को 7.9 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप ने हिलाकर रख दिया। सड़कों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं और पुराने भवनों के ढह जाने के कारण हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा और इस वजह से खुले आसमान के नीचे लोगों को सर्द रात गुजारनी पड़ी।
 
बाद में भी हल्के झटके आते रहने के कारण लोग सो भी नहीं पाए। कई कामगारों सहित बड़ी संख्या में यहां आए भारतीयों ने कहा कि उन्हें भोजन और साफ-सफाई जैसी बुनियादी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
 
कोलकाता से यहां आए एक श्रमिक ने कहा कि शनिवार को जो हुआ उसे देखकर हम स्तब्ध हैं। यह बेहद दुखद है। भोजन-पानी नहीं रहने के कारण मेरा पूरा परिवार दिक्कतों का सामना कर रहा है और लगभग सारी दुकानें बंद हैं।
 
उन्होंने कहा कि कम से कम 500-1,000 कामगार यहां आए हैं और हां, अब हम वापस जाना चाहते हैं। पता नहीं हम कैसे घर लौटेंगे। बिजली नहीं रहने के कारण कोई सूचना नहीं है। हम जानते हैं कि भारत से बचाव के लिए कुछ विमान आए है। हम वहां तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं और फिर घर चले जाएंगे। भारत ने राहत और बचाव अभियान तेज कर दिया है। भारतीय वायुसेना ने 550 से ज्यादा भारतीयों को निकाला है।
 
कोलकाता के रहने वाले एक और श्रमिक ने कहा कि हम सब यहां काम करते हैं और करीब 1 साल में भारत जाते हैं। हम वापस जाना चाहते हैं लेकिन नेटवर्क संबंधी दिक्कतों के कारण परिवार से बातचीत नहीं हो पाई है। फ्रीलांस फोटोग्राफर थॉमस न्येबो उस समय काठमांडू के थामेल जिले में एक कॉफी दुकान में बैठे थे, जब उन्हें हल्का झटका महसूस हुआ और यह धीरे-धीरे यह बढ़ता गया।
 
उन्होंने सीएनएन से कहा कि यह क्षेत्र भूकंप से अनजान नहीं है। कई लोगों को लगा कि छोटा-मोटा भूकंप है, गुजर जाएगा लेकिन वह बात नहीं थी। उसी दौरान मलबे में दबी एक महिला को निकलने की कोशिश करते हुए देखा। लोगों को जैसे ही बड़े झटके का अहसास हुआ, सड़कों पर निकलने के लिए वे भागे। लोग भागे जा रहे थे, भागे जा रहे थे। कुछ भी बचने की कोई उम्मीद नहीं थी।
 
स्थिति यह है कि घायलों को अस्पताल में जगह नहीं मिल पा रही है। लोग अभी भी अपने घरों में जाने से डर रहे हैं। (भाषा)
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