लाइबेरिया में धीमी पड़ी इबोला की रफ्तार

Webdunia
गुरुवार, 30 अक्टूबर 2014 (13:32 IST)
संयुक्त राष्ट्र। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि इबोला महामारी से सर्वाधिक प्रभावित लाइबेरिया में राहत की एक उम्मीद दिखी है, जहां इस बीमारी की संक्रमण दर धीमी हो रही है लेकिन संकट अभी समाप्त होने वाला नहीं है।
 
संगठन (डब्ल्यूएचओ) के क्रियान्वयन मामलों के प्रभारी और सहायक महानिदेशक ब्रुस एलवार्ड ने जिनेवा मुख्यालय में यह जानकारी दी।
 
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि लाइबेरिया में इबोला की गति धीमी हो रही है। हालांकि उन्होंने इस बीमारी के संबंध में मिले हालिया आंकड़ों से कोई नतीजा निकालने में सावधानी से काम करने को कहा। उन्होंने कहा कि इस नतीजे पर नहीं पहुंच जाना चाहिए कि लाइबेरिया में इबोला नियंत्रण में है।
 
एलवार्ड ने कहा कि इस महामारी से निपटने के लिए संघषर्रत अधिकारियों को उम्मीद की किरण दिखी है लेकिन रफ्तार धीमी पड़ने के पीछे के कारणों का उन्हें अध्ययन करना होगा।
 
उन्होंने कहा कि रोजमर्रा के आधार पर मामलों की संख्या में थोड़ी बहुत कमी और इसे पूरी तरह समाप्त करने में बहुत बड़ा अंतर है। इबोला को एक बहुत बहुत खतरनाक बीमारी बताते हुए एलवार्ड ने कहा कि उन्हें आशंका है कि इस सूचना की गलत तरीके से व्याख्या हो सकती है।
 
उन्होंने कहा कि यह ऐसा कहने के बराबर है कि आपका पालतू टाइगर काबू में है। इबोला ने गिनी के साथ ही सियरा लियोन के विभिन्न हिस्सों में भारी आतंक फैलाया हुआ है।
 
डब्ल्यूएचओ ने बुधवार को इबोला के संबंध में जारी किए गए ताजा आंकड़ों में बताया था कि 6 प्रभावित देशों में 27 अक्टूबर तक 13,703 मामले सामने आए हैं तथा 4,922 मौतें हुई हैं। 
 
डब्ल्यूएचओ के अनुसार इबोला से प्रभावित 6 देशों में गिनी, लाइबेरिया, माली, सियेरा लियोन, स्पेन और अमेरिका हैं। नाइजीरिया और सेनेगल भी इससे पीड़ित रहे हैं। कुल 521 स्वास्थ्य सहायताकर्मी इबोला संक्रमण की चपेट में आए हैं जिनमें से 272 की मौत हो चुकी है।
 
इस बीच संयुक्त राष्ट्र के इबोला आपदा प्रतिक्रिया मिशन के प्रमुख टोनी बानबुरी ने घाना में संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत सामंथा पावर के साथ कहा कि इस बीमारी से निपटने के लिए विभिन्न सरकारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्यकर्मियों, संसाधनों और क्षमताओं को व्यवस्थित तरीके से लगाया गया है। (भाषा)
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