भारत के 29 राज्य और 7 केन्द्र शासित प्रदेशों में सात चरणों में मतदान होने जा रहा है, लेकिन यदि आपको कोई कहे कि किसी देश में 17000 द्वीपों में एक ही दिन मतदान होगा तो चौंकना स्वाभाविक है। यह हकीकत है। दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा लोकतंत्र इंडोनेशिया वह देश है जहां इतने द्वीप होने के बावजूद एक ही दिन वोटिंग होती है।
इंडोनेशिया में संसद और राष्ट्रपति पद के लिए एक ही दिन में 17 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। इंडोनेशिया में राष्ट्रपति पद के लिए जोको विडोडो या जोकोवी और प्रबोवो सुबीआंतो के बीच मुकाबला है। सुबीआंतो जहां इंडोनेशियाई सेना के जनरल रह चुके हैं, वहीं जोकोवी वर्तमान में राष्ट्रपति हैं। ऐसा माना जा रहा है कि यदि सब कुछ ठीक रहा तो जोकोवी एक फिर राष्ट्रपति पद पर काबिज होंगे।
चुनाव आमतौर पर भावनात्मक मुद्दों पर लड़े जाते हैं। इनमें धर्म, जाति, नस्ल जैसे शामिल होती हैं। चुनाव में पैसा भी बड़ी भूमिका निभाता है। साथ इन चुनावों को संपन्न कराने में सबसे संसाधनों की बहुत जरूरत होती है।
भारत और अमेरिका के बाद इंडोनेशिया में सबसे ज्यादा मतदाताओं की संख्या है। 2014 के चुनाव के अनुसार भारत में यह संख्या 83 करोड़ से ज्यादा है, जो कि इस बार 90 करोड़ के आसपास पहुंच चुकी है। दूसरी ओर दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 21 करोड़ से ज्यादा है।
अमेरिका और भारत में चुनाव की यह प्रक्रिया कई सप्ताह और महीनों तक चलती है, वहीं इंडोनेशिया के 17 हजार द्वीपों के लोग आश्चर्यजनक रूप से एक ही दिन मतदान करते हैं। चुनाव आयोग ने मतदान के लिए 8 लाख से ज्यादा पोलिंग बूथों का इंतजाम किया है, जबकि 60 लाख के लगभग अस्थायी मतदान कर्मी इस कार्य को अंजाम देने में भूमिका निभाते हैं। प्रत्येक बूथ पर 300 लोगों के मतदान की व्यवस्था की गई है। 2 लाख 45 हजार उम्मीदवार इस चुनाव में भाग्य आजमा रहे हैं।
हालांकि इंडोनेशिया में इस साल मतदान अनिवार्य नहीं है और चुनाव के लिए राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाता है। इस दिन को लोकतंत्र का महोत्सव भी कहा जाता है। पिछले चुनाव की बात करें तो यहां 70 प्रतिशत मतदान हुआ था।