गूगल समेत अन्य प्रौद्योगिकी कंपनियों ने नए छात्र वीजा नियम के खिलाफ दायर किया वाद

Webdunia
मंगलवार, 14 जुलाई 2020 (12:25 IST)
वॉशिंगटन। गूगल, फेसबुक और माइक्रोसॉफ्ट समेत अमेरिका की कई शीर्ष प्रौद्योगिकी कंपनियां आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) के नए नियम के खिलाफ हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की तरफ से दायर वाद में पक्ष बन गई हैं।

इस नियम के मुताबिक विदेशी छात्रों को कम से कम एक पाठ्यक्रम ऐसा लेना होगा जिसमें वे व्यक्तिगत रूप से कक्षा में उपस्थित रह सकें अन्यथा उन्हें निर्वासित होने के जोखिम का सामना करना होगा।
ALSO READ: अमेरिका में नए वीजा नियमों से भारतीय छात्र हो सकते हैं परेशान
अस्थायी निरोधक आदेश और प्रारंभिक निषेधाज्ञा का अनुरोध कर रहीं इन कंपनियों, अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स और अन्य आईटी पैरोकारी समूहों का कहना है कि 6 जुलाई का आईसीई का निर्देश नियुक्ति की उनकी योजनाओं को प्रभावित करेगा और उनके लिए अंतरराष्ट्रीय छात्रों को अपने कारोबार में शामिल करना मुश्किल हो जाएगा।
 
उनका कहना है कि 6 जुलाई के निर्देश से बड़ी संख्या में अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिए सीपीटी और ओपीटी कार्यक्रमों में हिस्सा लेना असंभव हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका यहां उनकी शिक्षा पर हुए निवेश का लाभ उठाने के बजाय निरर्थक रूप से इन स्नातकों को हमारे वैश्विक प्रतिद्ंवद्वियों के लिए काम करने और हमसे प्रतियोगिता करने के लिए दूर भेज रहा है।
ALSO READ: जो बिडेन ने कहा, निर्वाचित हुआ तो एच-1बी वीजा निलंबन करेंगे रद्द
सर्कुलर प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (सीपीटी) कार्यक्रम किसी छात्र के संस्थान के साथ हुए सहकारी समझौतों के तहत प्रायोजक नियोक्ताओं द्वारा दिए गए वैकल्पिक कार्य/ अध्ययन, इंटर्नशिप, सहकारी शिक्षा या अन्य प्रकार की इंटर्नशिप की अनुमति देता है, वहीं ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (ओपीटी) कार्यक्रम 1 साल तक का अस्थायी रोजगार देता है, जो अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी द्वारा पढ़े गए मुख्य विषय से सीधे तौर पर जुड़ा होता है और यह स्नातक होने से पहले या विद्यार्थी की पढ़ाई पूरी होने के बाद कभी भी उसे दिया जा सकता है।
 
कंपनियों का कहना है कि अमेरिकी कंपनियों की नियुक्ति प्रक्रिया में आधे से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों को शामिल नहीं होने देने से कंपनी और पूरी अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा तथा विद्यार्थियों का भरोसा भी कम होगा। वाद में कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के देश में रहने से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को काफी लाभ होता है और इन विद्यार्थियों का प्रस्थान अमेरिकी शैक्षणिक संस्थानों की महत्त्वपूर्ण लोगों को यहां रोक पाने की क्षमता को जोखिम में डालता है।
 
कंपनियों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी अमेरिकी कारोबारों के लिए कर्मचारियों का महत्त्वपूर्ण स्रोत होते हैं। वे अमेरिकी कारोबारों के लिए बहुमूल्य कर्मचारी एवं ग्राहक बनते हैं, फिर चाहे वे अमेरिका में रहें या स्वदेश लौट जाएं। इन कंपनियों के अलावा 17 राज्यों एवं कोलंबिया जिला ने भी नई अस्थायी वीजा नीति के खिलाफ सोमवार को वाद दायर किया।
 
गृह सुरक्षा मंत्रालय और आईसीई के खिलाफ मैसाचुसेट्स जिला अदालत में दायर वाद में 18 महाधिवक्ताओं ने संघीय सरकार की वैश्विक महामारी के बीच अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों को बाहर निकालने की क्रूर, असंगत एवं गैरकानूनी कार्रवाई को चुनौती दी है। (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Israel-Iran Conflict : इजराइल-ईरान में क्यों है तनाव, भयंकर युद्ध हुआ तो भारत पर क्या होगा असर

एयर इंडिया विमान हादसे का क्या कनेक्शन है जगन्नाथ मंदिर और अच्युतानंद महाराज की गादी से

विमान हादसे में तुर्की का तो हाथ नहीं? बाबा रामदेव के बयान से सनसनी

इंसानी गलती या टेक्नीकल फॉल्ट, AI-171 के ब्लैक बॉक्स से सामने आएगा सच, जानिए कैसे खोलते हैं हादसे का राज

डोनाल्ड ट्रंप बोले- ईरान के पास बातचीत का दूसरा मौका, परमाणु समझौता कर तबाही को बचा लो

सभी देखें

नवीनतम

Iran-Israel Conflict : इजराइल पर बड़े हमले की तैयारी में ईरान, लाइव टीवी शो के दौरान गिरे बम, भयानक हुआ युद्ध

Indore : कांग्रेस पार्षद ने की लव जिहाद के लिए फंडिंग, FIR दर्ज, आरोपी फरार

कनाडा में मोदी को खुली धमकी, खालिस्तानियों ने सड़क पर निकाली रैली

हाइफा पर ईरान के मिसाइल हमले के बाद अडानी पोर्ट के क्या हाल हैं

viral Video : चलती बाइक पर कपल को रोमांस पड़ा महंगा, कटा 53,500 रुपए का चालान

अगला लेख