सामूहिक हिंसा के पीछे सोशल नेटवर्क्स का हाथ : शोध

Webdunia
एक नए शोध के मुताबिक, सोशल नेटवर्क्स सामूहिक हिंसा के मामलों में किसी करिश्माई लीडर या प्लानिंक जितना ही खतरनाक है। इस शोध के नतीजे आतंकवाद से जुड़ी संभावित हिंसक गतिविधियां और गैंग्स पर भी सही माने जा सकते हैं। 


 
 
यूएस की येल युनिवर्सिटी में हुए इस शोध में ईस्ट अफ्रीका के एक हिंसक ग्रुप पर विषय के तौर पर लिया गया। इन्हीं शोध के आधार पर निकोलस क्रिस्टाकिस कहते हैं कि सोशल बातचीत महत्वपूर्ण हैं। इसके माध्यम से पॉजीटिव माहौल बनता है। लोग एक दूसरे से जुड़ते हैं और एक दूसरे की मदद करते हैं। साथ ही लोग एक जैसा व्यवहार भी करते हैं जैसे हिंसा। 
 
शोध में शामिल क्रिस्टाकिस कहते हैं कि लोग अपने दोस्तों के साथ युद्ध पर जाते हैं और इसमें सोशल नेटवर्क की अहमियत को अब तक नजरअंदाज किया गया। लोग किसी गतिविधि में तभी शामिल होना पसंद करते हैं जब इसमें उनके दोस्त भी शामिल हों।  
 

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