भारत बनेगा विमान यात्रियों का देश, अगले 20 वर्षों में 50000 हो जाएगी या‍त्री विमानों की संख्‍या

राम यादव
बुधवार, 9 जुलाई 2025 (14:26 IST)
India Airtraffic Booster: भारत में 12 जून 2025 के दिन अहमदाबाद में हुई भीषण विमान दुर्घटना से लोगों के मन में हवाई यात्राओं की निरापदता के प्रति चिंता अवश्य बढ़ी है, अमेरिकी बोइंग विमानों की साख भी बहुत मलीन अवश्य हुई है। अनुभव किंतु यही बताते हैं कि इससे हवाई यात्राओं में कोई दीर्घकालिक गिरावट देखने में नहीं आएगी।
 
पेरिस में दुनिया का सबसे बड़ा 'एयर शो' : अहमदाबाद की दुर्घटना वाले ठीक उन्हीं दिनों पेरिस के पास 'ले बोर्जे' में हर वर्ष सजने वाला दुनिया का सबसे बड़ा 'एयर शो' भी 14 से 20 जून तक 56वीं बार चला था। हवाई उड़ानों आदि से संबंधित 48 देशों की कुल 2,400 कंपनियों ने इस हवाई शो में अपने विमानों, हेलीकॉप्टरों, ड्रोनों और रॉकेटों इत्यादि का प्रदर्शन किया। उनके विभिन्न उत्पाद (प्रॉडक्ट) नागरिक, सैनिक और अंतरिक्ष से संबंधित कार्यों के लिए थे।
 
20 वर्षों में दोगुने विमान : पेरिस में लगने वाले इस अनोखे मेले में यूरोपीय विमान निर्माता कंपनी 'एयरबस' का अनुमान था कि दुनिया में अगले 20 वर्षों में यात्री विमानों की कुल संख्या आज की तुलना में दोगुनी यानी लगभग 50 हजार हो जाएगी। इस भारी बढ़ोतरी में सबसे अधिक भागीदारी तेजी से विकसित हो रहे भारत और उन देशों की होगी, जहां का मध्य वर्ग हवाई यात्राओं का शौकीन होने लगा है।
 
एयरबस वास्तव में जर्मनी, फ्रांस, स्पेन और ब्रिटेन की एक मिली-जुली कंपनी है और समय के साथ अमेरिकी बोइंग कंपनी की सबसे बड़ी प्रतिस्पर्धी बन गई है। वैश्विक बाजार के पूर्वानुमानों के आधार पर एयरबस का कहना है कि 2044 तक दुनियाभर में यात्री विमानों का समग्र बेड़ा इस समय के 24,480 से बढ़कर 49,210 हो जाएगा। इस वृद्धि में A320 जैसे एयरबस के अपने विमान और अमेरिका की बोइंग कंपनी के बोइंग 737 जैसे विमान शामिल होंगे। इन दोनों कंपनियों के विमान दुनिया की सबसे अधिक एयरलाइनों के बेड़ों की रीढ़ बन गए हैं।
 
भारत का घरेलू हवाई नेटवर्क : एयरबस के इस आकलन में भविष्यवाणी की गई है कि अगले 2 दशकों में भारत का घरेलू हवाई नेटवर्क दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला विमानन बाजार होगा। तब तक क्षमता के हिसाब से चीन सबसे बड़ा बाजार होगा। वैश्विक स्तर पर एयरबस को आशा है कि लंबी अवधि में यात्री यातायात में प्रतिवर्ष 3.6 प्रतिशत की वृद्धि होगी जिसमें मध्य-पूर्व के देशों में बढ़ता हवाई यातायात समग्र वृद्धि का एक और कारण बन सकता है। वाणिज्यिक विमान सबसे लंबे समय तक चलने वाले औद्योगिक उत्पादों में गिने जाते हैं। इसी कारण एयरबस और बोइंग द्वारा दशकों से लोगों की यात्रा-रुझानों बारे में जानकारी एकत्रित की जाती रही है। भारत पहले से ही दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाजार है।
 
भारत विमानों का प्रमुख खरीददार : आय की दृष्टि से 1 अरब 40 करोड़ की जनसंख्या वाले भारत का उच्च और मध्य वर्ग, भविष्य में वैश्विक स्तर पर भी हवाई यात्राओं की बढ़ती हुई मांग का प्रमुख कारण बनेगा। भारत वास्तव में अभी से बड़ी संख्या में विमान खरीदने वाला एक प्रमुख देश बन गया है। एयर इंडिया ने 2023 में एयरबस और बोइंग के कुल मिलाकर 570 विमान खरीदने का ऑर्डर दिया है। कम लागत वाली एयरलाइन इंडिगो ने तो 900 से अधिक एयरबस विमानों का ऑर्डर दे रखा है।
 
पेरिस के निकट ले बोर्जे में दुनिया के सबसे बड़े विमानन शो में यूरोपीय निर्माता एयरबस को अपने अमेरिकी प्रतिस्पर्धी बोइंग के विपरीत कई विमानों के ऑर्डर मिले। एयरबस और उसके ग्राहकों ने 250 से अधिक विमानों के लिए ऑर्डर और प्रारंभिक अनुबंधों की घोषणा की जिनमें से कुछ की घोषणा या बुकिंग पहले ही हो चुकी थी।
 
बोइंग कंपनी खाली हाथ रही : अमेरिका की इन दिनों संकटग्रस्त बोइंग कंपनी पेरिस में खाली हाथ रह गई। अहमदाबाद में हुई बोइंग 787 'ड्रीमलाइनर' दुर्घटना उसके लिए ग्रहण बन गई है। सबसे बड़े सौदों में से एक सऊदी अरब की सरकारी एयरलाइन 'रियाद एयर' से यूरोपीय एयरबस कंपनी को मिला A350-1000 प्रकार के 25 एयरबस विमानों का पक्का ऑर्डर था, जो डबल-डेकर A380 के उत्पादन के अंत के बाद से  एयरबस की सूची में सबसे बड़ा मॉडल है। सऊदी अरब की ही कुछ और एयरलाइनों ने भी एयरबस के विभिन्न विमानों के लिए ऑर्डर दिए।
 
बोइंग ने पेरिस में तो नहीं, पर अमेरिका के सिएटल में इन्हीं दिनों घोषित किया कि बोइंग 777-9 नाम का उसका नया 'ड्रीमलाइनर', जिसे 2023 में ही बाजार में आ जाना चाहिए था, अब यथासंभव 2026 में आएगा। 77.72 मीटर लंबाई के साथ वह दुनिया का सबसे लंबा 2 इंजनों वाला यात्री विमान होगा। वह अब तक के सबसे किफायती 'ड्रीमलाइनर' से भी 10 प्रतिशत कम ईंधन खपाएगा और उसकी सीटों की संख्या में भी 30 और की वृद्धि होगी।
 
(इस लेख में व्यक्त विचार/ विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/ विश्लेषण 'वेबदुनिया' के नहीं हैं और 'वेबदुनिया' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेती है।)

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